बदलाव की तैयारी … मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बदलाव, छह की जगह अब दो जोनल कार्यालय होंगे; जिला पर्यावरण अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी

  • लोकल स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए जिला कार्यालय खोले जाएंगे
  • जोनल कार्यालय की कमान डायरेक्टर स्तर के अधिकारी को दी जाएगी

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बदलाव किए गए हैं। पूर्व में जहां प्रदेश भर में छह जोनल कार्यालय (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और उज्जैन) थे, वहीं अब केवल दो (पश्चिमी क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र) जोनल कार्यालय रहेंगे। पश्चिमी क्षेत्र में भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और मुरैना संभाग को जबकि पूर्वी क्षेत्र में जबलपुर, रीवा, शहडोल, सागर संभाग को शामिल किया गया है। पूर्वी क्षेत्र का कार्यालय जबलपुर में रहेगा।

जबकि पश्चिमी क्षेत्र का कार्यालय मंडीदीप या फिर इंदौर कार्यालय भवन में स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा लोकल स्तर पर प्रदूषण पर निगरानी के चलते जिला स्तरीय कार्यालय खुलेंगे। इसकी शुरुआत गुना, कटनी और देवास से की जा रही है। अभी गुना , कटनी और देवास में प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय थे। गुना के कार्यालय का ग्वालियर, कटनी के कार्यालय का जबलपुर और देवास के कार्यालय का संविलियन उज्जैन में किया गया है। ग्वालियर-अंचल की बात करें तो यहां मुरैना और भिंड में भी जिला कार्यालय खुलने की संभावना है।

डायरेक्टर को मिलेगी जोनल कार्यालय की कमान

जोनल कार्यालय की कमान डायरेक्टर स्तर के अधिकारी को दी जाएगी। कार्यालय में उनके अलावा एक निज सहायक, एक सहायक यंत्री या वैज्ञानिक , एक उपयंत्री या सैंपलर, एक डाटा एंट्री ऑपरेटर ,एक वाहन चालक , दो भृत्य की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा जिला स्तरीय कार्यालय की कमान जिला पर्यावरण अधिकारी (सहायक यंत्री) को दी जाएगी। इसके अलावा एक निम्न श्रेणी लिपिक, एक डाटा एंट्री आॅपरेटर, एक प्रयोगशाला सहायक, एक वाहन चालक और 2 भृत्य को नियुक्त किया जाएगा। यहां बता दें कि कार्यालय में नियुक्ति के लिए नई भर्ती नहीं की जाएगी। वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों को ही इन कार्यालयों में पदस्थ किया जाएगा।

जिलों में खोलेंगे कार्यालय

प्रदूषण विभाग प्रदेश के प्रत्येक जिले में कार्यालय खोलने की तैयारी में है। फील्ड संबंधी काम स्थानीय कार्यालय द्वारा किए जाएंगे, जबकि निर्णय लेने का काम संभागीय कार्यालय द्वारा किया जाएगा। जोनल कार्यालयों की संख्या स्टाफ की कमी के चलते कम की गई है।
-अच्युतानंद मिश्रा, सदस्य सचिव, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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