कई धुरंधर पार्षद रहे नेताओं के सपने ‘टूटे’ ..?

वार्डों के आरक्षण ने बदले राजनीति के समीकरण पुराने नेताओं को अब नई जमीन तलाशनी होगी….

पूर्व सभापति और नेता प्रतिपक्ष सहित कई वरिष्ठ पार्षदों के वार्डों का आरक्षण बदला, चुनाव को लेकर बना रहे नए तरीके से रणनीति….

नगरीय निकाय चुनाव के लिए बुधवार को हुए वार्डों के आरक्षण के बाद पुराने पार्षदों को अब चुनाव लड़ने के लिए नई जमीन तलाशनी होगी। वार्डों के आरक्षण में हुए बदलाव के कारण तमाम ऐसे पार्षद, जो पिछले दो या तीन बार से जीतकर आ रहे हैं, परेशानी में आ गए हैं।

पिछले नगरीय निकाय चुनाव में सीट आरक्षित होने के कारण वार्ड बदलकर चुनाव लड़े भाजपा के सतीश बौहरे का वार्ड 48 एक बार फिर पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है। उनका मूल वार्ड 49 भी महिला के लिए आरक्षित है। ऐसे में उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कोई नया वार्ड तलाश करना होगा।

वार्ड एक से मजबूत दावेदार रहे जगतसिंह कौरव का वार्ड भी महिला के लिए आरक्षित हो गया है। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पिछले कई सालों से निगम का चुनाव जीतने वाले विकास जैन का 9 नंबर वार्ड इस बार पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हो गया है। कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी माने जाने वाले जगदीश पटेल का 11 नंबर वार्ड इस बार अजा महिला के लिए आरक्षित है।

भाजपा के युवा पार्षद गुड्‌डू तोमर का 13 नंबर वार्ड महिला के लिए आरक्षित है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित का वार्ड नंबर 12 भी पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हो गई है। इसी तरह राजेश भदौरिया का वार्ड नंबर 31 ओबीसी महिला होने के कारण उन्हें भी नई जमीन तलाशना होगी। पूर्व सभापति गंगाराम बघेल, धर्मेंद्र राणा, दिनेश दीक्षित सुजीत सिंह भदौरिया, अलबेल घुरैया आदि के वार्डों का आरक्षण बदने से उन्हें दूसरी जगह से दावेदारी करना पड़ेगी।

इन्हें नहीं होगी परेशानी

वार्डों के आरक्षण में हुए बदलाव का असर कुछ दावेदारों पर नहीं होगा। इनमें महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष और पूर्व पार्षद नीलिमा शिंदे और खुशबू गुप्ता अपनी दावेदारी बचाने में सफल रहेंगी। इनके वार्ड इस बार अनारक्षित हैं। ऐसे में यहां से दावेदारी कर सकेंगी। पुराने दावेदार घनश्याम गुप्ता का वार्ड 46 शोभा सिकरवार का वार्ड 45 भी अनारक्षित ही रहा है। ऐसे में उनकी दावेदारी भी सुरक्षित रहेगी।

कुछ सोच नहीं पा रहे हैं

वार्डों का आरक्षण बदलने से पूरे समीकरण गड़बड़ा गए हैं। फिलहाल तो कुछ सोच नहीं पा रहे हैं। आगे विचार करेंगे कि कहां से दावेदारी करें। -सतीश बौहरे, पूर्व पार्षद

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