ग्वालियर,  पड़ाव इलाके में पिछले सप्ताह एक महिला से बाइक सवार बदमाश मंगलसूत्र लूट ले गए। बदमाश रेसकोर्स रोड से आए, पड़ाव आरओबी के पास घटना काे अंजाम दिया और पड़ाव के पुराना पुल होते हुए हजीरा की तरफ भाग गए। पुलिस ने बदमाशों के भागने का रूट तो ट्रेस कर लिया, लेकिन लुटेरों की अभी तक पहचान नहीं हुई। क्योंकि जो फुटेज पुलिस के कैमरों में हैं, उनमें चेहरे स्पष्ट नहीं हैं। यह एक उदाहरण हैं, ऐसे कई मामले हैं, जिनमें जहां घटना हुई वहां या तो पुलिस का कैमरा बंद था या कैमरे में फुटेज स्पष्ट नहीं दिखे। नईदुनिया की पड़ताल में सामने आया पुलिस की तीसरी आंख धुंधली हो गई है।

जिन कैमरों से शहर के हर कोने पर निगरानी का दावा पुलिस अफसर करते हैं वह महज 2 मेगा पिक्सल क्वालिटी के हैं। इतना ही नहीं 125 चौराहे पर लगे 569 कैमरों में से 20 प्रतिशत कैमरे तो अभी खराब ही पड़े हैं। कुछ समय पहले तक तो करीब 40 प्रतिशत कैमरे खराब थे, क्योंकि मेंटेनेंस करने वाली कंपनी हनीवैल की एएससी खत्म हो चुकी थी। कुछ समय पहले मेंटेनेंस का ठेका नई कंपनी को दे दिया गया, जिससे अब यह कंपनी धीरे-धीरे कैमरे ठीक कर रही है, लेकिन पुराने कैमरे 2 मेगा पिक्सल क्वालिटी के हैं, इसलिए जब जरूरत पड़ती है तो न तो बदमाशों के चेहरे साफ दिखाई देते हैं और न ही अपराधियों की गाड़ी का नंबर साफ नजर आता है। रात के समय स्थिति सबसे ज्यादा खराब होती है।

-शहर के 125 चौराहों पर पुलिस के 569 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इसमें सिर्फ दो जगह एएनपीआर कैमरे लगे हैं, जो शहर के आउटर में लगे हैं। इन कैमरों की क्वालिटी 2 मेगा पिक्सल है, अब साधारण मोबाइल में भी 10 मेगा पिक्सल तक का कैमरा आने लगा है, लेकिन शहर की सुरक्षा 2 मेगा पिक्सल के कैमरों के भरोसे हैं। करीब छह साल पहले यह कैमरे शहर में लगाए गए थे।

– कैमरे हनीवैल कंपनी ने लगाए, पांच साल का एएमसी का काम कंपनी पर ही था। जब एएमसी पूरा हो गया तो कैमरों की स्थिति और गड़बड़ा गई। ग्वालियर में ही करीब 40 प्रतिशत कैमरे खराब थे। मंगलवार को जब नईदुनिया टीम ने पड़ताल की तो पता लगा 569 में से 104 कैमरे खराब मिले यानी करीब 20 प्रतिशत कैमरे खराब हैं। यह स्थिति अब सुधरी है, जब दूसरी कंपनी को मेंटेनेंस का ठेका दे दिया गया।

– कैमरे 2 मेगा पिक्सल के हैं, इसलिए जब किसी फुटेज को जूम किया जाता है तो पिक्सल फटते हैं, जिससे फुटेज धुंधला हो जाता है और कुछ भी नजर नहीं आता। रात में कई कैमरों से तो बिलकुल धुंधला ही नजर आता है।

2 मेगा पिक्सल के कैमरे मिलना बंद, अब नए 4 मेगा पिक्सल के लगा रही कंपनी: 2 मेगा पिक्सल के सीसीटीवी कैमरे बाजार में मिलना बंद हो गए। अब जब कोई कैमरा खराब होता है और इसे रिप्लेस करना होता है तो कंपनी 4 मेगा पिक्सल के कैमरे लगा रही है, लेकिन कंपनी पहले कैमरों को सुधारती है, जब सुधार नहीं हो पाता तब इन्हें रिप्लेस किया जाता है।

बंद हुई तीसरी आंख: इंद्रमणि नगर और पड़ाव इलाके में चौपाटी के पास सड़क हादसे में कैमरों के पोल टूट गए। कुछ जगह पेड़ की आड़ में कैमरे छिप गए तो कहीं सड़क की खुदाई होने से केबल कटी और कैमरे बंद हो गए। कई जगह कनेक्टिविटी की वजह से कैमरे बंद हैं।

स्मार्ट सिटी के कैमरे बेहतर, पुलिस के पास एक्सेस ही नहीं: स्मार्ट सिटी द्वारा चौराहों पर लगाए गए बेहतर क्वालिटी के हैं। यह कैमरे आटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर तकनीक से लैस हैं, लेकिन इनका एक्सेस पुलिस के पास नहीं है।