दुग्ध दिवस पर विशेष … रिकॉर्ड 12 लाख लीटर रोज दूध का उत्पादन करने वाले मुरैना में है चार लाख लीटर ‘सिंथेटिक दूध की खपत’

श्योपुर….

दुग्ध उत्पादन में श्योपुर के कराहल तहसील के 18 गांव है जहां से सिर्फ गिर नस्ल की गायों का ही दूध बेचा जाता है। इस दूध की खासियत यह है कि इसमें सामान्य गाय व भैंसों के दूध की तुलना में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। क्योंकि गिर नस्ल की गाय को सूर्य ऊर्जा से प्रोटीन लेती है।

नतीजा यहां के मारवाड़ी-गुर्जर समाज के लोग सिर्फ दुग्ध उत्पादन का ही कारोबार करते है जो हर दिन लगभग 50 हजार लीटर से अधिक दूध बेचते है और यह दूध सिर्फ श्योपुर ही नही बल्कि, पड़ोसी जिले शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना के साथ-साथ राजस्थान के कोटा व जयपुर जाने के साथ प्रदेश की राजधानी भोपाल तक जाता है। जिसके लिए यहां पशुपालकों ने पिकअप व टैंकर वाहन लिए हुए है। जिससे दूध और मावा की सप्लाई की जाती है।

अब यहां दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने को लेकर काम किया जा रहा है, क्योंकि प्रदेश में श्योपुर ही इकलौता जिला है जहां गुजरात के बाद गिर नस्ल की गाय है। ऐसे में यहां 14 करोड़ रुपए की लागत से गिर बुल ब्रीडिंग सेंटर व रिसर्च केंद्र स्थापित किया जा रहा है जो कि गिर नस्ल की गायों के लिए रहेगा।

इसके साथ ही श्योपुर के कराहल में ही 50 लाख रुपए की लागत से चिलर प्लांट भी स्थापित किया जाएगा। यहां उक्त चिलर प्लांट को संस्था व समूह के माध्यम से संचालित किया जाएगा जो कि गिर नस्ल की गायों के दुध को खरीदकर बेचने का कारोबार करेगा। उक्त प्रोजेक्ट को शासन से मंजूरी भी मिल चुकी है।

वर्ष 2010 से मुरैना जिला श्वेत क्रांति के मामले में पूरे प्रदेश में अव्वल है। जिलेभर में (सर्दियों के सीजन में) रोज 12 लाख लीटर दूध उत्पादन का रिकॉर्ड है। इसके बावजूद जिले के माथे पर सिंथेटिक दूध की सप्लाई का कलंक लग चुका है। वर्ष 2019 में कमलनाथ सरकार के समय गठित एसआईटी ने अंबाह में छापामार कार्रवाई कर सिंथेटिक दूध बनाने की डेयरी पर छापा डाला, उसके बाद से यह खुलासा हुआ कि जिले में सिंथेटिक दूध बनाकर न सिर्फ पनीर, मावा, घी में खपाया जा रहा है बल्कि दूसरे प्रांतों में भी सप्लाई किया जा रहा है।

यहां बता दें कि जिलेभर मे 20 लाख की आबादी के लिए 450 मिमी प्रति व्यक्ति व 5 लाख परिवार के हिसाब से औसतन 7 लाख लीटर दूध की लोकल खपत है। गर्मियों के सीजन में 7 लाख लीटर दूध का उत्पादन रोज हो रहा है। इस लिहाज से जिले में पैदा होने वाला दूध लोकल स्तर पर ही खपाया जा रहा है।

रोज 2 लाख लीटर दूध से तैयार हो रहा पनीर, मावा व घी: घी, पनीर व मावा उत्पादन के मामले में भी हमारा जिला अव्वल है। जिले में दूध व उससे बनने वाले उत्पाद तैयार करने के बाद उन्हें ग्वालियर, भिंड, इंदौर, आगरा, उज्जैन, रायपुर (छग) तक ट्रेनों से सप्लाई किया जा रहा है। दूध उत्पाद से जुड़े हाकिम सिंह बताते हैं कि हमारे यहां से रोज 500 क्विंटल पनीर, 700 किलो मावा व अन्य उत्पाद तैयार कर बाहर बनाकर भेजे जा रहे हैं, इसके लिए रोज 2 लाख लीटर दूध की आपूर्ति जरूरी है।

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