43 डिग्री टेम्प्रेचर में बर्फ वाले पानी से प्यास तो बुझती है, पर जानते हैं किन-किन तकलीफों से घिर सकते हैं आप

लोग बारिश का इंतजार कर रहे हैं और गर्मी है कि जाने का नाम नहीं ले रही। देश के कई शहरों का टेम्प्रेचर अब भी 40 डिग्री के ऊपर है। चिलचिलाती गर्मी में सबसे बड़ी समस्या प्यास न बुझने की होती है। यही वजह है कि घर से बाहर निकलने के कुछ देर बाद ही हम सड़क किनारे लगे ठेलों पर मिलने वाले गन्ने का रस, जूस आदि पी लेते हैं। इस एक गलती के बाद हम रुकते नहीं। धूप से घर वापस आने के बाद भी फ्रिज से बर्फ निकालकर पानी में मिक्स कर लेते हैं। शाम में चिल्ड बीयर और ड्रिंक में बर्फ मिलाकर पीना भी गर्मी में पसंद किया जाता है।

अब समझना यह है कि ऐसा करने से एक बार प्यास तो बुझ जाती है, लेकिन इसका सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

आज जरूरत की खबर में जानते हैं कि बर्फ वाले पानी पीने के क्या नुकसान हैं? बीयर, आइस-टी और कोल्ड कॉफी में जो बर्फ मिलाया जाता है, क्या वह भी नुकसान करता है?

सवाल: बर्फ वाला पानी, जूस, या कोल्ड-ड्रिंक पीने से क्यों नुकसान पहुंचता है?

जवाब: जब हम तेज धूप में से आकर सीधे बर्फ वाला पानी पीते हैं, तब यह पानी शरीर के टेम्प्रेचर से मेल नहीं खाता और शरीर का टेम्प्रेचर बिगड़ जाता है। जिससे हम बीमार पड़ने लगते हैं। बाजार में मिलने वाला बर्फ कई बार गंदे पानी से भी बनता है, यह भी बीमार कर देता है।

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सवाल: बर्फ वाला पानी किस वक्त नहीं पीना चाहिए?

जवाब: किसी भी वक्त बर्फ का पानी नहीं पीना चाहिए। भूलें नहीं यह आपको बीमार कर सकता है।

सवाल: बर्फ वाला पानी पीने से कौन सी बीमारियां और परेशानियां हो सकती हैं?

जवाब: ये बीमारियां और परेशानियां हो सकती हैं-

बॉडी हाइड्रेट नहीं रहती: बर्फ का पानी ठीक तरह से बॉडी को हाइड्रेट नहीं कर पाता है। कभी भी खाने के तुरंत बाद बर्फ वाला पानी पीने से बचना चाहिए, क्योंकि यह शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।

गले में खराश: बर्फ वाला पानी पीने से नाक में रेस्पिरेटरी म्यूकोसा बनता है, जो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की एक प्रोटेक्टिव लेयर होती है। जब यह लेयर जम जाती है तो रेस्पिरेशन (सांस लेने ) में समस्या होती है। रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट कई संक्रमणों की चपेट में आ जाता है, जिससे गले में खराश होती है।

माइग्रेन: यह दूसरों के मुकाबले माइग्रेन वालों को ज्यादा तकलीफ दे सकता है। जब आप ठंडा पानी पीते हैं तो यह आपके नाक और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को ब्लाॅक कर देता है। जो माइग्रेन के दर्द को बढ़ा देता है।

न्यूट्रिएंट्स का नुकसान: आमतौर से बॉडी टेम्प्रेचर 37 डिग्री तक होता है। जब आप बर्फ का पानी पीते हैं तो शरीर को टेम्प्रेचर मेंटेन करने के लिए बहुत सारी एनर्जी खर्च करनी पड़ती है। जो एनर्जी डाइजेशन या न्यूट्रिएंट्स को ऑब्जर्व करने के लिए इस्तेमाल होती है वह बर्फ का पानी पचाने में लग जाती हैं। इसकी वजह से शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है।

मोटापा: हर वक्त बर्फ वाला पीने से शरीर में मौजूद फैट आसानी से बर्न नहीं हो पाता है। इसकी वजह यह है कि ठंडा पानी फैट को सख्त बना देता है। जिसकी वजह से वजन कम करने में परेशानी होती है।

कम होती है प्यास: पानी जब बहुत ठंडा होता है तो थोड़े से पानी से ही आपको ऐसा महसूस होगा, जैसे बहुत ज्यादा पानी पी लिया हो। यह आपकी प्यास पर कंट्रोल लगा देता है। इससे आपके शरीर में पानी की मात्रा भी कम होती है। डॉक्टर की मानें तो हमे हमेशा 20 से 22 डिग्री टेम्प्रेचर वाला पानी ही पीना चाहिए।

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चलते-चलते जानते हैं कि…

फैक्ट्री में बर्फ कैसे बनता है?

  • बर्फ बनाने के लिए एक फैक्ट्री में Ice Cans रखे जाते हैं।
  • इन Ice Cans में अमोनिया गैस भरी जाती है।
  • टैंक में गैस आने के बाद वो लिक्विड बनती है।
  • Cooling Coil की मदद से गैस वाष्प में बदल जाती है।
  • टैंक में पहले से ही 30% तक नमक मौजूद रहता है।
  • टैंक में ह्यूमिडिटी (आद्रता) के टेम्प्रेचर को 15 F तक लाया जाता है।
  • अब फाइनली इसमें पानी भर दिया जाता है।
  • पानी की हाई फ्रीजिंग क्षमता 30 F होने पर यह बर्फ बन जाता है।
  • बर्फ बनने में लगभग 18 घंटे लगते हैं।

पानी की किल्लत वाली बहुत सी जगहों पर बर्फ बनाने के लिए गंदे पानी और केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पेट संबंधी बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में फूड रेगुलेटर अथॉरिटी की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि खाने-पीने की चीजों को ठंडा करने वाला बर्फ खतरनाक है। वहीं, सड़क किनारे बर्फ के गोले से लेकर जूस तक में फैक्ट्री में बनी बर्फ का ही इस्तेमाल किया जाता है।

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