भिण्ड …लोगो को बीमारी के भमर में डकेल रही हे .. मोबाइल टॉवरों की तरंगें …?
लोगो को बीमारी के भमर में डकेल रही हे
मोबाइल टॉवरों की तरंगें
नियमों को ठेंगा दिखा घनी आबादी में छतों पर संचालित हो रहे दूरसंचार टॉवर
भिण्ड. नियम के मुताबिक एकल एंटीना का टॉवर के इर्दगिर्द 20 मीटर तक आवासीय क्षेत्र नहीं होना चाहिए, जबकि दो एंटीना वाले टॉवर से बस्ती की दूरी 35 मीटर निर्धारित है। वहीं 12 एंटीना वाले टॉवर से रिहायशी इलाके की दूरी 75 मीटर होना आवश्यक है। भिण्ड शहर में इन नियमों को प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के चलते आवासीय क्षेत्र से टॉवर दूर लगाना तो अलग घरों की छतों पर ही टॉवर खड़े कर दिए गए हैं।
बिना निरीक्षण किए दी जा रही स्वीकृति
गौरतलब है कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन दफ्तर से विभिन्न कंपनियों को टॉवर लगाने की अनुमति बिना स्थल निरीक्षण किए प्रदान की जा रही है। यही वजह है कि बड़े स्तर पर नियमों का मखौल उड़ाते हुए लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। विदित हो कि शहर के 39 वार्डों के विभिन्न आवासीय इलाकों में करीब 100 टेलीफोन टॉवर खड़े नजर आ रहे हैं।
बिना एनओसी खड़े कर दिए गए टॉवर
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण अंचल में लगाए गए दूरसंचार टॉवर ग्राम पंचायत की एनओसी लिए बिना ही संचालित किए जा रहे हैं। नगरीय निकाय क्षेत्र में संबंधित अधिकारी एनओसी बिना पड़ताल किए ही जारी करते आ रहे हैं। इसके पीछे उपरोक्त अधिकारियों का दूरसंचार कंपनियों से क्या स्वार्थ है यह तो जांच में ही स्पष्ट हो सकेगा। बहरहाल आमजन के लिए उत्पन्न की जा रही मुसीबत की लगातार अनदेखी की जा रही है।
विभाग से केवल लाइसेंस प्रदान किया जाता है। टॉवर कहां लगना है और कहां नहीं इसके लिए नगर पालिका या ग्राम पंचायत द्वारा एनओसी प्रदान की जाती है।
एसके ऋषिश्वर, टीडीएम बीएसएनल
ऐसी दूरसंचार कंपनियों को नोटिस जारी किए जाएंगे जिन्होंने नियम विपरीत टॉवर लगाए हैं। इस संबंध में शहर के विभिन्न इलाकों का भ्रमण भी किया जाएगा।
सुरेंद्र कुमार शर्मा, सीएमओ नपा
02 लाख से अधिक आबादी है भिण्ड शहर की
100 करीब टॉवर संचालित हो रहे आवासीय क्षेत्र में
20 से 35 और 75 मीटर का दायरा नहीं बनाया जा रहा आवासीय क्षेत्र से
शहर में घनी आबादी के बीच घरों की छत पर नियमों को दरकिनार कर लगाए गए टॉवर आमजन को बीमारियों के भंवर में धकेल रहे हैं। दूरसंचार विभाग के अधिकारियों द्वारा इस ओर प्रभावी कार्रवाई नहीं किए जाने से घनी बस्तियों में टॉवरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। टॉवर की तरंगें आंतरिक एवं मानसिक रूप से अपंग बनाने का काम कर रही हैं।
जनसाधारण को सता रहा इन बीमारियों का खौफ
वि दित हो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की खतरनाक लहरें लोगों को थकावट, तनाव, चिड़चिड़ापन, नींद उड़ जाने, ब्रेन टॺूमर एवं याददाश्त कमजोर होना आदि समस्याओं का शिकार बना रही हैं। यह तरंगें वृक्षों के अलावा पशु-पक्षियों के लिए भी हैं घातक हैं। लिहाजा आमजन को कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाने का डर सता रहा है। लोगों का आरोप है कि बस्तियों में लगे टॉवरों को हटवाने के लिए जिला प्रशासन को कई बार शिकायतें की गईं मगर सार्थक कार्रवाई नहीं हो पाई है।
टेलीफोन टॉवर लगाए जाने के हैं ये नियम
उ ल्लेखनीय है पांच मीटर से कम चौड़ी गली के इलाके में टॉवर नहीं लगाया जा सकता। वहीं एकल एंटीना टावर के आसपास 20 मीटर तक रिहायशी इलाका नहीं होना चाहिए। जहां टॉवर लगाया जा रहा है वह जगह आवास विहीन होना आवश्यक है। कम आबादी वाले क्षेत्र में जिस भवन पर टॉवर लगाया जा रहा है वह भवन पांच से छह मंजिला होना जरूरी है। दो एंटीना वाले टावर के सामने घर की दूरी 35 और 12 एंटीना वाले टॉवर से घरों की दूरी 75 मीटर तक होना अनिवार्य है।
भिण्ड शहर की घनी बस्ती में लगे दूरसंचार टॉवर
टॉवर की समस्या पर ये बोले लोग
टावर लगने के बाद स्मरणशक्ति कमजोर होना महसूस हो रहा है। इसके अलावा थकावट का अहसास होता रहता है, जबकि ऐसा टॉवर लगने से पूर्व नहीं था। जिम्मेदार अफसरों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
दीपक जोशी, छोटी माता गढ़ैया भिण्ड
घर के पास टॉवर लगने के बाद दो साल से चिड़चिड़ापन व अनिद्रा की समस्या उत्पन्न होने लगी है। टॉवर लगने से पूर्व पूरी तरह से स्वस्थ था। टॉवर के पास रह रहे अन्य लोग भी ऐसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
डॉ. इकरार खान, खिड़किया मोहल्ला भिण्ड
टॉवर लगने के बाद से तनाव तथा अनिद्रा की समस्या पैदा हो गई है। इसके अलावा आसपास के वृक्ष घोंसला विहीन हो गए हैं। पक्षी या तो खत्म हो गए या पलायन कर गए।
रामकुमार शर्मा, गोविंदनगर भिण्ड