उद्धव से बीस मिनट बात करने के बाद और बढ़ी दूरियां, गुवाहाटी पहुंचे बागी विधायक, Shinde ने Twitter से Shivsena हटाया

महाराष्ट्र में उद्धव सरकार का बचना अब मुश्किल दिख रहा है। बागी विधायकों और उद्धव सरकार के बीच दूरी बढ़ती ही जा रही है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बुधवार को दावा किया कि पार्टी के 40 विधायक असम पहुंच गए हैं और कहा है कि वे बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को आगे बढ़ाएंगे। उनकी टिप्पणी तब आई जब अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिंदे अन्य विधायकों के साथ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने के लिए भाजपा में शामिल हो सकते हैं ….

बागी विधायकों के साथ असम की राजधानी गुवाहटी पहुंचे एकनाथ शिंदे ने कहा है कि कुल शिवसेना के विधायक समेत कुल 40 विधायक यहां मौजूद हैं।’ हम बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को लेकर चलेंगे।’ शिंदे ने कहा कि, मैं यहां अपने निजी संबंधों के चलते आया हूं। उन्होंने किसी भी कार्यक्रम का खुलासा नहीं किया है। शिंदे ने कहा कि ”उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को नहीं छोड़ा है। ‘हम बालासाहेब के हिंदुत्व का अनुसरण करते रहे हैं और इसे आगे भी करेंगे।”
शिंदे और ठाकरे में बात, पर नहीं सुलझा विवाद
आज सुबह चार्टर्ड विमान से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 40 बागी विधायक गुवाहाटी पहुंचे हैं। इससे पहले देर रात उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच फोन पर करीब 20 मिनट बातचीत भी हुई लेकिन शिंदे अपने रुख पर अड़े रहे। शिंदे बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात कर रहे हैं वहीं उद्धव इसके लिए तैयार नहीं हैं।
एमएलसी चुनाव के बाद उठा मसला
महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) चुनावों में संदिग्ध क्रॉस-वोटिंग के बाद यह साराम मामला आया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को एक बड़ा झटका दिया था। राकांपा और शिवसेना ने दो-दो पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस विधान परिषद की कुल 10 सीटों में से एक सीट पर कब्जा करने में सफल रही थी। एमएलसी चुनावों के बाद, शिंदे शिवसेना के कुछ अन्य विधायकों के साथ सूरत के ले मेरिडियन होटल में ठहरे थे। सूरत में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी मिलिंद नार्वेकर और रवींद्र फाटक वाले शिवसेना प्रतिनिधिमंडल ने भी शिंदे और अन्य पार्टी विधायकों से सूरत में मुलाकात की थी। शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को पुष्टि की थी कि शिवसेना के कुछ विधायक और एकनाथ शिंदे वर्तमान में “पहुंच से दूर” थे। उन्होंने कहा कि शिवसेना के विधायक सूरत में थे और उन्हें वहाँ से जाने नहीं दिया जा रहा था।
हम बाला साहब ठाकरे के पक्के शिव सैनिक
इस सारे राजनीतिक ड्रामे के बीच, शिंदे ने राज्य में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिलाने के लिए शिवसेना पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया और ट्वीट किया कि, “हम हैं बालासाहेब के पक्के शिवसैनिक…बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है। बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद दिघे साहब की शिक्षाओं के चलते में हमने सत्ता के लिए कभी धोखा नहीं दिया है और न ही धोखा देंगे।

ट्विटर बायो से शिवसेना हटाया

शिंदे ने अपने ट्विटर बायो से “शिवसेना” को भी हटा दिया है। माना जाता है कि उन्होंने ठाणे क्षेत्र में संगठन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और 2014 में शिवसेना के भाजपा से अलग होने के बाद उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया था। शिंदे को एमवीए सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि शिंदे एमवीए सरकार के गठन के बाद से खुद को अलग-थलग महसूस करते रहे हैं। उनके बेटे श्रीकांत शिंदे भी कल्याण लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन घटनाक्रमों के बीच, शिवसेना नेताओं ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल से मुलाकात की और उन्हें एक पत्र सौंपकर एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटाने और उन्हें अजय चौधरी को बनाए जाने अनुरोध किया है।
तकनीकी रूप से अल्पमत में एमवीए सरकर
इस बीच, महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि “तकनीकी रूप से” राज्य सरकार “अल्पसंख्यक” हो चुकी है क्योंकि एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायक छोड़ कर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा वर्तमान में “इंतजार करो और देखो” के मोड में है और कहा कि न तो भाजपा की ओर से और न ही शिंदे की ओर से सरकार गठन के संबंध में कोई प्रस्ताव आया है।”
हमें मिल रहा है निर्दलीय विधायकों का साथ
उन्होंने कहा कि राज्यसभा और एमएलसी चुनावों के लिए भाजपा को निर्दलीय और छोटे राजनीतिक दलों का समर्थन मिला। हमारी जानकारी के अनुसार, एकनाथ शिंदे और 35 से अधिक विधायकों ने शिवसेना का साथ छोड़ दिया है। इसका मतलब है कि तकनीकी रूप से राज्य सरकार अल्पमत में है लेकिन व्यावहारिक रूप से सरकार को अल्पमत में होने में कुछ समय लगेगा।”
राजनीति में कुछ भी हो सकता है
उन्होंने कहा कि आगे कुछ भी कहने के लिए, ‘हम आगे घटना क्रम की प्रतीक्षा कर रहे हैं और स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अभी तक न तो भाजपा की ओर से और न ही एकनाथ शिंदे की ओर से सरकार बनाने का कोई प्रस्ताव आया है, लेकिन राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है।’
बता दें, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ते हुए मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर शिवसेना और भाजपा दोनों अलग हो गए थे। राजनीतिक गतिरोध और हाई-वोल्टेज ड्रामा के दिनों के बाद, शिवसेना ने अंततः मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई और उद्धव इस महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

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