ग्वालियर : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए बड़ी चुनौती 12 महीने करने हैं 400 करोड़ के काम

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए बढ़ाई गई दो साल की अवधि को पूरा होने में अब 12 महीने ही बचे हैं। लेकिन कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम होना बाकी है। प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों और इंजीनियरों के सामने दो बड़े टॉस्क चुनौती के रूप में हैं। इनमें एक है- 15.62 किमी की स्मार्ट रोड और दूसरा है- अंतरराज्यीय बस टर्मिनल का निर्माण। इसके साथ ही 80 सीएनजी बसों का संचालन करना भी बाकी है।

हालांकि जिम्मेदार अफसरों का कहना है कि पूरी कोशिश होगी कि स्मार्ट सिटी परियोजना के सभी प्रोजेक्ट एक साल में पूरे कर लिए जाएं। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इतने समय में यह कर पाना संभव दिखाई नहीं दे रहा।

उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पांच साल के लिए था। यह अवधि पूरी होने पर जून 2021 में केंद्र सरकार ने देश की 100 स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ाया था। यह फैसला कोरोना संक्रमण के चलते बार-बार हुए लॉकडाउन के कारण प्रोजेक्ट पर काम न हो पाने के कारण लिया गया था।

ये चल रहे हैं प्रोजेक्ट

स्मार्ट रोड, पेडस्ट्रियल जोन एवं अंडर ग्राउंड मल्टी लेवल पार्किंग

300 करोड़ के प्रोजेक्ट में सिर्फ वीर सावरकर मार्ग के दो किलोमीटर में स्मार्ट रोड पर काम 90% हो गया है। बिजली कंपनी द्वारा अंडर ग्राउंड केबल के काम को हरी झंडी नहीं देने से आगे का कार्य रुका है। मल्टी लेवल पार्किंग के नाम पर ओल्ड कलेक्ट्रेट के मैदान में गड्ढा ही नजर आ रहा है। पेडस्ट्रियल जोन का काम ही शुरू नहीं हो सका है।

हुजरात मंडी प्रोजेक्ट: पुनर्निर्माण का काम शुरू हो चुका है। इस पर 7.25 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है।

इनको अभी कागज से धरातल पर उतरने का इंतजार

  • आईएसबीटी: 56 करोड़ की लागत वाला अंतरराज्यीय बस टर्मिनल अभी कागजों में ही है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी को आवंटित किया जाएगा।
  • स्मार्ट स्कूल: शिक्षा नगर में 13 करोड़ की लागत से स्मार्ट स्कूल बनना है। आनन-फानन में लिए फैसले के कारण जमीन संबंधी विवाद लंबित है।
  • ओल्ड कलेक्ट्रेट: यहां पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत क्रॉफ्ट मार्केट तैयार किया जाना है। इसकी कोई पहल नजर नहीं आ रही है।
  • प्रेस बिल्डिंग महाराज बाड़ा: इमारत को खाली करा लिया गया है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया फाइनल होना अभी शेष है। इस पर 7 करोड़ खर्च होंगे।
  • सीएनजी बस सेवा: 80 सीएनजी बसों के लिए रूट तैयार होना हैं। 60 बसें शहर में और 20 बसें इंटरसिटी के रूप में दूसरे शहरों में चलाने की योजना है। 12 महीने में पूरा प्रोजेक्ट होना मुश्किल है। प्रोजेक्ट 18 करोड़ का है।

स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट टाइम लिमिट में पूरे करेंगे

स्मार्ट सिटी के छोटे प्रोजेक्ट जल्दी पूरे हो जाएंगे। लेकिन स्मार्ट रोड, अंडर ग्राउंड मल्टी लेवल पार्किंग, आईएसबीटी जैसे प्रोजेक्ट 12 महीने में पूरे करना चैलेंज है। स्मार्ट सिटी की टीम दिन-रात मेहनत कर इन्हें टाइम लिमिट में पूरा करेगी।

-नीतू माथुर, प्रभारी सीईओ स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन

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