यूपी के 4 चुनाव में हार के बाद एक्शन …?
सपा, बसपा ने अपने नेताओं को सबसे ज्यादा हटाया; राहुल खुद अपनी सीट गवां बैठे थे…
चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा। पॉलिटिक्स में जीत का क्रेडिट मिलता है, तो हार पर एक्शन भी होते हैं। विधानसभा चुनाव 2022 के मिली हार के बाद अखिलेश यादव ने संगठन की कार्यकारिणी भंग की हैं। ये एक्शन चुनाव नतीजों के 100 दिन बाद हुआ। सपा की तरफ से बताया गया,”केवल प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम अपने पद पर बने रहेंगे।”
सिर्फ सपा में ही नहीं, बसपा और कांग्रेस पार्टियों में भी अपने लीडर पर कार्रवाई की हिस्ट्री है। आपको 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक हुई पॉलिटिकल एक्शन के बारे में बताते हैं।

समाजवादी पार्टी
हर हार के बाद कार्यकारिणी भंग की गई
2014 लोकसभा चुनाव : सपा को 80 में से 10 सीटें मिली थी। यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी। अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था।
2017 विधानसभा चुनाव : सपा हार गई। भाजपा जीती थी। अखिलेश ने सभी कार्यकारिणी को भंग किया था। नरेश उत्तम प्रदेश अध्यक्ष बने रहे थे। शिवपाल को भी नई कार्यकारिणी में जगह नहीं दी थी।
2019 लोक सभा चुनाव : अखिलेश ने सपा नई इकाई के गठन में यूथ विंग के 4 फ्रंटल के अध्यक्ष बदले थे। सपा ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लोकसभा का लड़ा था।
2022 विधानसभा चुनाव : अखिलेश ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी और प्रदेश की कार्यकारिणी को भंग किया। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम एक बार फिर से बचे हुए है।

बहुजन समाज पार्टी
हार मिली या जीत, बसपा में फेरबदल जरूर हुए
2014 लोकसभा चुनाव : बसपा का खाता ही नहीं खुल सका था। राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने यूपी के 5 जोनल कोआर्डिनेटर्स को बर्खास्त किया था। जिनमें जुगल किशोर, मुनकाद अली, डॉ. बलिराम, गया चरण के नाम शामिल हैं।
2017 विधानसभा चुनाव : बसपा के 12 से ज्यादा वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार बनी। बसपा प्रमुख ने सभी संगठन के मंडल कोऑर्डिनेटर का फेरबदल करते हुए नई टीम बनाई थी।
2019 लोकसभा चुनाव : बसपा को 10 सीटें मिली। सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। मायावती ने प्रदेश अध्यक्ष बदलते हुए भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। राम अचल, राजभर लाल जी वर्मा को पार्टी से बाहर किया।
2022 विधानसभा चुनाव : प्रबुद्ध सम्मेलन की जिम्मेदारी संभालने वाले नकुल दुबे को पार्टी से निकाला। बसपा प्रमुख ने मंडल कोऑर्डिनेटर, प्रदेश प्रभारी की व्यवस्था को बदलते हुए 6 सेक्टर प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी।

कांग्रेस
सिमटती रही कांग्रेस, नेता जिम्मेदारी लेते रहे
2014 लोकसभा चुनाव : कांग्रेस सिर्फ रायबरेली, अमेठी सीट ही जीत पाई थी। प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री को कांग्रेस ने तत्काल नहीं हटाया। लेकिन 2017 चुनाव विधानसभा से दो महीने पहले हटा दिया।
2017 विधानसभा चुनाव : कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर रहे। यूपी में 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा। केवल रायबरेली सीट जीती। अमेठी सीट गंवाने के बाद बाद राज बब्बर को हटा दिया गया।
2019 लोकसभा चुनाव : कांग्रेस ने 2 बार के विधायक रहे अजय लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी ही सीट नहीं बचा सके। इस हार की जिम्मेदारी भी खुद राहुल ने ली थी।
2022 विधानसभा चुनाव : कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने अजय लल्लू का इस्तीफा ले लिया। जिसके बाद से अभी तक कोई अध्यक्ष नहीं बनाया गया।
सपा संगठन भंग करने पर केशव प्रसाद ने ली चुटकी
3 जुलाई को अखिलेश यादव के एक्शन पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने चुटकी ली। कहा, ”अखिलेश की अगुवाई में सपा 4/0 से चुनाव हार चुकी है। पहले 2014 फिर 2017, 2019 और अब 2022। सपा का कुशासन नहीं, भाजपा का सुशासन चाहिए! गुंडागर्दी, दंगा, नहीं गरीबों और यूपी का विकास चाहिए।‘