नेताओं ने दलबदलू प्रवृत्ति नहीं छोड़ी:स्वार्थ की राजनीति में धंसते गए और हम महंगाई की मार से पिसते गए

समय-समय पर राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने अपने राजनीतिक स्वार्थों और कई बार अत्यधिक निजी मामलों को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर सरकारें गिरा दीं। जैसे-जैसे हम आजादी की तारीख के बाद का फासला तय करते गए, राजनीतिक स्वार्थ में उतने ही अधिक धंसते चले गए।

स्वार्थ की इस राजनीति में हमेशा आम आदमी पिसता गया। इस दल से उस दल में जा जाकर सरकारें गिराई गईं और खर्चीले चुनाव बार-बार आम आदमी पर डाले गए। हम महंगाई के बोझ तले दबते गए, लेकिन नेताओं ने अपनी दलबदलू प्रवृत्ति नहीं छोड़ी।

राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग तो बहुत छोटी बात है। सोमवार को पता चला कि राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा क्रॉस वोटिंग कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और और NCP के सांसद-विधायकों ने की। NCP महाराष्ट्र और सपा उत्तरप्रदेश तक सीमित है, लेकिन कांग्रेस को क्या हो गया है?

मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव में सर्वाधिक सीटें लाकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस विधायकों की टूट के कारण सरकार गंवा देती है। अब निकाय चुनावों में 11 में से उसके 3 महापौर जीतते हैं।
मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव में सर्वाधिक सीटें लाकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस विधायकों की टूट के कारण सरकार गंवा देती है। अब निकाय चुनावों में 11 में से उसके 3 महापौर जीतते हैं।

कभी कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर खेत की मिट्टी में जिस कांग्रेस की सुगंध आती थी वह अब लगातार हार के बावजूद कोई सबक नहीं लेना चाहती। उसके खुद के सांसद-विधायकों का शायद पार्टी में विश्वास नहीं रहा।

हाल ही में मध्यप्रदेश निकाय चुनावों में हुई कांग्रेस की करारी हार किसी से छिपी नहीं है। पिछले चुनाव में सर्वाधिक सीटें लाकर मप्र में सरकार बनाने वाली कांग्रेस पहले तो अपने ही विधायकों की टूट के कारण सरकार गंवा देती है। और अब निकाय चुनावों में 11 में से उसके केवल तीन महापौर जीत पाते हैं।

महापौर तो ठीक है, ग्राउंड पर उसकी पकड़ की स्थिति यह है कि कई निकायों में उसके जीते हुए पार्षदों की संख्या भाजपा के मुकाबले आधे से भी कम है। कुछ जगह तो हाल यह है कि महापौर कांग्रेस का जीता, जबकि पार्षद वहां भाजपा के ज्यादा हैं।

राष्ट्रपति चुनाव में भी NDA की भारी जीत तय मानी जा रही है। 61% वोट उसने चुनाव के पहले ही तय कर लिए थे। ऊपर से ये क्रॉस वोटिंग जीत को और भी बड़ी बनाने वाली है।
राष्ट्रपति चुनाव में भी NDA की भारी जीत तय मानी जा रही है। 61% वोट उसने चुनाव के पहले ही तय कर लिए थे। ऊपर से ये क्रॉस वोटिंग जीत को और भी बड़ी बनाने वाली है।

अगर समय रहते कांग्रेस अपनी स्थिति का सही आंकलन कर सही कदम नहीं उठाती तो निश्चित ही उसका बुरा हाल होने वाला है। जहां तक भाजपा का सवाल है, वह जैसे भी हो सत्ता में बलशाली बनकर रहना चाहती है और इसके लिए वह साम, दाम, दण्ड, भेद सब कुछ अपनाती है और जीतती है।

हालांकि, मतों की गिनती 21 जुलाई को होनी है लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में भी भाजपा या NDA की भारी जीत तय मानी जा रही है। 61% वोट उसने चुनाव के पहले ही तय कर लिए थे। ऊपर से ये क्रॉस वोटिंग जीत को और भी बड़ी बनाने वाली है।

बहरहाल, जिस कांग्रेस की अगुआई में विपक्ष ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया उसी के सांसद, विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे, यह किसी ने सोचा तक नहीं था। पार्टी नेतृत्व को इस ओर हर हाल में सोचना होगा।

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