फ्लोर मैनेजमेंट और सांसदों में देशभक्ति जगाने से तीन तलाक बिल पारित हुआ: रविशंकर प्रसाद
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि तीन तलाक विधेयक का पारित होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है। कई दलों के विरोध के बावजूद सरकार तीसरे प्रयास में संसद से इस विधेयक को पारित कराने में सफल रही है। जिसका श्रेय वह ‘फ्लोर मैनेजमेंट’ और सांसदों में देशभक्ति की भावना जागने को देते हैं।
सवाल : राज्यसभा में आपके पास संख्याबल नहीं है फिर विधेयक कैसे पारित हुआ ?
जवाब : नए जनादेश के बाद हम उत्साह और संकल्प के साथ इस विधेयक को लेकर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे लेकर दृढ़ प्रतिज्ञ थे। मेरी अपनी भी प्रतिबद्धता थी। हमने प्रभावी रूप से अपनी बात को राज्यसभा में रखा। इससे काफी लोग बदले। लेकिन पीड़ा की बात यह है कि 2019 में भी कांग्रेस का स्वर शाहबानो वाला ही था।
सवाल : लेकिन विरोध में खड़े क्षेत्रीय दलों के सदस्य वोटिंग के वक्त गायब क्यों हो गए ?
जवाब : हमने सबको समझाया कि ये विधेयक महत्वपूर्ण है। एक राजनीतिक शब्द है फ्लोर मैनेजमेंट, हमने वो किया। हमने बताया कि ये विधेयक देश हित का है। कई बार देशभक्ति की भावना जागती भी तो है? इसके अलावा और कोई वजह नहीं थी।
सवाल : आपके घटक जेडीयू का वाकआउट करना तो तय था लेकिन अन्नाद्रमुक ने क्यों विरोध किया ?
जवाब : उसकी अपनी राजनीतिक मजबूरियां रही होंगी। लेकिन वॉकआउट करके उसने विधेयक के खिलाफ वोट नहीं किया।
सवाल : क्या राज्यसभा में आप बहुमत में आ चुके हैं ?
जवाब : देखिए, देश में दोनों सदनों का महत्व है। मैं भी राज्यसभा में रहा हूं। लेकिन जनता का समर्थन किसके पास है, यह लोकसभा में तय होता है। राज्यसभा विस्तार से चीजों को परखे, हम इसका सम्मान करते हैं। लेकिन कुछ लोग अपने पुराने बड़े आंकड़े के कारण सोचते हैं वे विधेयक को रोकेंगे, यह ठीक नहीं।
सवाल : बिल को प्रवर समिति को भेजने में क्या दिक्कत थी ?
जवाब : हम प्रवर समिति का सम्मान करते हैं। लेकिन विधेयक को लटकाने के लिए प्रवर समिति में भेजने की मांग स्वीकार्य नहीं। मैंने कहा कि विधेयक पर अच्छे सुझाव दीजिए तुरंत शामिल करुंगा। लेकिन दोनों सदनों में ऐसे सुझाव नहीं मिले।
सवाल : शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए 1986 में जो मुस्लिम महिला तलाक संरक्षण कानून बना था अब उसकी क्या स्थिति है ?
जवाब : वह कानून अपनी जगह है। वो सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिलाओं को गुजारे भत्ते के लिए है। यह तीन तलाक के खिलाफ है। दोनों के अधिकार क्षेत्र अलग-अलग हैं।
सवाल : क्या मौजूदा परिस्थितियों में उस कानून को बदले जाने की जरूरत महसूस करते हैं ?
जवाब : उसे देखना पड़ेगा। एक मौलिक बात देखिए। 1986 में 2019 में क्या अंतर है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उस समय शाहबानो अकेले थी, आज मुस्लिम बेटियां साथ खड़ी हैं। पूरा समाज उनके साथ खड़ा है।
सवाल : कानून का क्रियान्वयन कैसे होगा ?
जवाब : अध्यादेश के जरिये पहले से हो रहा है। लोग जेल जा रहे हैं। कानून का भय चीजों को रोकता है। जो लागे गुस्से में आकर, रोटी जल जाने पर, पत्नी के देर से उठने पर तीन तलाक दे देते थे। उन्हें अब जेल जाने का डर लगता है।
सवाल : गुजारा भत्ता कैसे दिया जाएगा ?
जवाब : इसके प्रावधान तय होते हैं। जो जिस हैसियत का व्यक्ति होता है, उसी हिसाब से गुजारा भत्ता देना होता है।
सवाल : पति-पत्नी में समझौते की गुंजाइश कब होग ?
जवाब : मजिस्ट्रेट पत्नी से पूछेगा कि क्या तुम्हारे पति सुधर गए हैं। यदि पत्नी हामी भरती है तो इससे समझौता की राह खुलेगी।
सवाल : क्या निकाह हलाला पर कानून लाएंगे ?
जवाब : हम इसे उचित नहीं मानते। यह मामला कोर्ट में उठाया गया है। सरकार अपना जवाब वहां देगी।
सवाल : इस कानून का दुरुपयोग नहीं हो, यह कैसे सुनिश्चित होगा ?
जवाब : एफआईआर पीड़ित पत्नी या परिजन ही लिखा सकते हैं। पड़ोसी या कोई अन्य एफआईआर नहीं करा सकता। दूसरे, समझौता या जमानत मजिस्ट्रेट के संतुष्ट होने पर ही मिल सकती है। इन प्रावधानों से इस कानून का दुरुपयोग नहीं होगा।