खुद से सवाल करें कि सोशल मीडिया क्या आपकी नौकरी है और इससे आपको पैसा मिलता है?

इसका जवाब आपको पूरा लेख पढ़ने पर मिलेगा। शनिवार को यूट्यबू स्टार, शर्ली सेतिया से मेरी दो बार मुलाकात हुई। पहली, भोपाल में दोपहर को उनकी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में, जहां मैं इत्तेफ़ाक से पहुंचा था और दूसरी, भोपाल से मुंबई की फ़्लाइट में, जहां वे मेरी बगल वाली सीट पर थीं। तब मैंने इस 25 वर्षीय पॉप स्टार से चार सबक सीखे।

जैसे कोई भी बच्चा आज मोबाइल फ़ोन लेकर, इंस्टाग्राम पर रील बनाता है, वैसे ही शर्ली ने अपना पहला वीडियो माता-पिता के घर, न्यूज़ीलैंड में रात एक बजे रिकॉर्ड किया था। इसमें उन्होंने ‘आशिकी 2’ का गाना ‘तुम ही हो’ गाया था। स्वाभाविक है कि इतनी रात को ज़्यादातर लोग पजामे में होते हैं और शर्ली भी वीडियो में यही पहने थीं।

वीडियो ने टी-सीरीज़ का एक कॉन्टेस्ट जीता और इससे शर्ली को ‘पजामा पॉप स्टार’ नाम मिला। यहां से उनकी ऑनलाइन लोकप्रियता बढ़ती गई और बाद में ‘बोल दो न ज़रा’ और ‘सनम रे’ जैसे गानों को 2.3 करोड़ व्यूज़ तक मिले। आज विभिन्न प्लेटफॉर्म पर शर्ली के करोडों फॉलोअर्स हैं। पहला सबक मैंने ये सीखा कि किसी भी माध्यम में सबसे पहले शुरुआत करने वाले बनें और अक्सर छोटे-छोटे जोखिम उठाते रहें, जैसे उस रात शर्ली ने किया।

मुझे शर्ली की यह बात अच्छी लगी कि उन्होंने ऑनलाइन माध्यम तब चुना, जब यह आज जितना बड़ा माध्यम नहीं था, जहां अब कई आर्टिस्ट और म्यूज़िक सामने आते रहते हैं। जब कई लोग इस माध्यम पर आने लगे, शर्ली ने अपने वीडियो में कुछ अलग करना शुरू किया। उन्हें अहसास हुआ कि कॉन्टेंट खोजने वालों को अब सिर्फ़ पारंपरिक गाने नहीं चाहिए। उन्हें शानदार गाने के साथ साउंड इफ़ेक्ट भी चाहिए।

बेशक, अब यूज़र की पसंद के आधार पर संगीत बनाने और सुनने का तरीका बदल गया है। शर्ली को इसका अहसास काफ़ी पहले हो गया था। उन्होंने खुद वीडियो बनाए, एडिट किए और उनकी मार्केटिंग सीखी। इसमें मार्केटिंग और इंफॉर्मेशन सिस्टम की उनकी डिग्री भी काम आई, जो उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑकलैंड से हासिल की थी। दूसरा सबक यह था कि ज़िंदगी में कुछ भी करें लेकिन पढ़ाई ज़रूर पूरी करें।

अगर पढ़ाई आपके काम से जुड़ी है तो सोने पर सुहागा। तीसरा सबक मैंने यह सीखा कि यह युवती ऐसी दुनिया में भावनात्मक रूप से कितनी मज़बूत है, जहां कई ऑनलाइन माध्यमों ने प्राइवेसी की धज्जियां उड़ा दी है। सिटी भास्कर के एक पत्रकार ने शर्ली से पूछा, ‘आप ट्रोल (मज़ाक उड़ाना) करने वालों का सामना कैसे करती हैं?’ उन्होंने बस इतना ही कहा, ‘उन्हें नज़रअंदाज़ करें, वे ऐसा करते ही रहेंगे।’

सभी युवा यह सबक ज़रूर लें क्योंकि हम जानते हैं कि किसी के ट्रोल करने पर वे आसानी से भावुक और परेशान हो जाते हैं। बाद में मैंने शर्ली से पूछा कि वे सोशल मीडिया पर, वीडियो बनाने और फॉलाअर्स को जवाब देने में कितना वक्त बिताती हैं तो उन्होंने कुछ सोचकर एक नंबर बताया। फिर अचानक उन्हें अहसास हुआ कि मैं नंबरों में अच्छा हूं और मुझे उनके नंबर पर भरोसा नहीं है तो उन्होंने नंबर बदलकर कहा, ‘पांच घंटे।’ मैंने थोड़ा आश्चर्य दिखाया तो वे माफ़ी वाले भाव से बोलीं, ‘मैं इसे कम करने की कोशिश करूंगी।’

तब मैंने उनसे कहा, ‘आप इसे कम नहीं कर पाएंगी और इसके लिए बुरा महसूस करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि यह आपका काम है। आप जब ऑनलाइन होती हैं तो दरअसल ऑफ़िस में होती हैं। इसलिए चिंता न करें।’ यह चौथा सबक था।

फंडा यह है कि खुद से सवाल करें कि सोशल मीडिया क्या आपकी नौकरी है? क्या इससे आपको पैसा मिलता है? क्या यह आपका करियर है? अगर जवाब हां है तो आगे बढ़ें और जो चाहें, वो करें क्योंकि सोशल मीडिया से आपकी दाल-रोटी चल रही है!

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