पुलिस का एनालिसिस …? ग्रामीण इलाकों में सड़क हादसों में 31% की मौत, क्योंकि यहां ट्रॉमा सेंटर नहीं हैं; एंबुलेंस भी वक्त पर नहीं पहुंचती

शहरी क्षेत्र में जहां हादसों में घायल करीब 16% लोगों की मौत हो रही है वहीं ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 31% से भी अधिक ….
  • पीटीआरआई की रिपोर्ट-सबसे ज्यादा सड़क हादसे ग्रामीण इलाकों में
  • हादसे रोकने के लिए पंचायतों की लेंगे मदद

ग्रामीण इलाकों में तेजी से बढ़ रहे सड़कों के नेटवर्क के साथ सड़क सुरक्षा के लिहाज से किए जाने वाले बंदोबस्त नाकाफी हैं। यही वजह है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में हादसों में घायल होने वाली की मौत का प्रतिशत ज्यादा है। शहरी क्षेत्र में जहां हादसों में घायल करीब 16% लोगों की मौत हो रही है वहीं ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 31% से भी अधिक है। मध्यप्रदेश पुलिस ट्रेनिंग और रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीटीआरआई) ने प्रदेश में 2021 में हुए सड़क हादसों का एनालिसिस में यह बात सामने आई। इसके मुताबिक पिछले साल भोपाल में 2616 सड़क हादसे हुए।

इनमें 725 एक्सीडेंट भोपाल से सटे ग्रामीण इलाको में हुए हैं। इसमें, 149 लोगों की मौत हुई और 612 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। जबकि प्रदेश में 2021 में 48 हजार 877 सड़क हादसे हुए, इनमें से 28,175 हादसे ग्रामीण इलाकों में हुए। इनमें 8562 लोगों की जान गई। यानी, लगभग 30% लोगों की मौत हुई। वही शहरीय इलाकों में हुए 20702 हादसों में 3495 यानी करीब 16.88% मौत हुई। एनालिसिस के दौरान यह पाया गया की ग्रामीण इलाकों से गुजरने वाले नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे सहित दूसरी सड़कों पर आवश्यकतानुसार संकेतक नहीं लगाए गए हैं। ढ़लान और मोड़ समेत अन्य ऐसे स्थान जहां वाहनों की स्पीड कंट्रोल करने की जरूरत होती वहां भी पर्याप्त बंदोबस्त नहीं किए गए हैं। यही वजह है कि इन क्षेत्रों में हादसे ज्यादा हो रहे हैं।

हादसे रोकने के लिए पंचायतों की लेंगे मदद

अफसरों ने बताया कि पीटीआरआई ने इस फाइंडिंगस को सड़क निर्माण एजेंसी के साथ साझा किया है। पीटीआरआई ने मैनिट जैसे कुछ इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट से एमओयू किया है। निर्माण एजेंसी के लोगो को ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि जरूरी सुधार हों और सड़क हादसों में कमी आए। पीटीआरआई ने पंचायती राज विभाग और अर्बन एडमिनिस्ट्रेशन को पत्र लिखकर ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों की सहभागिता सुनिश्चित करने को कहा है। अगर स्थानीय निकाय और पंचायतें सहयोग करेंगी तो ग्रामीण इलाकों में सड़क हादसे रोकने में बहुत मदद मिलेगी।

रिसर्च के निष्कर्ष अलग-अलग विभागों को भेजे गए हैं

रिसर्च के निष्कर्ष से सड़क निर्माण एजेंसी के अलावा संबंधित विभाग पंचायती राज, शहरी विकास विभाग के साथ ही यातायात पुलिस को भी भेजा है। मैनिट जैसे कुछ और संस्थानों से एमओयू किया है। निर्माण एजेंसी के लोगो को ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि सड़क हादसों को कम किया जा सके।
जी. जर्नादन, एडीजी, पीटीआरआई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *