एमपीटेट:शिवम ने आयु सीमा कम कराकर ढाई लाख को दिया शिक्षक बनने का मौका, 95 हजार क्वालिफाई
- शिवम पयासी
शिवम ने दिसंबर 2019 में जारी परीक्षा का विज्ञापन देखते ही जिद ठान ली थी कि वह न्यूनतम आयु सीमा को 21 वर्ष से 18 साल कराकर ही दम लेगा। शिवम तब भोपाल में जवाहर चौक के पास एक रूम में रहकर कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा था। सबसे पहले शिवन ने दूसरे राज्यों में हुए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट के लिए तय की गई आयु सीमा की जानकारी जुटाई। जब उसे यह मालूम हुआ कि वहां कोई न्यूनतम आयु सीमा तय नहीं है तो उसका हौसला और बुलंद हो गया।
19 साल की उम्र में डीएलएड कर लिया था
शिवम ने बताया कि वह 2018 में 19 वर्ष का था तभी उसने डीएलएड कर लिया था। 2016 में उसने 12वीं कक्षा पास कर ली थी। 2020 में जब उसने इस परीक्षा के लिए फॉर्म भरा था तब उसकी उम्र महज 20 साल थी।
दूसरे राज्यों के उदाहरण दिए, बताया- वहां कोई न्यूनतम आयु सीमा तय नहीं है
शिवम ने बताया कि जनवरी 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के बंगले पर तमाम जानकारी लेकर वह सुबह ही पहुंच गया था। तत्कालीन सीएम के सामने उसने आयु सीमा के बंधन को लेकर तमाम तर्क रखे। शिवम ने बताया इसके बाद उसके कुछ साथियों के संग उन्होंने तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी से भी मुलाकात की। शिवम ने अधिकारियों को यह बताया कि जब इस परीक्षा के लिए तय की गई शैक्षणिक योग्यता में ग्रेजुएशन की जरूरत नहीं है तो न्यूनतम उम्र 21 वर्ष क्यों रखी गई। कुछ अन्य राज्यों के भी उदाहरण उनके सामने रखे। इसके कुछ दिन बाद ही राज्य सरकार को उम्र सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करनी पड़ी थी।