दिल्ली पुलिस ने पकड़ा शातिर लूट गैंग, वारदात से पहले नाबालिग से कराता था मुखबिरी

नई दिल्‍ली : दिल्ली के आउटर-नॉर्थ डिस्ट्रीक्ट स्पेशल स्टॉफ ने एक ऐसे शातिर गैंग का पर्दाफाश किया है. जो नाबालिग से फैक्ट्री कंपनी और दुकानदारों की मुखबरी करवाता था. नाबालिग की मुखबिरी के बाद लूट की वारदात को अंजाम दिया करता था. गैंग के चार बदमाशों को गिरफ्तार किया है. गैंग में एक नाबालिग को भी पकड़ा गया है. बदमाशों से उनके बाकी साथियों के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है.

आरोपियों की पहचान अनुज उर्फ काला, सोनू उर्फ भीम, रवि और परवेश के रूप में हुई है. आरोपियों के कब्जे से दो पिस्टल, आधा दर्जन कारतूस, चोरी की बाइक और लूट की रकम में से 55 हजार रुपये बरामद कर कई वारदातों को खुलासा किया है. आरोपी लक्ष्मी नगर में पांच लाख 82 हजार और बवाना में भी लूट की वारदात को अंजाम दे चुके हैं.

सोनू गैंग का सरगना है, जो चार बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका है. सोनू पहले भी दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है. बाकी तीनों का क्रिमिनल रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है. गैंग वारदात के वक्त हमेशा गोली चलाया करता था. पकड़े जाने के वक्त वह सामने वाले को गोली भी मारने से नहीं चूकता था. गैंग ने हरियाणा में किसी को मारने की मोटी रकम भी ले रखी थी.

आउटर-नॉर्थ डिस्ट्रीक्ट के डीसीपी के गौरव शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ समय से जिले में बाइक पर नकाबपोश लूट की वारदातों को अंजाम दे रहे थे. पुलिस की कई टीमें आरोपियों को पकड़ने के लिए काम कर रही थी. जिले में हुई लूट की वारदातों के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों को खंगाल रही थी. कई संदिग्धों को पकड़कर उनसे पूछताछ की गई था. इस बीच स्पेशल स्टाफ को पता चला. सेक्टर-4 डीएसआईआईडीसी इलाके में किसी फैक्ट्री में बदमाश लूट की वारदात को अंजाम देने वाले हैं.

इंस्पेक्टर अजय कुमार की देखरेख में सब इंस्पेक्टर कमलेश, एएसआई ओमबीर सिंह हेड कांस्टेबल योगेंद्र सिंह, नरेन्द्र, अनिल कांस्टेबल विकास, नरेन्द्र और सचिन को आरोपियों को पकड़ने का जिम्मा सौंपा गया. जांच टीम ने मौके पर घेराबंदी कर बदमाशों को गोली चलाने से पहले ही दबोच लिया.आरोपियों से पूछताछ करने पर पता चला कि वह पकड़े गए नाबालिग की मुखबरी पर ही लूट की वारदात को अंजाम दिया करते थे. नाबालिग फैक्ट्री, कंपनी और दुकान में नौकरी करता था. वह वहां पर आने जाने वाले पैसे पर निकाह रखता था. जिसकी मुखबरी वह अपने साथियों को दे दिया करता था. इस तरह से इन संस्थाओं के कर्मचारियों के बारे में गैंग को बताया करता था. वह बताता था कि कब कर्मचारी मार्केट व बैंक में पैसा ले जाते हैं व लाते हैं. नाबालिग को लूट की रकम में से मोटी रकम मिला करती थी.

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