स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती से शहर में झोलाछाप डाक्टर व भ्रूण लिंग परीक्षण का काला कारोबार फल-फूल रहा है।
ग्वालियर । स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती से शहर में झोलाछाप डाक्टर व भ्रूण लिंग परीक्षण का काला कारोबार फल-फूल रहा है। यह हालात तब हैं जब पीसीपीएनडीटी (गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक) अधिनियम कमेटी के अध्यक्ष खुद सीएमएचओ डा. मनीष शर्मा हैं। इन पर पीसीपीएनडीटी में कार्रवाई के लिए सूचनातंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी है। इससे पहले कलेक्टर इसके अध्यक्ष होते थे, लेकिन कलेक्टर कभी पीसीपीएनडीटी की बैठक में शामिल नहीं हुए। यही स्थिति अब सीएमएचओ के अध्यक्ष बनने पर है। जिला प्रशासन भी भ्रूण लिंग परीक्षण पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रहा।
जिले में भ्रूण लिंग परीक्षण रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अफसर कितने सजग हैं, इस बात का पता इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दो साल में एक बार भी शहर व ग्रामीण क्षेत्र में झोलाछाप डाक्टरों पर अंकुश नहीं लग सका। वहीं बीते चार साल में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत हुई कार्रवाई में पुलिस आरोपितों को तलाश नहीं कर सकी।
पूरन की तलाश भी पंकज की तरह करेगी पुलिस: बीते रोज पकड़ी गई फर्जी डाक्टर माला ने पुलिस को बताया कि पूरन नाम का एजेंट ही मरीज को झांसी लेकर जाता था और वहां पर भ्रूण लिंग परीक्षण कराता था। पुलिस अब पूरन की तलाश में जुटी हुई है। लेकिन तीन साल पहले मुरार के सात नंबर चौराहा के पास शीतला कालोनी में कार्रवाई की थी। इस मामले में पुलिस को आरोपित पकंज तिवारी की तलाश है, लेकिन आज तक उसे नहीं पकड़ा गया। इसके बाद झांसी, मुरैना और शहर में माधव डिस्पेंसरी के पास रीता कुशवाह की क्लीनिक पर कार्रवाई की, लेकिन किसी भी मामले में पुलिस आरोपितों को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी।
ग्वालियर में बिना डिग्री के डाक्टरों की हजारों में है गैंग
ऩाग्वालियर में बिना मेडिकल डिग्री के मरीजों को इलाज करने वाले फर्जी डाक्टरों की संख्या करीब ढाई से तीन हजार है। इन्होंने शहर के अलग-अलग हिस्सों में क्लीनिक खोल रखे हैं। वहीं गांवों में यह झोला लेकर घर-घर उपचार करने के लिए पहुंचते हैं। जिन्हें भ्रूण लिंग परीक्षण से लेकर गर्भपात कराना होता है वह इन्हीं झोलाछाप डाक्टरों से संपर्क करते हैं। बुधवार को गोला का मंदिर क्षेत्र में भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाली जिस माला भटनागर को पकड़ा है, वह भी फर्जी डाक्टर है। उसके पास मरीज को इलाज देने संबंधी कोई मेडिकल की डिग्री नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी
दो साल पहले तक स्वास्थ्य विभाग इन झोलाछाप डाक्टरों पर यदा-कदा कार्रवाई कर अंकुश लगाने का दिखावा करता था। पिछले दो साल से तो इन झोलाछाप डाक्टरों की तरफ विभाग ने देखा तक नहीं है। यह स्थिति बताती है कि विभाग के अधिकारियों की साठगांठ से ही झोलाछाप डाक्टर खुलेआम क्लीनिक संचालित कर मरीजों की नब्ज टटोल रहे हैं।
भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले को पकड़वाने पर इनाम
भ्रूण लिंग परीक्षण को रोकने के लिए शासन स्तर पर पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन को अपना नेटवर्क मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। भ्रूण लिंग परीक्षण करने वालों को पकड़वाने वाली टीम को शासन ने दो लाख रुपये इनाम देना घोषित किया है। सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस की मदद से कार्रवाई करेगा और प्रशासन पूरा सहयोग देगा। लेकिन शहर में ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है।
विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जो भी भ्रूण लिंग परीक्षण जैसे गंभीर अपराध में शामिल हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। बिना डिग्री के इलाज करने वालों लोगों पर लगातार कार्रवाई की जाएगी।