मध्यप्रदेश के धार में बना कारम डैम टूटा:बांध इसलिए बनाए जाते हैं ताकि नदियां उन्हें तोड़कर निकल सकें!

मध्यप्रदेश के धार के पास अभी अभी बना या तैयार हो रहा कारम बांध रविवार को टूट गया। महान लेखक शरद जोशी खूब याद आए। उन्होंने लिखा था – भारत में नदियां हैं। नदियों के ऊपर पुल बने हैं।

पुल इसलिए हैं ताकि नदियां उनके नीचे से निकल सकें। पुराने छोड़ दीजिए। लेकिन नए बन रहे बांधों के बारे में भी ऐसा कहा जा सकता है कि ये बनाए ही इसलिए जाते हैं ताकि नदियां इन्हें तोड़कर निकल सकें।

लगभग 305 करोड़ में तैयार हुए इस बांध का कुछ हिस्सा बनना अभी बाकी था। फिर भी इसे इसकी क्षमता से ज्यादा इसमें पानी भरने दिया गया। जबकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि पहले साल बांध को पूरा नहीं भरा जाता।

डैम के फूटने की खबर मिलते ही प्रशासन ने आसपास के गांवों को खाली करवाना शुरू कर दिया। तस्वीर में एक बुजुर्ग महिला को सुरक्षित स्थान पर ले जाते सेना के जवान।

जिन 42 गांवों की सिंचाई के लिए यह बांध बनाया जा रहा है, उनमें से आधे गांव डूब में आ गए हैं। वहां के लोगों से गांव खाली करवा लिए गए हैं। अब इस बांध के पानी का ये विस्थापित लोग कैसे उपयोग कर सकेंगे? उनके भरे-भराए घर पीछे छूट गए। उनकी गाएं रम्भाती रह गईं। उनके खेत अपने मालिकों के मुंह ताकते रह गए।

सब कुछ पानी- पानी हो गया, लेकिन सरकार के पेट का पानी हिलने तक को तैयार नहीं है। वैसे भी जन सुविधाओं के मामलों में सरकारों का पानी उतरा ही रहता है। खैर, आज 15 अगस्त है और हम आजादी के 75 वर्षों का उत्सव मना रहे हैं। जैसा अटलजी ने कहा था- आजादी अभी अधूरी है।

कारम बांध के टूटने से जिन लोगों के सपने बिखर गए हैं, उनके लिए तो सही मायनों में आजादी अधूरी ही है। कैसे और कहां फहराएंगे वे तिरंगा? सरकार को चाहिए कि उन ग्रामीणों के मन में जो तिरंगे की शान है, उसकी रक्षा कर ले। बांध तो टूट-टूटकर दोबारा भी बन जाएगा, लेकिन लोगों का मन टूटना नहीं चाहिए।

किसी भी बड़ी घटना से बचने के लिए यहां सेना के हेलिकॉप्टर भी तैनात कर दिए गए थे। हालांकि खतरे वाले इलाकों से लोगों को पहले ही निकाल लिया गया।
किसी भी बड़ी घटना से बचने के लिए यहां सेना के हेलिकॉप्टर भी तैनात कर दिए गए थे। हालांकि खतरे वाले इलाकों से लोगों को पहले ही निकाल लिया गया।

इस स्वतंत्रता दिवस पर मध्यप्रदेश सरकार को यही शपथ लेना चाहिए कि पुल और बांध तो दोबारा बन सकते हैं, लेकिन किसी भी हाल में वह लोगों का मन नहीं टूटने देगी। क्योंकि मन जो टूट गया तो वह दोबारा नहीं जुड़ पाता।

कोई नहीं चाहता कि आजादी के अमृत महोत्सव पर इस तरह की कोई घटना हो और इस तरह सरकार की आलोचना की जाए, लेकिन घटना तो हुई है और जिम्मेदारों को इसकी जवाबदेही से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *