करिअर चुनने से पहले जानें अपना इंटरेस्ट …? स्टूडेंट्स के करिअर चुनाव में पेरेंट्स और टीचर्स हैं अहम
नजदीकियों में दूर का मंजर तलाश कर, जो हाथ में नहीं है वो पत्थर तलाश कर।
सूरज के इर्द-गिर्द भटकने से फाएदा, दरिया हुआ है गुम तो समुंदर तलाश कर।
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन, फिर उस के बाद थोड़ा मुकद्दर तलाश कर।
– निदा फाजली
सभी स्कूल स्टूडेंट्स, पेरेंट्स और टीचर्स का करिअर फंडा में स्वागत है!
आज स्वतंत्रता दिवस है, और सब उल्लास से भरे हैं! आज ही करिअर में प्रोग्रेस के लिए ‘स्वतंत्र एनालिसिस और सोच’ पर बात की जाए।
सबसे बड़ा सवाल – बच्चे अपने लिए सबसे बढ़िया करिअर कैसे चुनें?
पेरेंट्स और टीचर्स दोनों के लिए ये चैलेंज रहता है कि स्टूडेंट्स को स्कूल में उनके करिअर का क्षेत्र चुनने में कितनी आजादी दी जाए। फिल्मी दुनिया के महान करिअर गुरु बाबा रणछोड़ दास (थ्री इडियट्स) कह गए हैं कि ‘अपने इंटरेस्ट के क्षेत्र में नॉलेज के पीछे भागो तो सफलता अपने-आप मिलेगी।’
लेकिन ये इतना आसान नहीं होता है।
मेरा इंटरेस्ट है क्या?
एक यंग स्टूडेंट्स के लिए पहली चुनौती होती है कि अपना वास्तविक इंटरेस्ट क्या है पता कैसे किया जाए।
14 साल की उम्र में मुझे हर महीने एक नया करिअर अच्छा लगता था – कभी डॉक्टर, कभी स्पेस टेक्नोलॉजी, कभी क्रिकेट तो कभी सिविल सर्विस। तो मैं उस ऐज में क्या करता? सबकी तैयारी करता? निश्चित ही नहीं।
सीनियर गाइडेंस इम्पोर्टेन्ट
किसी भी फील्ड में सक्सेस के लिए प्रॉपर लॉन्ग टाइम प्लानिंग की जरूरत होती है, उससे भी अधिक सम्पूर्ण जीवन के लिए निर्णय लेना उस व्यक्ति पर छोड़ देना जो अभी ‘टीन एज’ में है जहां बदलते हॉर्मोन्स के कारण इमोशंस की बाढ़ होती है, अपने साथियों का दबाव अधिक होता है, कितना सही है?
सचिन, सचिन!
हम सबने क्रिकेट मैच में जोशीले नारे लगाए और सुने हैं ‘सचिन, सचिन, सचिन, सचिन’
तो जो भी पर्सन्स आज हमें सफलता का ताज पहने हुए दिखते हैं, चाहे वे साइना नेहवाल हों, शाहरुख खान हो या सचिन तेंदुलकर, कोई भी केवल अपने टैलेंट के दम पर सफलता के उस सोपान तक नहीं पंहुचा है।
उनके पीछे कोई न कोई ऐसी ताकत हमेशा रही है जिन्होंने उनके लिए सही समय पर सही डिसिजन लिए। इसके अलावा भी कई फैक्टर्स होते हैं। कहने का मतलब यह है जब वे सफल हो रहे थे, ठीक उसी समय उनसे भी अधिक टैलेंटेड कुछ लोगो का टैलेंट व्यर्थ जा रहा था।
(यहां ये साफ कर दूं कि असफल होना जीवन का अंत, या कोई शर्मनाक बात नहीं होती)
असफल लोगों को देखें
बेस्ट सेलिंग बुक ‘द आर्ट ऑफ थिंकिंग क्लियरली’ के लेखक रॉल्फ डोबेली लिखते हैं कि अधिकतर लोग किसी फील्ड में एंटर करने से पहले उस फील्ड के केवल सफल लोगों को देखते हैं, लेकिन राइट डिसिजन लेने के लिए उस फील्ड फेल्योर को देखना भी जरूरी है।
कड़वी सच्चाई
हजारों यंग लोग हीरो या हीरोइन बनने मुंबई जाते तो हैं पर एक लम्बे समय तक स्ट्रगल करने के बाद या तो दीवालिया हो जाते हैं या निराशा में डूब जाते हैं। सैकड़ों क्रिकेट खिलाड़ी, टैलेंट होने के बावजूद केवल ‘रणजी ट्रॉफी’ या उससे नीचे स्तर पर खेलते हुए जीवन बिता देते हैं। ओलिंपिक मेडल-विनर्स के फाइनांशियल स्ट्रगल के किस्से, अपने मेडल बेचकर जीवन-यापन करना, हॉकी के जादूगर माने जाने वाले ध्यानचंद तक के परिवार ने गरीबी देखी, आदि, हम सब ने सुना है।
पर्सनल इन्वेस्टमेंट
शूटिंग में ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले अभिनव बिंद्रा ने एक इंटरव्यू में बताया कि शूटिंग की प्रैक्टिस के लिए उन्होंने ओलिंपिक स्तर का शूटिंग रेंज प्राइवेट खर्च कर के बनवाया था! भारत में कितने परिवार अपने बच्चों को करिअर में इस स्तर पर सपोर्ट कर सकते हैं? मतलब एक बड़ा एंगल परिवार की फाइनांशियल कैपेसिटी का भी है।
दो फैक्टर और
यह सही है कि सभी को अपने इंटरेस्ट और जूनून के क्षेत्र में करियर बनाना चाहिए, किन्तु हमें इसमें दो और फैक्टर हैं –
1) पहला यह है कि यह किस तरह समाज के लिए उपयोगी हो पाएगा और
2) दूसरा यह कि क्या इससे जीविका कमाई जा सकती है या नहीं।
पेरेंट्स और स्कूल्स के लिए सुझाव
अपने बच्चे की बात पूरी तरह सुनें, और उसका मजाक न उड़ाएं। अक्सर गलत तरीके से समझाने पर बच्चे रिबेल बनने लगते हैं। पेरेंट्स निश्चित अपनी मर्जी बच्चों पर थोप नहीं सकते और उनकी करिअर प्लानिंग में सब से अधिक यदि किसी चीज की जरूरत है तो वह उनकी रजामंदी ही है।
जापान के ‘ईकीगाई’ (Ikigai) कॉनसेप्ट को समझें
ईकीगाई का मतलब है ‘मेरा जीवन जीने का मूल उद्देश्य’!
1. बच्चे में प्रैकिटकल समझ विकसित करें, और भारत की वास्तिविक परिस्थितयों से अवगत कराएं। घर में फिजिकल न्यूजपेपर का सब्सक्रिप्शन लगवाएं।
2. करियर प्लानिंग से रिलेटेड अच्छी किताबें जैसे ‘इकीगाई’, ‘डिजाइनिंग योर लाइफ’, ‘पावर मूव्स’, ‘द 5 एएम क्लब’, ‘स्लाइट एज’, ‘फाइंड योर वे’ इत्यादि पढ़ने के लिए दें।
3. कई बार यह देखने में आता है कि जाने-अनजाने माता-पिता अपने अधूरे सपने पूरे करने के लिए बच्चों पर किसी फील्ड विशेष में जाने का दबाव बनाते हैं, ऐसा बिलकुल ना करें।
4. डिसीजन खुद स्टूडेंट को ही लेने दें, ऐसा करने में आप केवल उनकी मदद करें।
तो, आज का करिअर फंडा यह है कि ‘अपने बच्चों की करिअर चुनने की आजादी ना छीनें, लेकिन उन्हें सही डिसीजन लेने में सक्षम बनाएं।