इंदौर : पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बावजूद मिली बी-ग्रेड …?
इंदौर पुलिस अब भी जनता से दूर, जन समस्या समाधान में पहले 35 जिलों में भी नहीं मिली जगह ..
जिले में आम आदमी की शिकायतों का समाधान समय पर नहीं हो रहा है। सीएम हेल्पलाइन और पुलिस से जुड़े मामलों में प्रॉपर सुनवाई और निदान करने में इंदौर पुलिस अब भी प्रदेश के 52 जिलों में पहले 35वें नंबर पर भी नहीं है। विभाग द्वारा जून और जुलाई की शिकायतों और उनके निराकरण के बाद जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर पुलिस बी कैटेगरी में है। जबकि यहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है, साथ ही बड़ा अमला और कई बड़े अधिकारी यहां नियुक्ति हैं।
दूसरी ओर भोपाल में भी यही सिस्टम है, बावजूद वह ए-ग्रेड में है। इसी तरह झाबुआ, देवास, बड़वानी जैसे 35 जिले ए-ग्रेड में हैं। 17 जिले बी-ग्रेड में हैं। रेटिंग में 52 जिलों को 26-26 के दो ग्रुप में बांटा गया था। इंदौर, भोपाल एक ही ग्रुप में थे।
इस रिपोर्ट का आधार है- पुलिस को कितनी शिकायतें मिलीं, कितनी का निराकरण संतुष्टि के आधार पर हुआ, कितनी 50 दिन बाद भी हल नहीं हो पाईं। साथ ही कितनी बिना सॉल्यूशन के बंद की गईं और कितने प्रतिशत शिकायतें अटैंड ही नहीं की गईं।
ए-ग्रेड में सिंगरोली सबसे पहले क्रम पर
इंदौर जिस ग्रुप में है, उसकी रैकिंग में सिंगरोली जिले में शिकायतों का निवारण प्रतिशत सबसे ज्यादा (56.2%) रहा। जिले को वेटेज स्कोर 95.58 मिला, इसलिए यह ए-ग्रेड में भी सबसे पहले क्रम पर रहा। इंदौर का वेटेज स्कोर 78.7% रहा, वहीं मुरैना का 70.91% ही रहा।
अन्य जिलों की तुलना में शिकायतें ज्यादा हैं हमारे यहां
इंदौर भी ए-ग्रेड में रहता है। ग्रेडिंग बदलती रहती है। इंदौर में शिकायतों का प्रतिशत ज्यादा है। फिर भी हम बहुत अच्छा निराकरण करने की काेशिश करते हैं। आगे इसे और इम्प्रूव करेंगे।
– मनीष कपूरिया, एडिशनल पुलिस कमिश्नर