भोपाल: कागजों में पोषण !
बिना बिजली खपत के ही चलते रहे प्लांट, तैयार होता रहा करोड़ों का पोषण आहार
प्रदेश में एक बार फिर पोषण आहार वितरण में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। मध्य प्रदेश ऑडिटर जनरल (एमपी एजी) की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने 2018-21 के दौरान 2393 करोड़ रुपए का 4.05 मीट्रिक टेक होम राशन (टीएचआर) 1.35 करोड़ लाभार्थियों को बांटा है। कागजों में पोषण आहार तो बांटा गया, बल्कि बिना बिजली खपत के उत्पादन दिखाया है। चार जिलों की यूनिट में पोषण आहार के उत्पादन जितनी बिजली ही नहीं जली।
ऐसे समझिए…बिजली खपत से कैसे पकड़ाई उत्पादन की सच्चाई
ऑडिट में सिर्फ 8 जिलों में बंटे 24 फीसदी पोषण आहार में अनियमितता मिली है। इसमें भी चार जिलों में बिजली की खपत और उत्पादन का अंतर चौंकाने वाला है। धार में 12 दिन, मंडला में 68, सागर में 15 और शिवपुरी में 19 दिन पोषण आहार का उत्पादन बताया गया है। इन जिलों में कुल 114 दिन पोषण आहार तैयार हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक-चारों जिलों की यूनिट में प्रतिदिन 11,456.05 मीट्रिक टन उत्पादन दिखाया है। इतने उत्पादन के लिए 5,50,877 यूनिट बिजली की जरूरत थी। एजी ने पाया कि चारों जिलों के प्लांट में केवल 2,89,587.90 यूनिट बिजली की खपत हुई।
प्लांट में बिजली की खपत के हिसाब से 5866.59 मीट्रिक टन पोषण आहार का उत्पादन रोजाना होना चाहिए था। आपत्ति में चारों जिलों में 5589.45 मीट्रिक टन प्रतिदिन काल्पनिक उत्पादन दिखाया गया है। ये सीधे खपत से दोगुना ज्यादा है।
पोषण आहार में आपत्तियों की भरमार
- 8 जिलों के 49 आंगनवाड़ी केंद्रों में सिर्फ तीन किशोरी ही रजिस्टर्ड मिलीं। एमआईएस पोर्टल में 49 आंगनवाड़ी केंद्रों ने 63,748 ओओएसएजी रजिस्टर्ड दिखाई। वर्ष 2018-21 में 29,104 को वितरण हुआ है। 110.83 करोड़ का फर्जी वितरण हुआ।
- छह यूनिट से सात करोड़ की लागत वाले 1125.64 मीट्रिक टन टीएचआर वाहनों से भेजा गया था। ये सभी नंबर मोटरसाइकिल, कार, ऑटो और टैंकर के रूप में रजिस्टर्ड हैं।
- केंद्र के निर्देशों के बावजूद विभाग ने स्कूल छोड़ने वाली किशोरियों की सही संख्या जानने के लिए फरवरी 2021 तक बेसलाइन सर्वे नहीं किया था।
- योजना में साढ़े 49 लाख रजिस्टर्ड बच्चे-महिलाएं लाभ पाते हैं। स्कूल छोड़ देने वाले बच्चों को भी राशन बांटा गया।
सरकार की तरफ से सफाई
- स्कूल छोड़ने वाली किशोरियों का बेसलाइन सर्वे होने के बाद केंद्र को भेजा गया है। वर्ष 2018 में 2.60 लाख किशोरी को टीएचआर देते थे। 2021 में केवल 15 हजार रह गई हंै। 2023 में तो 8600 किशोरी बची हैं। इन्हें भी टीएचआर देने के बजाय स्कूल में एडमिशन कराया जा रहा है।
- ऑडिट में कार, ऑटो, टैंकर के नंबर लिपिकीय त्रुटि है। वाहनों के नंबर रिकॉर्ड में गलत लिखने से गफलत हुई है।
- टीएचआर के लैब टेस्ट शासन ने ही कराए थे। गुणवत्ता ठीक नहीं होने पर 38 करोड़ की कटौती की गई है।
विस की पीएसी में जाएगा मामला
सीएजी रिपोर्ट को अंतिम निर्णय कहना ठीक नहीं है। इसके बाद एक कमेटी अकाउंट सेक्शन की होती है, जो अंतिम निर्णय करती है। विस की लोक लेखा समिति में मामला जांच के लिए जाता है। प्रतिपक्ष का भी व्यक्ति होता है। जांच में कई पैरा डिलीट भी होते हैं, जो हमने देखे हैं।
गृह मंत्री