रहवासी इलाके में दड़बे जैसे कमरों में बना लिए होटल …

– ऐप आधारित बुकिंग सेवा देने वाली कंपनी छह कमरों के मकान को दे रही फ्रेंचाइजी
– रहवासी उपयोग के लिए ली बिल्डिंग परमिशन में नगर निगम की राजस्व शाखा जारी करती है कमर्शियल लाइसेंस

नगर निगम सिर्फ राजस्व से रखा रहा मतलब…

MP Gajab Hai-

भोपाल। गली-मोहल्लों यानी रिहायशी क्षेत्रों में धड़ल्ले से संचालित एक-दो घंटे रुकने वाली होटलें नगर निगम की दो शाखाओं के बीच कथित सामंजस्य की कमी का फायदा उठाकर खुद को वैध बताती हैं। दरअसल, नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा रहवासी क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए बिल्डिंग परमिशन जारी नहीं करती।

ऐसे में रहवासी क्षेत्रों में सामान्य बिल्डिंग परमिशन पर मकान तैयार कर उनका होटल के रूप में कमर्शियल उपयोग किया जा रहा है। खुद को वैध और लाइसेंसधारी बताने होटल संचालक गुमाश्ता लाइसेंस के अलावा नगर निगम की ही राजस्व शाखा से कमर्शियल गतिविधियों का लाइसेंस हासिल कर लेते हैं। इसके एवज में राजस्व शाखा को व्यावसायिक दर पर मकान का संपत्तिकर और लाइसेंस के रूप में भरपूर राशि मिलती है। यही वजह है कि राजस्व शाखा से जारी लाइसेंस की आड़ में रहवासी क्षेत्रों में होटल संचालित हो रही हैं।

उठा रहे दो शाखाओं के बीच ‘गैप’ का फायदा
भोपाल समेत प्रदेश के अन्य शहरों में नगरीय निकाय यानी नगर निगम और नगर पालिका के दो विभागों राजस्व और भवन अनुज्ञा शाखा के बीच कथित दूरी यानी गैप का फायदा उठाया जा रहा है। भवन अनुज्ञा शाखा रहवासी क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधि संचालित करने के लिए निर्माण की अनुमति नहीं देती। ऐसे में भवन तो रहवासी क्षेत्र के हिसाब से तय नक्शे पर बनता है, पर इसमें व्यावसायिक गतिविधि मसलन होटल खोल ली जाती हैं। इधर, सालाना तय राशि देकर नगर निगम की राजस्व शाखा से व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने के लिए लाइसेंस हासिल कर लेते हैं। यहां बता दें कि रहवासी क्षेत्रों में छह कमरों की होटल में एक कमरे का लाइसेंस शुल्क तकरीबन 500 रुपए सालाना आता है।

इस हिसाब से निगम जारी कर देता है लाइसेंस
स्थान : प्रति वर्ग फीट दर
गलियों और सिंगल रोड पर (7.5 मीटर चौड़ी) : 04 रुपए
डबल रोड व मुख्य मार्ग पर (705 मीटर से 15 मीटर तक) : 05 रुपए
फोरलेन या इससे अधिक की लेन पर (15 मीटर से अधिक) : 06 रुपए

पुलिस की जांच भी रस्म अदायगी
रहवासी समेत अन्य क्षेत्रों में संचालित होटलों की निगरानी और जांच के लिए पुलिस नियम बनाकर भूल गई है। ऐसे में थाने का अमला नियमित जांच नहीं करता। तय निर्देश के मुताबिक होटल संचालक को आगंतुकों से पहचान-पत्र लेना जरूरी है, जिसमें फोटो और पता स्पष्ट हो। रजिस्टर में फोन नंबर समेत अन्य जानकारी दर्ज कराना अनिवार्य है। पुरुष के साथ यदि कोई नाबालिग लड़की है तो उससे रिश्ते के बारे में तस्दीक करना जरूरी है। होटल के एंट्री गेट, डाइनिंग एरिया, रिसेप्शन और गैलरी में सीसीटीवी कैमरे चालू हालत में होना जरूरी है, जिससे कभी भी जरूरी रिकॉर्डिंग प्राप्त की जा सके।

होटल एसोसिएशन ने भी माना गली-मोहल्लों में खुले होटल
गली-मोहल्लों में खुले एक-दो घंटे के होटलों के कारण रहवासी क्षेत्र में हो रही परेशानी पर होटल एसोसिएशन का कहना है कि इन होटलों से सामाजिक और सांस्कृतिक प्रदूषण फैल रहा है। भोपाल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष तेजकुल पाल सिंह बाली कहते हैं कि कोराना काल में प्रदेश के तमाम बड़े शहरों में 45 फीसदी होटल-रेस्टोरेंट बंद हुए हैं। कई होटलों ने ऐप आधारित व्यवस्था को अपनाया, ताकि आर्थिक मंदी दूर हो सके। कई ने हर तरह की सेवा देने के साथ ही बगैर दस्तावेज जांचे बुकिंग भी शुरू कर दी है। हालांकि बड़े होटल स्तरीय ऐप सुविधा को ही तवज्जो देते हैं। भोपाल के होटल एसोसिएशन में शामिल 50 संचालकों ने तय किया है कि होटल चलाने या कमाने के लिए ब्रान्ड वैल्यू से समझौता नहीं किया जाएगा। अब समय आ गया है कि ऐप आधारित बुकिंग के लिए नियमावली कड़ी की जाए।

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