ग्‍वालियर में रेत का खेल: कच्चे टोकन काट रहा माफिया,इधर बेखबर बनकर बैठे अफसर

रेत के अवैध कारोबार के लिए कुख्यात ग्वालियर-चंबल संभाग में प्रतिबंध के बाद भी जमकर रेत दौड़ रही है। अब जब खनन प्रतिबंध है और रायल्टी नहीं कट सकती तो माफियाओं ने कच्चे टोकन पर कारोबार शुरू कर दिया है।

-प्रतिबंध में भी रेत का अवैध कारोबार जारी, घाटीगांव क्षेत्र में रोज निकाले जा रहे तीस से ज्यादा डंपर

-कागज के टुकड़े पर टोकन बनाकर भेजे जा रहे

-नोट इसमें फोटो टोकन का उपयोग होगा

ग्वालियर । रेत के अवैध कारोबार के लिए कुख्यात ग्वालियर-चंबल संभाग में प्रतिबंध के बाद भी जमकर रेत दौड़ रही है। अब जब खनन प्रतिबंध है और रायल्टी नहीं कट सकती तो माफियाओं ने कच्चे टोकन पर कारोबार शुरू कर दिया है। इसपर डंपर का नंबर और वसूली की राशि लिखी जाती है, अवैध रेत ले जा रहे डंपर चालक के पास यह टोकन होता है तो उसे कोई रोकता नहीं है। सबसे ज्यादा कारेाबार घाटीगांव क्षेत्र में हो रहा है, यहां चैत,पार,जखा से अलग रूट से वाहनों को निकाला जा रहा है। तीस से ज्यादा डंपर रोज अवैध रेत लेकर निकाले जा रहे हैं जिसके बाद ट्रालियों से सप्लाई की जा रही है। खनन से लेकर हाइवे तक न प्रशासन को यह डंपर दिख रहे न पुलिस रोक रही है।

यहां यह बता दें कि मानसून की अवधि में रेत खनन से लेकर परिवहन व भंडारण पर शासन की ओर से रोक लगा दी जाती है। यह प्रतिबंध 30 सितंबर तक है और इसके बाद कारोबार किया जा सकेगा। रेत की खदानें इस समय बंद हैं और अभी किसी के पास ठेका न होने के कारण कोई काम भी नहीं कर सकता है। इसी प्रतिबंध की अवधि में माफिया जमकर कारोबार कर रहे हैं। रेत के वाहनों को गुपचुप निकालने के लिए माफिया ने खुद के टोकन बना लिए हैं।

मउछ होकर निकाले जा रहे डंपर

घाटीगांव के मउछ रूट से डंपरों को निकाला जाता है। पार,जखा होते हुए नए गांव का रूट कनेक्ट होता है। यह घाटीगांव का पूरा बेल्ट है,जहां दिन रात यह अवैध रेत का परिवहन हो रहा है।

 

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