भोपाल के हॉस्पिटलों में फायर सेफ्टी नहीं …?

193 हॉस्पिटल की जांच में सामने आई खामियां; अब मिलेंगे नोटिस …

भोपाल में हमीदिया हॉस्पिटल में पिछले साल नवंबर में बड़ी आगजनी की घटना हो चुकी है। कई नवजात बच्चों की मौत हुई थी। इसके बाद इंदौर की एक बड़ी बिल्डिंग और चार महीने पहले 1 अगस्त को जबलपुर के तीन मंजिला न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल में हुई आगजनी ने फायर सेफ्टी की पोल खोल दी थी। इस हादसे में 8 लोगों की मौत हुई थी।

जबलपुर हादसे के बाद भोपाल में एक बार फिर हॉस्पिटलों में आग से निपटने के इंतजामों पर फोकस किया जाने लगा। इसके चलते राजधानी के सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में फायर ऑडिट किया गया। ताकि हकीकत सामने आ सके। फायर ऑडिट के बाद रिपोर्ट तैयार कर CMHO डॉ. प्रभाकर तिवारी को दी गई है। अपर आयुक्त कमलेंद्र सिंह परिहार ने रिपोर्ट सौंपने के बाद हॉस्पिटल में आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम करने को कहा है।

एक भी हॉस्पिटल ऐसा नहीं, जहां खामी न हो
नगर निगम ने शहर के सभी छोटे-बड़े 193 हॉस्पिटल में फायर ऑडिट किया गया। इनमें से ऐसा एक भी हॉस्पिटल नहीं मिला, जिसमें कुछ न कुछ खामी न हो। कहीं, मैन्युअल ऑपरेटिड इलेक्ट्रिक फायर अलॉर्म नहीं मिला तो कहीं स्प्रिंकलर नहीं मिला। कई जगह तो अग्निशामक यंत्र भी नहीं मिला।

ये खामियां मिलीं

  • बेसमेंट में स्प्रिंकलर सिस्टम नहीं
  • मैन्युअल ऑपरेटिड इलेक्ट्रिक फायर अलॉर्म नहीं
  • आग बुझाने के लिए पानी की कमी
  • प्रेशराइज सिस्टम नहीं
  • बिजली मीटर के सामने सुरक्षा दीवार नहीं
  • फायर एक्टिग्यूशर की संख्या कम
  • फायर एग्जिट नहीं
  • इमरजेंसी लाइट भी नहीं
  • हॉस्पिटल में एंट्री का रास्ता काफी छोटा
  • स्मोक डिटेक्टर नहीं
  • बिजली के वायर खुले
  • अग्नि सुरक्षा के इंतजाम और फायर एनओसी नहीं पाई गई
  • फायर पैनल बंद मिला

भोपाल में रोज 5 से 6 आगजनी
शहर में हर रोज एवरेज 5 से 6 आगजनी की घटनाएं होती हैं। गर्मी में आंकड़ा 200% तक बढ़ जाता है। इनमें से 90% हादसे शॉर्ट सर्किट की वजह से होते हैं। यही कारण है कि अब हॉस्पिटलों में फायर के साथ इलेक्ट्रिक सेफ्टी पर भी ध्यान दिया जा रहा है। अपर आयुक्त परिहार ने बताया कि फायर के साथ इलेक्ट्रिक सेफ्टी की जांच भी की गई है।

ऑडिट में यह देखा
हॉस्पिटल में आग लगने के बाद उसे बुझाने के इंतजाम कितने हैं और आग लगने की वजह क्या हो सकती है, इन दोनों ही पाइंट को जांच में रखा गया। फायर ऑडिट में आग बुझाने के इक्यूमेंट्स देखे गए तो इलेक्ट्रिक ऑडिट में सारे उपकरण की जांच हुई। अपर आयुक्त परिहार का कहना है कि सभी हॉस्पिटल इलेक्ट्रिक पैनल सही रखें। जैसे वायर बेहतर और कवर्ड हो। उनकी समय-समय पर फायर सेफ्टी ऑडिट भी करा लें।

देखने में आता है कि हॉस्पिटल में फॉल सीलिंग बनाई जाती है। जिसके ऊपर खुले वायर डाल देते हैं। हैवी लोड दे दिया जाता है। इससे वायर पिघल जाता है। सीलिंग के ऊपर होने से यह दिखाई नहीं देता है। आखिरी में आग लग जाती है, जो हॉस्पिटल या किसी भी बिल्डिंग को चपेट में ले लेता है। इसलिए ऐसा वायर लगाएं, जो सही पैमाने और कवर्ड हो।

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