देश की सबसे पुरानी जेल में रेडियो के 5 साल, ‘संवाद’ ने कुछ ऐसे बदल दिया कैदियों के व्यवहार By : डॉ. वर्तिका नन्दा | Updated at : 31 Jul 2024 07:56 PM (IST) Radio is becoming a companion of prisoners in jail there are preparing scripts themselves ABPP देश की सबसे पुरानी जेल में रेडियो के 5 साल, ‘संवाद’ ने कुछ ऐसे बदल दिया कैदियों के व्यवहार देश की सबसे पुरानी जेल में रेडियो के 5 साल, ‘संवाद’ ने कुछ ऐसे बदल दिया कैदियों के व्यवहार Source : ABP भारत की सबसे पुरानी जेल में जेल रेडियो ने 5 साल पूरे कर लिए हैं. जिला जेल आगरा में जेल रेडियो 31 जुलाई 2019 को शुरू किया गया. कोविड-19 के दौरान कैदियों को विशेष रूप से बड़ी मदद मिली. इससे प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश ने अन्य जेलों में भी जेल रेडियो शुरू करने का निर्णय लिया. कैदियों का चयन और प्रशिक्षण खुद मेरी तरफ से किया गया. जल्द ही कैदियों के नए बैच का चयन और प्रशिक्षण शुरू होगा. कैदियों के लिए रेडियो के माध्यम से पांच साल भारत की सबसे पुरानी जेल में ठीक 5 साल पहले जेल रेडियो के रूप में एक जादू ने प्रवेश किया था. आज के दिन ही बब्लू कुमार, एसएसपी, शशिकांत मिश्रा, जेल अधीक्षक और तिनका तिनका फाउंडेशन के संस्थापक के तौर पर खुद मैंने जेल रेडियो का उद्घाटन किया था. ये रेडियो जल्द ही कैदियों की जीवनरेखा बन गई. कैदियों द्वारा, कैदियों के लिए चलाया जाने वाला जेल रेडियो भारत में एक नई अवधारणा है. कोविड-19 महामारी के दौरान रेडियो जल्द ही प्रेरणा और समर्थन का स्रोत बन गया. मुलाकातों की अनुपस्थिति में, इस रेडियो ने अवसाद की स्थिति से निपटने में कैदियों की मदद की. कौन थे रेडियो जॉकी लॉन्च के समय, महिला कैदी तुहिना, जो आईआईएम बैंगलोर से स्नातक थीं, और पुरुष कैदी उदय, जो परास्नातक थे. उनको रेडियो जॉकी बनाया गया. उसके बाद में, एक और कैदी, रजत, उनसे जुड़ गए. तुहिना उत्तर प्रदेश की जेलों में पहली महिला रेडियो जॉकी बनीं. रेडियो के लिए स्क्रिप्ट्स खुद कैदियों द्वारा तैयार की जाती हैं. नई घोषणा आगरा जिला जेल के सुपरटेंडेंट हरिओम शर्मा ने बताया कि जिला जेल, आगरा में जेल रेडियो हर दिन दो घंटे चलता है. समय बढ़ाने और नए कैदियों के एक सेट को रेडियो जॉकी के रूप में तैयार करने का निर्णय लिया गया है. “वर्तमान में जेल हर दिन लगभग दो घंटे चलती है, हम समय बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. हम अगले दौर के चयन से इस कार्य के लिए कैदियों की संख्या बढ़ाने की भी योजना बना रहे हैं.” “इस जेल रेडियो की सफलता ने हमें हरियाणा की जेलों और जिला जेल, देहरादून उत्तराखंड में जेल रेडियो को स्थापित करने के लिए प्रेरित किया. ये रेडियो तिनका मॉडल ऑफ प्रिज़न रेडियो पर आधारित हैं और ये भारतीय जेलों के एकमात्र व्यवस्थित जेल रेडियो हैं. यह गर्व की बात है कि उत्तर प्रदेश की जेलों पर किए गए शोद में यह जिला जेल, आगरा प्रमुख रही. इसे 2019-20 की अवधि के दौरान किया गया था और ICSSR द्वारा इस काम को उत्कृष्ट माना गया. हम इस शोध के निष्कर्षों को जल्द ही सार्वजनिक करेंगे.” जेल का इतिहास और क्षमता ये जेल भवन 12वें मुगल सम्राट मोहम्मद शाह गाजी के शासनकाल के दौरान 1741 ईस्वी (हिजरी 1154) में मीर वज़ीर-उद-दीन खान मुख्ताब और मीर जलाल-उद-दीन द्वारा हज जाने वाले तीर्थयात्रियों के विश्राम के लिए बनाया गया था. समय के साथ इस परिसर का उपयोग जेल के रूप में किया जाने लगा. स्थापना के समय जिला जेल, आगरा की क्षमता 706 कैदियों को रखने की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 1015 कर दिया गया. जेल रेडियो और अनुसंधान मेरे “भारतीय जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति और उनके संचार की जरूरतों का अध्ययन, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के संदर्भ में” पर हालिया शोध को ICSSR द्वारा उत्कृष्ट के रूप में मूल्यांकित किया गया है. हरियाणा की जेलों और जिला जेल, देहरादून में जेल रेडियो स्थापित किए हैं. [नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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