साइबर ठगों का वो गैंग…जिसमें बने एजेंट और छह महीने में 110 करोड़ कमाए ?

UP: साइबर ठगों का वो गैंग…जिसमें बने एजेंट और छह महीने में 110 करोड़ कमाए; सरगना सहित पांच गिरफ्तार

साइबर ठग के विदेशी गैंग के सरगना सहित पुलिस ने पांच को गिरफ्तार किया है। इस गैंग ने महज छह महीने में 110 करोड़ रुपये ठग डाले। इनका काम बस दुबई सहित पांच देशों में बैठे ठगों को बैंक खाते उपलब्ध कराना था। 
 
gang of cyber thugs in which they became agents and earned Rs 110 crore in six months Five arrested
साइबर ठग  ….
दुबई, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस और हांगकांग में बैठे साइबर अपराधियों के लिए भारत में बैंक खाते एजेंट खुलवाते थे। इन एजेंटों के नेपाली सरगना सहित 5 को साइबर क्राइम थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। साइबर ठगों ने 81 खातों की मदद से छह महीने में 239 लोगों के 110 करोड़ रुपये जमा कराए और उसे विदेश में ट्रांसफर करा लिए।
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि ये लोगों को शेयर ट्रेडिंग कर मुनाफे का झांसा देते थे। सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट कर लाखों की रकम जमा करा लेते थे। नेपाली सरगना प्रेम साउद दिल्ली में रह रहा था। आरोपियों में आईडीएफसी बैंक का टीम लीडर फर्रुखाबाद निवासी अश्वनी भी शामिल है। 4 अक्तूबर को सिकंदरा निवासी विनय शर्मा से आईपीओ में निवेश के नाम पर ठगी हुई थी। एपीके फाइल से बैंक खातों की जानकारी ली गई थी। उनसे 18 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई।
साइबर थाना में मुकदमा दर्ज हुआ। विवेचना एसीपी हरीपर्वत आदित्य सिंह और निरीक्षक समय सिंह के नेतृत्व में की गई। पुलिस ने बैंक खातों की जानकारी निकाली। सर्विलांस की मदद ली गई। इसके बाद दिल्ली से 5 आरोपियों को पकड़ा जा सका। इनके पास 81 बैंक खातों की जानकारी मिली। इन खातों को नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर देखा गया। पता चला कि आरोपियों ने 239 लोगों से धोखाधड़ी कर पैसा लिया। खातों में रकम आने के बाद निकाल ली गईं।

पीड़ित को 13 लाख वापस कराए
डीसीपी ने बताया कि आरोपी अब तक 110 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर चुके हैं। आगरा के पीड़ित विनय शर्मा से ठगे गए 18 लाख में से 13 लाख रुपये पीड़ित को वापस कराए गए। दो अन्य ठगी भी आरोपियों ने की। इनमें से एक में आईपीओ में पैसा लगाने पर मुनाफे का झांसा दिया गया। दूसरा सीबीआई अधिकारी बनकर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट किया था।
इनकी हुई गिरफ्तारी
गिरफ्तार आरोपियों में सरगना प्रेम साउद उर्फ प्रेम बहादुर साउद निवासी धनगढ़ी, जिला कैलाली, नेपाल, हाल निवासी अमर काॅलोनी, थाना नांगलोई, दिल्ली है। उनके अलावा रवि कुमार सूर्यवंशी (निवासी बुद्ध विहार फेज-1, थाना सरदेव, रोहिणी, दिल्ली), अकबर (निवासी खनुआपुर, थाना सीतामणि, मुजफ्फरपुर, बिहार), इमरान (निवासी अशोक विहार, गाजियाबाद) और अश्वनी (निवासी आवास विकास काॅलोनी, फर्रुखाबाद) हैं। आरोपियों से 81 बैंक खातों से संबंधित दस्तावेज, 1 लैपटाॅप, 9 मोबाइल, 1 डोंगल, 2 सिम, 18 डेबिट कार्ड, 7 चेक बुक, 2 पैनकार्ड, कूटरचित दस्तावेज की बरामदगी के साथ खातों से 13 लाख रुपये की रिकवरी कराई गई।
इनसे भी ली रकम
ट्रांस यमुना काॅलोनी निवासी सोनम गुप्ता को ठगा गया। उनसे फेसबुक पर संपर्क किया गया। उनके पास लिंक भेजा गया। उन्हें व्हाट्सएप पर बने जेरोढ़ा नाम के ग्रुप से जोड़ा गया। उनसे ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 1324115 रुपये जमा करा लिए गए। वहीं राजीव विहार काॅलोनी, रोहता निवासी ओपी माधव को डिजिटल अरेस्ट किया गया। सीबीआई अधिकारी बनकर काॅल कर खाते में 1828800 रुपये जमा करा लिए गए।
दुबई और वियतनाम में ट्रेनिंग लेने जाता था प्रेम साउद
गिरफ्तार आरोपी प्रेम साउद, रवि कुमार सूर्यवंशी, अकबर, इमरान और अश्वनी एक अंतरराष्ट्रीय संगठित गिरोह में काम कर रहे थे। वह मजदूर वर्ग के लोगों के खाते खुलवाते थे। उन्हें 5 से 10 हजार रुपये देते थे। उनके पास म्यूल एकाउंट की किट होती थी, जिसे टेलीग्राम ग्रुप पर आसानी से बेच देते थे। उसके माध्यम से कमीशन लेते थे। पांच आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से जेल भेजा गया है। उनके अपराध के तरीके के बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है। बरामद मोबाइल और लैपटाॅप से भी जानकारी जुटाई जा रही है। सरगना प्रेम साउद दुबई और वियतनाम में ट्रेनिंग लेने जाता था। आरोपियों के सभी खाते फ्रीज कराने की कार्रवाई की जा रही है।
कमीशन पर काम करते हैं एजेंट
साइबर क्राइम थाना के निरीक्षक ने बताया कि साइबर ठग गैंग के सरगना और अन्य सदस्य कंबोडिया, लाओस, हांगकांग और वियतनाम में बैठकर धोखाधड़ी करते हैं। भारत में उन्होंने अपने एजेंट बना रखे हैं, जो खाते खुलवाकर देते हैं। खाते खुलवाने के लिए बैंककर्मियों की मदद ली जाती है। एजेंट कमीशन देते हैं। आरोपी लोगों को काॅल करके शेयर ट्रेडिंग, टास्क जाॅब्स का झांसा देते हैं। कई बार डिजिटल अरेस्ट करते हैं।
एपीके फाइल से संचालित होते खाते
खातों को संचालित करने के लिए ऑनलाइन मोबाइल एक्सेस एप एपीके फाइल के माध्यम से डाउनलोड कर लेते हैं। खातों में लेनदेन के लिए मोबाइल के नेटवर्क का प्रयोग नहीं करते हैं। वर्चुअल नेटवर्क के माध्यम से इंटरनेट चलाते हैं। आरोपियों ने टेलीग्राम ग्रुप भी बना रखे हैं, जिन पर खाते खुलवाने के लिए अपने एजेंट से कहते हैं। इन्हीं ग्रुप पर खातों की किट ठगों को उपलब्ध करा दी जाती थी। एक बार खाते में रकम आने पर यूएस डाॅलर में बदलकर अपने विदेशी खातों में ट्रांसफर कर निकाल ली जाती थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *