2023 में सपनों को ‘ओमनीचैनल’ करने के लिए तैयार हो जाइए!
पिछले हफ्ते मैक्डॉनल्ड ने टेक्सस (अमेरिका) में अपना स्वचालित स्टोर खोला। यहां ग्राहक एप यूज करेंगे, ऑनलाइन पे करेंगे, कन्वेयर बेल्ट से बिना किसी इंसानी स्पर्श के फूड आप तक आएगा। रेस्तरां में ऑर्डर लेकर जाने वाली सुविधा ही है और अंदर बैठकर खाने के लिए सीटें नहीं हैं। आपको देख मुस्कुराने-स्वागत करने वाला कोई नहीं होगा, रोबोट्स के थैंक्यू के अलावा किसी की आवाज नहीं सुनेंगे।
आपको शायद वो शुद्धता, तेज डिलीवरी, जिस उद्देश्य से रेस्तरां डिजाइन है यानी तेजी से फूड पहुंचाने के लिए, वो सब देखकर पसंद आएगा। कंपनी दावा कर सकती है कि वह ग्राहकों को कम समय में सेवाएं देने के तरीके खोज रही है पर छुपी बात ये है कि वे ऐसी जगह पर कर्मियों की संख्या कम कर रहे हैं, जहां मिनिमम भुगतान अमेरिका का सबसे न्यूनतम है।
कल्पना करें अगर दुनिया के सारे 40 हजार आउटलेट्स टेक्सस के आइडिया पर चले तो उन सबका का क्या होगा। जाहिर है कंपनी की वैल्युएशन बढ़ेगी, जो अभी 195.7 अरब डॉलर है। अब भारत की बात करें। अमेरिकी ग्रॉसरी चेन ‘जाइंट ईगल’ ने अपने ‘ओमनीचैनल’ अनुभव को बढ़ाने के लिए बेंगलुरु में टेक सेंटर बनाया है। आप सोच रहे हैं ये ओमनीचैनल क्या है? पढ़ें।
इस सेंटर पर पहले से ही 300 से ज्यादा कर्मी हैं और 18 महीनों में संख्या बढ़ाकर 550 करने की योजना है। कंपनी 400 से ज्यादा जाइंट ईगल, मार्केट डिस्ट्रिक्ट, गेट गो रिटेल स्टोर्स चलाती है, इसमें 32 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं, वहीं सेल्स 10 अरब डॉलर के करीब होती है। यह फार्मेसी, बेकरी, चीज़ शॉप, इन-स्टोर बैंकिंग, ड्राई-क्लीनिंग जैसी सुविधा सेवाएं देती है।
फिलहाल उन्हें अंदाजा नहीं कि फुटकर सामान लेने वाले ग्राहक उनकी ड्राई-क्लीनिंग सुविधा इस्तेमाल करते हैं या नहीं। ग्राहक अपने कपड़े ड्राई क्लीन तो कराते होंगे पर कंपनी को नहीं पता कि कहांं। इसलिए बेंगलुरु ऑफिस उस ग्राहक के साथ संचार का एक जरिया(चैनल) बनाएगा और विभिन्न चैनल्स (इसे सर्विस कहें) को उस एक बातचीत में लाएगा। आसान लफ्जों में भारतीय कर्मचारियों को लागत कम करने का लक्ष्य, एनालिटिक्स का लाभ उठाने और नया प्लेटफॉर्म बनाने का काम सौंपा गया है, जो कि हर ग्राहक के अन्य सेवाओं में अप्रत्यक्ष खर्च को बढ़ाएंं।
इसका मतलब है जब ग्राहक कंपनी की कोई सर्विस इस्तेमाल करे, तो तकनीकी की मदद से एनालिस्ट का काम पहचानना होगा कि कैसे उसके अन्य सेवाओं पर खर्च करवा सकें, जिसके बारे उसे नहीं पता। यही ‘ओमनीचैनल’ अनुभव है। कंपनी का अंतिम लक्ष्य ग्राहकों से पैसे निकलवाना है। ठीक ऐसे ही अगर आपका लक्ष्य खुश रहना है तो उसी तरीके को अपनी निजी व पेशेवर जिंदगी में लागू करने का समय है।
हमारी उम्र में हम वर्क-लाइफ बैलेंस शब्द इस्तेमाल करते थे। पर यह बीते जमाने की बात है। आपको खुद को ओमनीचैनल अनुभव देने की जरूरत है। मुझे मालूम है, आप पूछ रहे हैं कैसे? सबसे पहले खुद को भिवष्य की नौकरियों के लिए प्रशिक्षित करें, ताकि जब नौकरियों के बाजार में उतरें तो वे नौकरियां हों।
उदा. के लिए अगर 2026 में पोस्ट ग्रैजुएट होने वाले हैं, तो खुद को उस साल की नौकरी के लिए तैयार करें। आने वाले सालों के हिसाब से अपग्रेड करते रहिए। ये सब सपने, पारिवारिक जरूरतों- घर, कार आदि- व आपकी खुशी के हिसाब से होना चाहिए।
फंडा यह है कि 2023 सिर्फ नया साल नहीं है, यह खुद को बिल्कुल नए क्षेत्र में प्रशिक्षित करने का भी साल है, मैक्डॉनल्ड जैसी आम नौकरी भी मशीन ने ले ली है, ऐसे में उस नए हुनर (ओमनीचैनल) के साथ सपनों को अंतिम लक्ष्य तक पहुंचाएं।