क्रिकेट से सीखिए कॉम्पिटिशन की तैयारी …?
सही स्ट्रैटेजी बनाइए, हर सवाल से एक बॉल की तरह डील कीजिए …
बार बार हां, बोलो यार हां; अपनी जीत हो, उनकी हार हां …
कोई हमसे जीत ना पावे; चले चलो, चले चलो; मिट जावे जो टकरावे, चले चलो
भले घोर अंधेरा छावे; चले चलो, चले चलो; कोई राह में ना थाम जावे; चले चलो
कोई कितना भी बहकावे, चले चलो; कोई हमसे जीत ना पावे; चले चलो, चले चलो; मिट जावे जो टकरावे, चले चलो…
– ‘लगान’ फिल्म का गीत
इंडियाss .. इंडियाss.. इंडियाss.. इंडियाss… क्रिकेट स्टेडियम में एक लय में जब ‘भारतीय’ अपनी ‘क्रिकेट टीम’ का उत्साह बढ़ाते हैं, तो वे यह नहीं सोचते कि उनमें कौन मुस्लिम, कौन हिन्दू और कौन दलित है। भारत में क्रिकेट, राजनीति से दूर, देश की एकता को दिखाता है। भारत अंग्रेजों से आजाद हो, गणतंत्र बन गया, लेकिन अंग्रेजों के लगभग दो सौ वर्षों के शासन ने भारत को कई अच्छे-बुरे अनुभव दिए।
इन्हीं में से एक है भारत और सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में ‘क्रिकेट’ की लोकप्रियता। आज देखेंगे और समझेंगे इसी क्रिकेट और कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी के बीच के रिश्ते को!
क्या कॉमन है क्रिकेट और कॉम्पिटिटिव एग्जाम प्रिपरेशन में
हर वो स्टूडेंट जो किसी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा है, ये जानकर उसे आश्चर्य हो सकता है कि अपनी तैयारी में वो कप्तान है, और उसके दस खिलाड़ी हैं। वो दस हैं – दृढ-निश्चय, कौशल, भावनात्मक सम्बल, योजना बनाना, संसाधन, प्रसन्न चित्त रहना, सुधार करना, गलतियों से सीखना, ताक़त व दम, और बुद्धिमता।
अर्थात (i) Determination, (ii) Skill, (iii) Planning, (iv) Emotional support, (v) Resources, (vi) Cheerfulness, (vii) Improvisation, (viii) Failure to learn, (ix) Stamina, and (x) Intelligence.

4 बड़े क्रिकेटिंग सबक
1) सबक नं. 1: अपनी परिस्थिति के अनुसार निर्णय लें
क्रिकेट मैच की शुरुआत टॉस के साथ होती है, एक ऐसी घटना जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। इसके अलावा पिच की स्थिति, मैदान का आकार, मौसम आदि कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका नियंत्रण किसी खिलाड़ी के पास नहीं होता।
लेकिन एक होशियार क्रिकेट खिलाड़ी अपने निर्णय इन परिस्थियों के अनुसार लेता है। उदाहरण के लिए – यदि सामने की और से तेज हवा चल रही है और बॉल ना बहुत अधिक पुरानी है और न बहुत अधिक नई तो स्विंग बॉलर को मदद मिल सकती है; यदि पिच पर घास है और बॉल एकदम नई नई है तो फास्ट बॉलर उपयोगी साबित हो सकते हैं।
किसी कार्य की सफलता या असफलता के लिए जिम्मेदार अनकंट्रोलेबल बाहरी पहलुओं का अध्ययन कर उनका अपने लाभ के लिए उपयोग हो पाए ऐसा डिसीजन लें। घबराएं नहीं।
2) सबक नं. 2: डेली बेसिस पर प्लानिंग करें
कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी करते वक्त जीवन का हर एक दिन एक फास्ट बॉल की तरह होता है। एक फास्ट बॉल को खेलने और उस पर रन बनाने के लिए बॉल को ध्यान से देखने और सही टाइमिंग की जरूरत होती है। ठीक उसी प्रकार अपने एक-एक दिन को ध्यान से सही टाइमिंग (कब कौन सा काम करना है, इसका ध्यान रखना) से जीएं।
रोज की प्लानिंग करें, एग्जाम तैयारी को, बॉल दर बॉल, जीकर सफल बनाएं।
3) सबक नं. 3: स्ट्रेटेजी
क्रिकेट वन डे मैच की एक इनिंग में स्लॉग ओवर (शरू के 15 ओवर) जब फील्ड रेस्ट्रिक्शन्स होते हैं, में ज्यादा से ज्यादा शॉट्स खेलकर फील्ड रेस्ट्रिक्शन्स का फायदा उठाना एक सफल स्ट्रेटेजी है। उसी प्रकार, लाइफ के शुरुआती वर्षों में की गई मेहनत पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती है। नियमों का फायदा रणनीतिक रूप से उठाना चाहिए।
आप भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स के सिलेबस और पिछले सालों के प्रश्न पत्रों को अध्ययन कर रणनीति बनाएं और सफलता प्राप्त करें।
4) सबक नं. 4: को-ऑर्डिनेशन और टीमवर्क
एक अच्छा क्रिकेट कप्तान बॉलिंग को सूट करती हुई फील्ड जमा कर एक औसत बॉलर को भी अच्छा बना सकता है और इसका उल्टा भी सही है। क्रिकेट में हर बॉल पर रन लेते समय पिच पर दौड़ रहे बल्लेबाजों में किस वस्तु की जरुरत सबसे ज्यादा होती है? आपस में कोऑर्डिनेशन। अन्यथा हमने कैसे-कैसे रन आउट देखे हैं।
इसी प्रकार कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स और जीवन में सफलता के लिए भी आपस में अपने परिवारजनों, दोस्तों, सहयोगियों के साथ को-ऑर्डिनेशन और टीमवर्क अत्यंत जरूरी है।
कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी में आप इसका उपयोग ग्रुप स्टडी करने के लिए कर सकते हैं।
सारांश
तो आज हमने 4 बड़े सबक सीखे
1) Be prepared for the unexpected
2) Plan on a daily basis
3) Strategise using existing rules
4) Coordinate for maximum effectiveness