नंबर प्लेट में गड़बड़ी से बच निकलते हैं एक्सीडेंट और अपराध में शामिल वाहन
शहर के अंदर और बाहर की सड़कों पर तीन साल में 5 हजार से ज्यादा एक्सीडेंट हुए हैं। इनमें 889 लोगों की जान गईं और 226 गंभीर घायल हुए हैं। हादसे जिन गाडिय़ों से हुए उनमें कुछ की…
ग्वालियर. शहर के अंदर और बाहर की सड़कों पर तीन साल में 5 हजार से ज्यादा एक्सीडेंट हुए हैं। इनमें 889 लोगों की जान गईं और 226 गंभीर घायल हुए हैं। हादसे जिन गाडिय़ों से हुए उनमें कुछ की पहचान तो हो गई है, लेकिन कई गाडिय़ों का पता नहीं चला है। इन घटनाओं की विवेचना कर रहे पुलिसकर्मी कहते हैं, कई बार तो घटना के वक्त सड़क सुनसान रहती है, लेकिन घायल घबराहट में गाड़ी का नंबर नहीं देख पाते हैं। 10 प्रतिशत से ज्यादा घटनाओं में तो नंबर प्लेट में खामियों की वजह से दोषी वाहन की पहचान नहीं हो पाती है। इसके बावजूद इन पर कसावट के लिए ठोस कार्रवाई नहीं होती है।
जिले में गाडिय़ों की संख्या 8 लाख का आंकडा पार कर रही है। इनमें कितनी गाडिय़ां यातायात और परिवहन विभाग के नियम से चल रही हैं, इसका सटीक आंकडा दोनों विभागों के पास नहीं है। पत्रिका टीम ने शहर के फूलबाग, इंदरगंज, गोला का मंदिर, राजमाता चौराहा, बहोड़़ापुर तिराहा, हजीरा चौराहा और झांसी रोड के अलावा एबी रोड पर दौड़ रहे वाहनों का जायजा लिया तो हर 10 वें वाहन की नंबर प्लेट में खामियां मिलीं। यातायात पुलिस के अधिकारी कहते हैं कि जब से चौराहों और रास्तों पर सीसीटीवी लगे हैं, गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन नंबर में गड़बडिय़ों बढ़ी हैं। गाड़ी मालिकों ने ई-चालान से बचने के लिए खुद ही नंबर कुरेदे हैं या उन्हें छिपाया है। लोग चालान से बचने के लिए यातायात के नियमों से खिलवाड़ कर रहे हैं।
जिले में गाडिय़ों की संख्या 8 लाख का आंकडा पार कर रही है। इनमें कितनी गाडिय़ां यातायात और परिवहन विभाग के नियम से चल रही हैं, इसका सटीक आंकडा दोनों विभागों के पास नहीं है। पत्रिका टीम ने शहर के फूलबाग, इंदरगंज, गोला का मंदिर, राजमाता चौराहा, बहोड़़ापुर तिराहा, हजीरा चौराहा और झांसी रोड के अलावा एबी रोड पर दौड़ रहे वाहनों का जायजा लिया तो हर 10 वें वाहन की नंबर प्लेट में खामियां मिलीं। यातायात पुलिस के अधिकारी कहते हैं कि जब से चौराहों और रास्तों पर सीसीटीवी लगे हैं, गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन नंबर में गड़बडिय़ों बढ़ी हैं। गाड़ी मालिकों ने ई-चालान से बचने के लिए खुद ही नंबर कुरेदे हैं या उन्हें छिपाया है। लोग चालान से बचने के लिए यातायात के नियमों से खिलवाड़ कर रहे हैं।
वाहनों की पहचान में इसलिए परेशानी
– गाड़ी के आगे लगी और पीछे लगी नंबर प्लेट पर दर्ज नंबर में अंतर। एक प्लेट पर पूरा नंबर दर्ज, जबकि दूसरी पर उसमें कांट-छांट
– दोनों नंबर प्लेट पर रजिस्ट्रेशन नंबर ही दर्ज नहीं।
– रजिस्ट्रेशन नंबर की बजाए स्लोगन और रसूख की इबारतें।
– नंबर प्लेट में इन खामियों की वजह से एक्सीडेंट या अपराध में इस्तेमाल वाहनों की पहचान नहीं हो पाती है।
– गाड़ी के आगे लगी और पीछे लगी नंबर प्लेट पर दर्ज नंबर में अंतर। एक प्लेट पर पूरा नंबर दर्ज, जबकि दूसरी पर उसमें कांट-छांट
– दोनों नंबर प्लेट पर रजिस्ट्रेशन नंबर ही दर्ज नहीं।
– रजिस्ट्रेशन नंबर की बजाए स्लोगन और रसूख की इबारतें।
– नंबर प्लेट में इन खामियों की वजह से एक्सीडेंट या अपराध में इस्तेमाल वाहनों की पहचान नहीं हो पाती है।
जिले में वाहनों की संख्या
दो पहिया – 5,93,906
चार पहिया -1,11,417
लोङ्क्षडग – 30938
ई रिक्शा – 5125
ऑटो – 8925
विक्रम -1270
ईवी कार -17
ईवी स्कूटर -1188
दूसरे वाहन 27037
दो पहिया – 5,93,906
चार पहिया -1,11,417
लोङ्क्षडग – 30938
ई रिक्शा – 5125
ऑटो – 8925
विक्रम -1270
ईवी कार -17
ईवी स्कूटर -1188
दूसरे वाहन 27037
फैक्ट फाइल
वर्ष दुर्घटना घायल मृतक
2020 1591 84 269
2021 1656 58 315
2022 1906 84 305
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट जरूरी
वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट जरूरी है। लेकिन लंबे समय से वाहनों पर यह प्लेट नहीं लगाई जा रही हैं। पुराने तर्ज पर हाथ से लिखे नंबर ही वाहनों पर लिखे जा रहे हैं। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट से छेडख़ानी नहीं की जा सकती। इसके अलावा रात के वक्त भी इन नंबर प्लेट को कैमरा आसानी से पढ़ सकता है।
नरेश बाबू अन्नोटिया, डीएसपी यातायात
वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट जरूरी है। लेकिन लंबे समय से वाहनों पर यह प्लेट नहीं लगाई जा रही हैं। पुराने तर्ज पर हाथ से लिखे नंबर ही वाहनों पर लिखे जा रहे हैं। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट से छेडख़ानी नहीं की जा सकती। इसके अलावा रात के वक्त भी इन नंबर प्लेट को कैमरा आसानी से पढ़ सकता है।
नरेश बाबू अन्नोटिया, डीएसपी यातायात