इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के अनुसार 50.3% ग्रैजुएट्स ही ऐसे हैं, जो नौकरी पाने योग्य हैं

हम सभी ने उन सफल आंत्रप्रेन्योर्स और सीएक्सओ की कहानियां सुन रखी होंगी, जिन्होंने बिना किसी पेशेवर योग्यता के कामयाबी हासिल की। पहले जहां कम्पनियों के लिए डिग्रियां ही सफलता का मानदंड होती थीं, वहीं अब वे ऐसे उम्मीदवारों को ज्यादा खोज रही हैं, जिनमें नई स्किल्स सीखने की तत्परता हो और जो अपने नॉलेज को उपयोगी बना सकें।

अगर आप परम्परागत शैक्षिक रीतियों में विश्वास नहीं रखते तो आपको यह जानकर राहत मिल सकती है कि पेशेवर रूप से सफल होने के दूसरे रास्ते भी हैं। मशीन लर्निंग, ऑटोमैशन, एआई के क्षेत्र में हुआ विकास दुनिया को बदल रहा है। साथ ही वह विभिन्न सेक्टरों में नई भूमिकाएं भी रच रहा है। लेकिन स्किल्स के अभाव में इन भूमिकाओं के लिए उपयुक्त लोग नहीं मिल पा रहे हैं। यही कारण है कि मैं अब रीस्किलिंग और अपस्किलिंग के अवसरों पर ज्यादा जोर देने लगा हूं।

इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के अनुसार 2023 में मात्र 50.3% ग्रैजुएट्स ही ऐसे हैं, जो नौकरी पाने के योग्य हैं। दूसरी तरफ, स्किल-आधारित भूमिकाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है, जिससे विभिन्न उद्योगों में रोजगार-पात्रता का अंतराल बढ़ रहा है।

वर्तमान में भारत की कार्यशक्ति के केवल 12 प्रतिशत लोगों के पास ही डिजिटल स्किल्स हैं। लेकिन इसी में उन पेशेवरों के लिए अवसर भी छुपे हैं, जो नए जमाने की स्किल्स को सीखने और खुद को नौकरियों के लिए तैयार करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम करने को राजी हैं। ऐसे अनेक संस्थान और कम्पनियां हैं, जो अपस्किलिंग की बढ़ती मांग को ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीकों से पूरा करने के लिए तैयार हैं।

एजुटेक इंडस्ट्री की मांग में इसी के चलते खासा इजाफा हुआ है। अपग्रेड और बोर्ड इनफिनिटी जैसे बूटकैम्प्स सामने आए हैं, जो कौशल-विकास में लोगों की मदद करते हैं। उच्चशिक्षा में भी सनस्टोन एजुवर्सिटी जैसे अनेक अन्य प्लेयर्स उभरे हैं, जो छात्रों को कुशल बनाकर शिक्षा और कॉर्पोरेट्स के बीच के अंतर को पाटते हैं।

जॉन गार्डनर ने अपनी मस्ट-रीड किताब ‘कैन वी बी इक्वल एंड एक्सीलेंट टू’ में कौशल और पात्रता की प्रासंगिकता को बहुत अच्छी तरह से बताया है। उन्होंने कहा है कि अब पात्रताएं उसी तरह से बेकार सिद्ध होने लगेंगी, जैसे कि समय के साथ विरासत में मिले विशेषाधिकार अनुपयोगी हो जाते हैं।

ऐसे में अगर कोई डिग्री या डिप्लोमा हासिल करना आपके मन का काम नहीं है तो आज के समय में इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। आप अपनी रुचि का कोई भी क्षेत्र चुन सकते हैं और किसी मोस्ट-वांटेड स्किल में महारत हासिल कर सकते हैं। सवाल यह है कि आज कौन-सी स्किल्स डिमांड में हैं?

स्किल्स इन डिमांड : आज जिस पैमाने पर डिजिटलाइजेशन हो रहा है, उसने हर इंडस्ट्री में टेक-पेशेवरों की मांग बढ़ा दी है। डेवोप्स, साइबरसिक्योरिटी, डाटा एनालिसिस, एआई, क्लाउड कम्प्यूटिंग आदि आज टॉप 10 मोस्ट इन-डिमांड स्किल्स में शुमार हैं। ब्लॉकचेन और मेटावर्स जैसी नई तकनीकों के आगमन ने नए अवसरों के लिए भी दरवाजे खोल दिए हैं।

इसमें रोमांचक पहलू यह है कि ये तमाम कोर्सेस गैर-वैज्ञानिक पृष्ठभूमि वाले पेशेवरों के द्वारा भी सीखे जा सकते हैं। बात केवल टेक की ही नहीं है, सप्लाई-चेन प्रबंधन, डिजाइन थिंकिंग, प्रोजेक्ट प्रबंधन, प्रोडक्ट प्रबंधन, डिजिटल मार्केटिंग की स्किल्स का भी आज बहुत महत्व है। भारत सरकार का स्वयम् पोर्टल अनेक ऐसे डोमेन्स में नि:शुल्क प्रशिक्षण की सुविधा देता है। वहीं आईआईएम और एसपी जैन जैसे शीर्ष संस्थान भी कम लागतों पर डेडिकेटेड सर्टिफिकेट कोर्सेस मुहैया कराते हैं।

आगे की राह : अमेजन वेब सर्विसेस इनकॉर्पोरेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डिजिटल स्किल्स की जरूरत 2025 तक बढ़कर नौ गुना हो जाएगी। आज 67 प्रतिशत रिक्रूटर्स ऐसे हैं, जो उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता के बजाय उसकी स्किल्स और तजुर्बे को ज्यादा महत्व देते हैं। गिग इकोनॉमी के उदय से भी नई स्किल्स विकसित हो रही हैं और लोग अब रिमोट-वर्किंग करने लगे हैं।

ऐसे में सवाल यही है कि क्या आप बदलाव को अंगीकार करने और बदलते दौर के लिए जरूरी स्किल्स को सीखने के लिए तैयार हैं? क्योंकि इसी से आपके करियर की दिशा तय होगी। तो निरंतर सीखते रहें और अपनी स्किल्स को प्रासंगिक बनाए रखें।

अगर कोई डिग्री या डिप्लोमा पाना आपके मन का काम नहीं है तो आज इससे फर्क नहीं पड़ता। आप अपनी रुचि का कोई क्षेत्र चुन सकते हैं और किसी मोस्ट-वांटेड स्किल में महारत हासिल कर सकते हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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