अब ब्राह्मणों ने मांगा अलग से आरक्षण …!

घनश्याम तिवाड़ी बोले- वक्फ बोर्ड की तरह हिंदू रिलिजियस एक्ट बने …

हम किसी अन्य समाज के आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, हमको तो हमारे हक का आरक्षण अलग से चाहिए।

यह मांग दौसा में ब्राह्मण समाज के नेताओं ने की है। दौसा के मेहंदीपुर बालाजी कस्बे में रविवार को विप्र महाकुंभ हुआ। इसमें कांग्रेस बीजेपी के ब्राह्मण नेता एक मंच पर दिखाई दिए। ब्राह्मणों के मुद्दों पर सभी के सुर समान रहे।

इस दौरान राज्यसभा सांसद और भाजपा के सीनियर नेता घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि हमें एसबीसी (स्पेशल बैकवर्ड क्लास) से मतलब नहीं है। हमें तो हमारा आरक्षण अलग से चाहिए।

इसके बाद तिवाड़ी ने मंदिर अधिग्रहण पर भी हुंकार भरी। कहा- राज्य सरकार को मंदिरों का अधिग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं है। पुजारी केवल ब्राह्मण ही नहीं, बल्कि गुर्जर व राजपूत समेत अन्य समाजों के भी लोग हैं।

इसलिए हमारी यह मांग केवल ब्राह्मण पुजारियों के लिए नहीं है। पूरे हिंदू समाज के लिए है। उन्होंने नाम लिए बगैर कहा कि यदि किसी के लिए वक्फ बोर्ड अलग से हो सकता है, तो हिंदू रिलिजियस एक्ट भी बनना चाहिए। सारे देवस्थान हिन्दू समाज के कब्जे में रहने चाहिएं।

विप्र फाउंडेशन की ओर से किए गए आयोजन में अलग अलग दलों से जुड़े ब्राह्मण नेता एक मंच पर नजर आए।

विधानसभा चुनाव से पहले जाति की राजनीति

विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में समाजों की सियासत तेज हो गई है। पिछले दिनों जयपुर में जाट महाकुंभ हुआ तो रविवार को दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी में विप्र महाकुंभ का आयोजन किया गया।

इसमें कांग्रेस-भाजपा के नेताओं ने एक मंच पर आकर समाज की एकता का झंडा बुलंद किया। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने ब्राह्मम समाज के लिए अलग से आरक्षण की मांग करते हुए राज्य सरकार की ओर से मंदिरों के अधिग्रहण का कड़े शब्दों में विरोध किया।

तिवाड़ी बोले- हम दूसरे समाजों के आरक्षण के खिलाफ नहीं

राज्यसभा सांसद ने कहा- जब आरक्षण का आंदोलन हमने शुरू किया था, उस वक्त यहां मंच पर बैठे सभी लोग हमारे साथ थे। सीकर से हमने आंदोलन शुरू किया था। मैं कह देना चाहता हूं कि हम किसी अन्य समाज के आरक्षण के खिलाफ नहीं। हमको हमारे हक का आरक्षण चाहिए।

उस वक्त सामाजिक न्याय मंच की ओर से आरक्षण की बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही थी। जिसमें मैं राजपूत, ब्राह्मण व बनियों को ओबीसी में शामिल करने की मांग कर रहा था। उस दौरान हमने सीकर के रामलीला मैदान से फॉर्मूला घोषित किया था। हम ओबीसी में नहीं जा सकते। हमें तो आर्थिक आधार पर अलग से आरक्षण चाहिए।

हम अगड़े हैं, लेकिन हम आर्थिक रूप से तगड़े नहीं

राज्यसभा सांसद ने कहा- सरकार ने समाज के सभी वर्गों को आरक्षण दे रखा है। हमारी जमीन चली गई, जजमानी चली गई। मंदिर माफी की हमारी जमीनें भी चली गई। इसके बावजूद लोग हम पर आरोप लगाते हैं। लोग वर्ण व्यवस्था की आलोचना करते हैं। मैं उस विवाद में नहीं पड़ना चाहता।

उन्होंने कहा- अभी भी 4 वर्ग बने हुए हैं- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और हम अगड़े। लेकिन हम आर्थिक रूप से तगड़े नहीं हैं। इसके लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण जरूरी है। इसी मांग के तहत संविधान संशोधन होने के बाद ईडब्ल्यूएस (इकोनॉमिक वीकर सेक्शन) का 10 प्रतिशत आरक्षण मिला है।

सम्मेलन में बड़ी तादाद में महिलाओं ने भाग लिया।

वह भी हमने अकेले नहीं लिया, उसमें राजपूत, वैश्य, कायस्थ तथा वंचित मुसलमान भी शामिल है। लेकिन इस आरक्षण के साथ तो वह सभी सुविधाएं जो अन्य समाजों को सरकार द्वारा दी जाती हैं, वह सभी सुविधाएं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग को भी मिलनी चाहिए।

तिवाड़ी ने कहा- मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने संविधान संशोधन करके आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया है।

ब्राह्मण समाज पर जन्मजात दो जिम्मेदारी

राज्यसभा सांसद तिवाड़ी ने कहा- ब्राह्मण समाज पर जन्मजात दो जिम्मेदारियां हैं। पहली जिम्मेदारी अपने परिवार व समाज को आगे बढ़ाने की व दूसरी जिम्मेदारी हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई विश्व की सबसे सर्वश्रेष्ठ संस्कृति, जो हमने पैदा की है, उसका संरक्षण करना।

विप्र महाकुंभ को जलदाय मंत्री महेश जोशी, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ, समाज कल्याण बोर्ड अध्यक्ष अर्चना शर्मा, केकड़ी विधायक रघु शर्मा, विधायक अभिनेष महर्षि, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ममता शर्मा, पूर्व विधायक शंकर शर्मा, सपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष पंडित रामकिशन, विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील ओझा, मावली विधायक धर्मनारायण जोशी समेत कई वक्ताओं ने सम्बोधित किया।

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