पांचवीं-आठवीं के परिणाम ने खोली शिक्षा की पोल ..?
सागर संभाग की स्थिति भी बेहद खराब है ..
प्रदेश में सबसे फिसड्डी टीकमगढ़ जिला इसी संभाग का है। उसका 52वां स्थान रहा…
प्र देश में 13 साल बाद बोर्ड पैटर्न पर हुई कक्षा पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा के परिणाम ने स्कूली शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। पूरे प्रदेश मेें पांचवीं-आठवीं में लगभग साढ़े चार लाख विद्यार्थी फेल हो गए। प्रदेश में सबसे खराब परिणाम सागर संभाग का रहा। संभागीय मुख्यालय सागर में कक्षा पांचवीं में 12596 और आठवीं में 14603 छात्र-छात्राएं फेल हो गए। प्रदेश में कक्षा 5वीं में सागर जिला 49वें और कक्षा 8वीं में 50वें नंबर पर रहा। पूरे प्रदेश में सबसे फिसड्डी टीकमगढ़ जिले का 52वां स्थान रहा। संभाग से कक्षा पांचवीं में 137666 और कक्षा आठवीं में 130159 छात्र-छात्राएं शामिल हुए। कुल 267825 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी और 86580 विद्यार्थी फेल हो गए। कई सरकारी स्कूलों में परीक्षा परिणाम शून्य आया है। अव्यवस्था का आलम यहा है कि कक्षा पांचवीं में कई स्कूल में पांचवां विषय उर्दू जोड़कर विद्यार्थियों को फेल कर दिया गया। पांचवां विषय कहां से जुड़ा, इसकी जानकारी अधिकारियों को भी नहीं है। बीना ब्लॉक के चार स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी बच्चे ने परीक्षा नहीं दी। इन स्कूलों में शुरुआत से ही लापरवाही बरती गई है। यदि अध्यापन कार्य कराया गया होता तो ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती। स्कूलों में समय से कक्षाओं का संचालन नहीं किया गया। परीक्षा के समय स्कूलों में कक्षाएं संचालित न होने की वजह से दर्जनों शिक्षकों पर कार्रवाई हुई, लेकिन व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। प्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते भी सालभर पढ़ाई नहीं हुई। कई प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं या बहुत कम हैं। कई स्कूल एक दो शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक मनमर्जी से स्कूल पहुंचते हैं और जो बच्चे स्कूल नहीं आते हैं, उन्हें लाने का प्रयास भी नहीं किया जाता है। शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद महीनों तक विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिलती हैं, लेकिन इस ओर अधिकारियों द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जाता है। शिक्षकों को गैर शिक्षण कार्य में लगाया जाता है, जो शिक्षक स्कूल जाते हैं तो वह ईमानदारी से पढ़ाते नहीं हैं। पांचवीं-आठवीं शिक्षा की नींव होती है। सरकार को इस नींव को मजबूत करने की दिशा में गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है। कारणों और उपायों की जानकारी उसे है, बस उन्हें पुख्ता तौर पर अमल में लाने की जरूरत है।