रेल दुर्घटना के किस मामले में कितना मिलता है मुआवजा..?
रेल दुर्घटना के किस मामले में कितना मिलता है मुआवजा, क्या है आवेदन प्रक्रिया, जानिए सबकुछ
ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या 230 के पार पहुंच चुकी है. 900 से ज्यादा लोग घायल हैं. जानिए, रेल दुर्घटना के अलग-अलग मामलों में रेलवे कितना मुआवजा देता है.
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को हुए ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या 230 के पार पहुंच चुकी है. 900 से ज्यादा लोग घायल हैं. शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस पहले डिरेल हुई फिर मालगाड़ी के इंजन पर चढ़ी. इसके बाद हावड़ा-बेंगलुरू एक्सप्रेस इसकी बोगियों से भिड़ गई. पीएमओ ने ऐलान किया है कि ट्रेन हादसे के मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए दिए जाएंगे जबकि घायलों को 50-50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. इसके अलावा रेल मंत्रालय की ओर से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख की आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई है. रेल दुर्घटना के मामलों में मुआवजा को लेकर संशोधन हुए हैं.
रेल दुर्घटना एवं दुर्घटना (मुआवजा) संशोधन नियमावली कहती है कि इससे जुड़े कई मामले में मुआवजे की शुरुआती राशि 4 लाख रुपए बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दी गई है. जानिए, रेल दुर्घटना के अलग-अलग मामलों में रेलवे कितना मुआवजा देता है.
घायल हुए हैं तो…
अगर किसी इंसान की आंखों की रोशनी चली गई है या सुनाई देना बंद हो गया है तो उसे 8 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. वहीं, अगर चेहरा विकृत हो जाता तो भी मुआवजे के तौर पर इतनी ही राशि दी जाती है. इसके अलावा चोट लगने के मामले उसकी गंभीरता के आधार पर घायल यात्री को 32,000 से लेकर 8 लाख रुपए तक की मुआवजा राशि दी जाती है.
रेलवे कौन सी स्थितियों को दुर्घटना मानता है?
रेलवे अधिनियम, 1989 का अध्याय 13 में कहा गया है कि दुर्घटना के कारण किसी यात्री की मौत और गंभीर शारीरिक क्षति के मामले में रेलवे विभाग उत्तरदायी है. जब ट्रेन में काम करते समय कोई दुर्घटना होती है तो यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेनों के बीच टक्कर होती है या यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेन पटरी से उतरती है तो घायल को मुआवजा दिया जाएगा.
किसे नहीं मिलेगा मुआवजा?
आत्महत्या का प्रयास, खुद को चोट पहुंचाना, गैरकानूनी काम के कारण होने वाली चोट, बिगड़ी मानसिक अवस्था में कोई ऐसा काम करने जिससे खुद को नुकसान पहुंचे, ऐसे मामलों में मुआवजा नहीं दिया जाएगा.
मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया
- रेल अधिनियम, 1989 की धारा 125 के तहत पीड़ित या मृतक के आश्रित मुआवजे के लिए रेलवे दावा अधिकरण (आरसीटी) में आवेदन कर सकते हैं.
- पैसेंजर ट्रेन दुर्घटना या अप्रिय घटना के तुरंत बाद, संबंधित आरसीटी बेंच को रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जो घायलों और मृतकों के सभी विवरण प्राप्त कर सकते हैं और दावेदारों को आवेदन पत्र भेज सकते हैं.
- जब दावे प्रस्तुत किए जाते हैं तो उसकी जांच की जाती है. रेलवे शीघ्र मामलों को निपटाने के लिए आरसीटी को हर संभव सहयोग करता है.
- रेलवे को ऐसे मामलों में आरसीटी से नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर लिखित बयान देना होगा.
- दावे की राशि की मंजूरी के बाद 15 दिनों के भीतर जारी या भेजे गए चेक का विवरण कंफर्म किया जाता है. मुख्य दावा अधिकारियों को 8 लाख रुपए तक के दुर्घटना मुआवजे के दावों को निपटाने का अधिकार है.
- आवेदक का निवास स्थान या वह स्थान जहां यात्री ने टिकट खरीदा हो या वह स्थान जहां दुर्घटना या अप्रिय घटना हुई हो, का उल्लेख आवेदन में किया जाना चाहिए.
- आरसीटी के समक्ष दायर दावा याचिकाओं के लिए प्रति मामले में अधिकतम तीन स्थगन की अनुमति है. आरसीटी को उसके समक्ष दायर मामले की अंतिम सुनवाई के 21 दिनों के भीतर समाप्त हो जाना चाहिए.
- भारतीय रेलवे की वेबसाइट www.indianrailways.gov.in में दुर्घटना के संबंध में मुआवजे के दावों के संबंध में नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है. आवेदन करने के लिए अलग-अलग तरह के प्रारूप यहां से डाउनलोड किए जा सकते हैं.