नई दिल्ली, वायु और ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले पुराने जेनरेटर को अब चलाने की बात तो दूर, उन्हें बेचना भी असंभव होगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने नवंबर 2022 से पहले बने जेनरेटरों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए कमर कस ली है। इस आशय की अधिसूचना जारी कर मंत्रालय द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) सहित देशभर के सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों के नाम लिखित आदेश भी जारी कर दिए हैं।

बता दें कि नवंबर 2022 में वायु और ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के मद्देनजर जेनरेटरों के लिए नए सिरे से गाइडलाइंस जारी की थी। इसके तहत औद्योगिक और व्यावसायिक कार्यों के लिए 800 मेगावाट तक के केवल ऐसे डीजल जेनरेटर ही इस्तेमाल किए जा सकेंगे, जिनमें दोहरी ईंधन प्रणाली की सुविधा होगी। जिस डीजी सेट में ऐसी सुविधा नहीं होगी, उन्हें लगवानी होगी।

यही नहीं, 298 किलोवाट से अधिक क्षमता वाले डीजी सेट में 30 सितंबर तक रेट्रोफिटेड उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण (आरईसीडी) लगाना भी अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा धुआं एवं ध्वनि प्रदूषण मानक भी तय कर दिए हैं। इसी कड़ी में अब 14 जून को एक अधिसूचना जारी कर 22 जून को मंत्रालय की सीपी डिविजन के निदेशक वेदप्रकाश मिश्रा की ओर से लिखित आदेश भी जारी किया गया है। इसके अनुसार देशभर में 30 जून के बाद पुरानी तकनीक से बने जेनरेटर बेचे भी नहीं जा सकेंगे।

इस तारीख तक भी जो जेनरेटर बेचे जाएंगे, उसकी पूरी सूचना खरीदने वालों की लिस्ट सहित 31 जुलाई तक सीपीसीबी के पास जमा करानी होगी। मंत्रालय की ओर से सीपीसीबी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया गया है कि विभिन्न श्रेणियों में छूट का लाभ केवल नए मानकों का पालन करने वालों को ही मिलना चाहिए।

पुराने उत्सर्जन मानकों वाले जेनरेटर की होगी निगरानी

एनसीआर में जेनरेटर से निकलने वाले उत्सर्जन को प्रदूषण के बड़े कारकों में शामिल किया जाता है, इसीलिए इनके इस्तेमाल को सीमित करने या पूरी तरह से पाबंदी लगाने जैसे कदम भी उठाए जाते रहे हैं। साथ ही जेनरेटरों के लिए नए मानक निर्धारित किए गए हैं। नए मानकों वाले जेनरेटर में पुरानों की तुलना में उत्सर्जन बहुत कम होता है। इसी सोच के मद्देनजर ज्यादा प्रदूषण करने वाले पुराने उत्सर्जन मानकों वाले जेनरेटरों की लिस्ट प्राप्त कर उनकी निगरानी की जाएगी। जिससे कि उनसे होने वाले प्रदूषण की रोकथाम की जा सके।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से पुराने बने जेनरेटरों की बिक्री को लेकर जो दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, उनका पूरा पालन सुनिश्चित किया जाएगा। 31 जुलाई के बाद इस संदर्भ में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों एवं समितियों के साथ समीक्षा बैठक भी की जाएगी।

 सदस्य, सीपीसीबी