नोएडा : जिले में 56 निजी अस्पताल मानकों की कसौटी पर फेल..?
गौतमबुद्ध नगर में 56 निजी अस्पताल मानकों की कसौटी पर खरे नहीं उतरे, सीलिंग का खतरा
– 650 से ज्यादा है निजी क्लीनिकों की संख्या
उत्तर प्रदेश में एक जनवरी 2022 से अस्पतालों के पंजीकरण के नियमों में बदलाव किया गया था। द क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 के सभी मानक लागू किए गए थे। हालांकि, पहले पिछले वर्ष नए नियमों का ज्यादा प्रभाव नहीं देखा गया था, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में अस्पतालों में बड़े हादसों के बाद इस साल पंजीकरण के नियमों को सख्ती से लागू किया गया है। पहले सीएमओ स्तर पर पंजीकरण होते थे।
अब 50 से अधिक बेड के अस्पतालों का पंजीकरण जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट अथॉरिटी के जिम्मे हैं। जनपद में 189 छोटे-बड़े निजी अस्पताल हैं। 30 जून तक इन्हें सभी मानक पूरे कर पंजीकरण के लिए आवेदन करना है। अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र इसमें अहम है। अब तक 133 को ही विभाग ने प्रमाण पत्र दिए हैं।
इस बार गहनता से हो रही जांच
इस बार अस्पतालों के पंजीकरण से पहले गहनता से जांच की जा रही है। अग्निशमन सुरक्षा प्रमाण पत्र जारी करने से पहले कई पहलुओं को जांचा जा रहा है। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग बाॅयो मेडिकल वेस्ट निस्तारण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी जांच कर रहा है। अस्पताल की लिफ्ट, फूड सेफ्टी लाइसेंस, ब्लड बैंक, पीसीपीएनडीटी लाइसेंस तक के पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है।
आग से बचाव के इंतजाम नदारद
शहर में कदम-कदम पर अस्पताल खुले हैं। कई तो आवासीय इमारतों में ही चल रहे हैं। अधिकांश में आग से बचाव के इंतजाम नदारद हैं। जहां गिनती के आग बुझाने वाले उपकरण लगाकर खानापूर्ति की गई है। हर साल पंजीकरण नवीनीकरण के नाम पर स्वास्थ्य और अग्निशमन विभाग अनियमितता बरतते आ रहे थे।
अग्नि सुरक्षा के मुख्य मानक
- हर कमरे में न्यूनतम डेढ़-डेढ़ मीटर चौड़े दो दरवाजे हों
- ऊपरी मंजिल पर ओवरहेड टैंक में हमेशा पानी भरा हो
- प्रत्येक मंजिल पर होज रील का इंतजाम होना चाहिए
- जगह-जगह अग्निशमन यंत्र और फायर सेफ्टी अलार्म हों
- कम से कम दो निकास द्वार और आपातकालीन संकेत हों
- अग्निशमन, पुलिस व आपातकालीन नंबर डिस्प्ले हों
30 जून तक अस्पतालों को पंजीकरण के लिए आवेदन का समय दिया गया था। एक जुलाई के बाद से अस्पतालों को नोटिस जारी किए जाएंगे। बिना पंजीयन चल रहे अस्पतालों को सील करने और बड़े अस्पतालों पर जुर्माने का प्रावधान है।
, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी
हर साल अस्पतालों और क्लीनिक संचालकों को पंजीकरण के लिए धक्के खाने पड़ते हैं। हर साल एक जैसे ही दस्तावेज जमा करने होते हैं। हमारी तरफ से पंजीकरण की प्रक्रिया को पांच साल के अंतराल पर करने की मांग उठाई जा रही है।
अध्यक्ष-आईएमए नोएडा