निकाय चुनाव: अध्यादेश पर BJP और कांग्रेस में बढ़ी रार, शिवराज बोले- कांग्रेस न दे सीख

भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राज्यपाल लालजी टंडन (Governor Lalji Tandon) द्वारा महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने वाले कमलनाथ सरकार (Kamal Nath government) के अध्याधेश को मंजूरी नहीं देने का विवाद गहराता जा रहा है. इसे राज्य की कमलनाथ सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Elections) से पहले बड़ा झटका माना जा रहा है. बता दें कि बीजेपी इस अध्यादेश का विरोध कर रही है.

इसी मामले में सोमवार को बीजेपी नेता उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर अध्यादेश पर विरोध जताया. दरअसल, राज्यपाल लालजी टंडन ने महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने वाले राज्य सरकार के अध्याधेश को मंजूरी नहीं दी है. बता दें कि महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने संबंधी प्रस्ताव को बीते महीने मध्य प्रदेश कैबिनेट ने मंजूरी दी थी.

इस प्रस्ताव के तहत प्रदेश में महापौर और नगर पंचायत अध्यक्षों का निर्वाचन पार्षदों द्वारा किया जाना है. वहीं, बीजेपी द्वारा इस प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है. बीजेपी ने निकाय चुनाव की अप्रत्यक्ष प्रक्रिया को मंजूरी नहीं देने के लिए राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा था. वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत के अध्यक्षों का चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से होना चाहिए. उन्होंने सीएम कमलनाथ से चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने की मांग की है.

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज का कहना है कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने पर खरीद-फरोख्त का खतरा बढ़ेगा. वहीं, विवेक तन्खा के ट्वीट पर शिवराज सिंह ने कहा कि राज्यपाल राजधर्म का पालन कर रहे हैं. उन्हें कांग्रेस नेता सीख ना दें. गौरतलब है कि कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने ट्वीट कर राज्यपाल लालजी टंडन को राजधर्म का पालन करने को कहा था.

बता दें कि राज्यपाल लालजी टंडन ने महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने वाले राज्य सरकार के अध्याधेश को मंजूरी नहीं दी है. हालांकि, राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) के एक अन्य अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. ये अध्यादेश पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे में गलत जानकारी से जुड़ा है. इसमें विधानसभा चुनाव की तरह उन्हें 6 माह की सजा और 25 हजार रुपए का जुर्माना का प्रावधान है.

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