सांसदों-विधायकों के खिलाफ केस के निपटारे के लिए विशेष कोर्ट का गठन ,,?

सांसदों-विधायकों के खिलाफ केस के निपटारे के लिए विशेष कोर्ट का गठन, एलजी सक्सेना ने दी मंजूरी
ये कोर्ट बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम 2005 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) अधिनियम 2012 के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों का निपटारा करेंगे।

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स में तीन नामित-विशेष कोर्ट के गठन को मंजूरी दे दी है। ये कोर्ट बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम 2005 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) अधिनियम 2012 के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों का निपटारा करेंगे।

बच्चों के खिलाफ अपराध, बाल अधिकारों के उल्लंघन और पॉक्सो अधिनियम के तहत सुनवाई से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए पहले से आठ अदालतें अधिसूचित हैं। तीन अतिरिक्त कोर्ट के बाद संख्या बढ़कर 11 तक पहुंच जाएगी। इस कोर्ट के पहले कानून विभाग ने जांच की और महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रस्ताव को एलजी के पास मंजूरी के लिए भेजा।
बता दें कि बाल अपराध के मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक दिसंबर 2020 को सीपीसीआर और पाॅक्सो अधिनियम के तहत किसी भी सांसद और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए राउज़ एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स में तीन अदालतों को अधिसूचित करने के लिए तत्काल आदेश जारी करने का निर्देश दिया था।

जल्द होनी चाहिए सुनवाई
पॉक्सो अधिनियम की धारा 28 (1) में कहा गया है कि बाल संरक्षण कानूनों के उल्लंघन के मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से आधिकारिक राजपत्र में प्रत्येक जिले के लिए एक विशेष अदालत नामित करेगी। सीपीसीआर एक्ट की धारा 25 में कहा गया है कि बाल अधिकारों के उल्लंघन और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित सुनवाई के उद्देश्य से राज्य सरकार हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से नोटिफिकेशन के माध्यम से राज्य में कम से कम एक न्यायालय नामित करेगी।

इस पर नहीं होगी लागू
यदि सेशन कोर्ट को पहले से स्पेशल कोर्ट में नामित कर दिया गया है। किसी अन्य कानून के तहत इस तरह के अपराध की सुनवाई के लिए अगर मौजूदा कानून के लागू होने से पहले विशेष अदालत का गठन हो चुका है।

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