दिल्ली अध्यादेश : ‘फाइलों पर किया अवैध कब्जा ..!

‘फाइलों पर किया अवैध कब्जा’, दिल्ली अध्यादेश पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अधिकारियों को धमका रही केजरीवाल सरकार
 केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि अध्यादेश को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए दिल्ली अध्यादेश के खिलाफ सोमवार (17 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की ओर से सतर्कता विभाग के अधिकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा था, जिसके चलते ये अध्यादेश लाया गया. केंद्र सरकार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर अवैध तरीके से फाइलों पर कब्जा करने का आरोप लगाया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से आरोप लगाते हुए कहा गया कि शराब नीति और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के रिनोवेशन के जांच की फाइलों पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी थी, जिसके जवाब में केंद्र ने अरविंद केजरीवाल की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

खारिज करनी चाहिए याचिका- केंद्र सरकार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल याचिका को खारिज किया जाना चाहिए. गृह मंत्रालय ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार की दलीलें निराधार और मनमानी हैं, जो कानूनी या संवैधानिक आधारों पर होने के बजाय राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं.

केंद्र सरकार ने 19 मई को अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया था, जिसमें अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को कार्यकारी शक्तियां दी गई थीं. केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि बहुत तेजी से पैदा हुई शर्मनाक स्थिति के कारण अध्यादेश को तत्काल रूप से लाने पर मजबूर होना पड़ा, क्योंकि संसद के अगले सत्र का इंतजार करने से राष्ट्रीय राजधानी “पंगु” हो जाती.

अधिकारियों के पीछे पड़ गई थी केजरीवाल सरकार- केंद्रीय गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद, जिसने सेवाओं पर दिल्ली सरकार के नियंत्रण को बरकरार रखा, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री नियमों और प्रक्रियाओं की परवाह किए बिना आदेश जारी करने और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए उग्र हो गए.

केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री अधिकारियों के पीछे पड़ गए. उन्हें परेशान करने के साथ ही धमकियां दी जाने लगीं. गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार पर सतर्कता विभाग के अधिकारियों को निशाना बनाने और कुछ फाइलों को गैरकानूनी तरीके से अपने कब्जे में लेने के लिए उनके चैंबरों में घुसने का आरोप लगाया. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब के मुताबिक, इन फाइलों में दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले, केजरीवाल के आवास के नवीनीकरण की जांच, दिल्ली सरकार की ओर से प्रायोजित विज्ञापनों और निजी कंपनियों को दी गई बिजली सब्सिडी से संबंधित फाइलें शामिल हैं.

मानसून सत्र में संसद में होगा अध्यादेश- गृह मंत्रालय
केंद्र सरकार ने कहा कि अध्यादेश मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा और इस मामले में अदालत के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में तर्क देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि राजधानी के प्रशासन के संबंध में केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों की चिंताओं को दूर करने के लिए अध्यादेश लाया गया था.

गृह मंत्रालय ने कहा कि अगर अध्यादेश पर रोक लगाई गई तो इससे दिल्ली प्रशासन को अपूरणीय क्षति होगी. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बिना किसी संघर्ष के कुशलतापूर्वक कार्य कर रहा है.

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