मध्य प्रदेश : PM मोदी और खरगे में कौन जीतेगा दलितों का दिल?
मध्य प्रदेश में SC पॉलिटिक्स, PM मोदी और खरगे में कौन जीतेगा दलितों का दिल?
PM मोदी 12 अगस्त को सागर में संत रविदास मंदिर का भूमिपूजन कर दलित वोटों को साधने की कवायद करेंगे तो दूसरे ही दिन 13 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का भी MP दौरा प्रस्तावित है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है. बीजेपी अपने खिसके हुए राजनीतिक जनाधार को दोबारा से जोड़ने के लिए सियासी तानाबाना बुन रही है. सूबे में 17 फीसदी दलित मतदाताओं पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नजर है. इसी मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अगस्त को सागर में संत रविदास मंदिर का भूमिपूजन कर दलित वोटों को साधने की कवायद करेंगे तो दूसरे ही दिन 13 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का भी एमपी दौरा प्रस्तावित है, जिसके पीछे कांग्रेस की दलित पॉलिटिक्स है. ऐसे में देखना है कि इस बार दलितों के दिल में कौन जगह बना पाता है?
एमपी में 17 फीसदी दलित मतदाता हैं, जो किसी भी राजनीति दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें दलित समुदाय के लिए आरक्षित हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दलित सुरक्षित सीटों पर बीजेपी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी थी, जबकि कांग्रेस ने जबरदस्त तरीके से इन सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसके चलते ही वह सत्ता का वनवास खत्म करने में कामयाब रही थी. एक बार फिर से चुनावी तपिश बढ़ने के साथ ही दलित वोटों को लेकर कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने हैं और दलित मतदाताओं को साधने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं.
दलित वोट साधने का क्या है बीजेपी प्लान?
बीजेपी ने अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए मख्य फोकस दलित और आदिवासी वोटों पर कर रखा है. शहडोल में आदिवासी समुदाय को साधने के बाद पीएम मोदी 12 अगस्त को सागर में 100 करोड़ की लागत से बनने वाली संत रविदास की मंदिर का आधारशिला रखेंगे. रविदास मंदिर के संदेश को प्रदेश में देने और दलितों को जोड़ने के लिए बीजेपी ने मंगलवार से ‘संत रविदास मंदिर निर्माण समरसता यात्रा’ शुरू की है. सिंगरौली से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, श्योपुर से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मांडव से कैलाश विजयवर्गीय, बालाघाट से भूपेंद्र सिंह और नीमच से एसी मोर्चा के अध्यक्ष लालसिंह आर्य यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. ये पांचों यात्रा 18 दिनों में 46 जिलों के 55 हजार गांव से एक मुट्ठी मिट्टी और 313 स्थानों की नदियों का जल एकत्र करके सागर लाएंगे. यात्रा के दौरान रविदास का चित्र, पादुका और कलश भी साथ रहेगा.
विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच पीएम मोदी का सागर दौरा संत रविदास मंदिर की आधारशिला रखकर दलित वोटों के सियासी संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है. दलित समुदाय के बीच संत रविदास की अपनी सामाजिक अहमियत है. पंद्रहवी और सोलहवी सदी के संत रविदास भक्ति आंदोलन के प्रणेताओं में शामिल रहे थे. इसीलिए उनके अनुयायियों की बहुत बड़ी तादाद है, जो खुद को रविदासी बताते हैं. ऐसे में पीएम मोदी संत रविदास की भव्य मंदिर की बुनियाद रखकर उस पर बीजेपी की दलित सियासत खड़े करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. सागर मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में आता है, जहां पर दलित वोटर काफी अहम रोल अदा करते हैं.
कांग्रेस दलित वोटों के लिए क्या कर रही?
बीजेपी ही नहीं कांग्रेस की भी पूरी कोशिश दलित वोटों को साधने की है. कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेताओं की आदिवासी और दलित बेल्ट में रैलियां करने की तैयारी कर रखी है. प्रियंका गांधी से लेकर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे तक की रैली का प्लान है. प्रियंका गांधी ने दलित बेल्ट वाले इलाके ग्वालियर में सभा करके माहौल बनाने की कोशिश की है तो अब राहुल गांधी की मालवा-निमाड़ में रैली है. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की 13 अगस्त को सागर में रैली प्रस्तावित है. खरगे कांग्रेस के दलित चेहरा माने जाते हैं. कर्नाटक चुनाव में खरगे का दांव सफल रहा था और उसी तर्ज पर मध्य प्रदेश में दलित वोटों को अपने पाले में जोड़े रखने की रणनीति है.
मध्य प्रदेश में दलित सियासत कैसी रही है?
मध्य प्रदेश में भले ही दलित समुदाय की आबादी 17 फीसदी है, लेकिन अभी तक कोई भी दलित मुख्यमंत्री नहीं बन सका जबकि विधानसभा के स्पीकर के पद पर भी एक बार ही विराजमान हो सके. कांग्रेस सरकार के दौरान नर्मदा प्रसाद प्रजापति विधानसभा स्पीकर रहे हैं. सूबे में प्रजापति दलित समुदाय में आते हैं. मौजूदा शिवराज सरकार में सिर्फ तीन दलित मंत्री हैं, जिनमें तुलसीराम सिलावट, डा. प्रभुराम चौधरी और जगदीश देवड़ा. बीजेपी से चार सांसद दलित हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार, संध्या राय, महेंद्र सिंह सोलंकी और अनिल फिरौजिया.
कांग्रेस से भले ही कोई भी दलित सांसद नहीं है, लेकिन विधायक की लंबी फेहरिश्त है. राज्य की 35 एससी आरक्षित सीट में से अभी कांग्रेस के पास 18 विधायक हैं तो बीजेपी के पास 17 विधायक. बीजेपी के दलित चेहरे की बात करें तो वीरेंद्र कुमार और तुलसीराम सिलावट प्रमुख हैं, जबकि कांग्रेस के दलित चेहरे की बात करें तो सज्जन सिंह वर्मा, लखन घनघोरिया, नर्मदा प्रसाद प्रजापति, मेवाराम जाटव, विजय लक्ष्मी साधे और महेश परमार शामिल हैं. इसके अलावा बीजेपी और कांग्रेस ने अपने दलित चेहरो को चुनावी रण में पूरी तरह से उतार दिया है. ऐसे में देखना है कि दलित सीटों के खेले में कौन भारी पड़ता है?