SC कर सकता है मणिपुर मामले की CBI जांच की निगरानी ..!

SC कर सकता है मणिपुर मामले की CBI जांच की निगरानी, सरकार से पूछे कई सवाल, कहा- ‘हिंसा किसी के खिलाफ हो, हम…’
 सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से पूछा कि जो 6000 FIR दर्ज हुई हैं, उनका वर्गीकरण क्या है? कितने FIR महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े हैं?

पीड़ित महिलाओं की भी याचिका

सुप्रीम कोर्ट खुद संज्ञान लेकर यह सुनवाई कर रहा है. लेकिन मामले को लेकर कई याचिकाएं भी दाखिल हुई हैं. इनमें 4 मई की घटना में दुर्व्यवहार की शिकार दोनों महिलाओं की याचिका भी शामिल है. उनकी तरफ से बोलते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जांच सीबीआई को नहीं सौंपनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से एसआईटी बनाए.

महिलाओं में विश्वास जगाना ज़रूरी

याचिकाकर्ताओं की तरफ से इंदिरा जयसिंह, कॉलिन गोंजाल्विस, शोभा गुप्ता और वृंदा ग्रोवर जैसे वकीलों ने भी दलीलें दीं. उन्होंने राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए. यह भी कहा कि केंद्र सरकार भी हिंसा पर निष्क्रिय बनी रही. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जांच से भी पहले ज़रूरी है कि महिलाओं में बयान देने के लिए आत्मविश्वास जगाया जाए. इसके लिए महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक हाई पावर्ड कमिटी वहां भेजी जाए.

‘हिंसा किसी के खिलाफ हो, हम गंभीरता से लेंगे’

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से कई सवाल पूछे हैं. कल यानी मंगलवार को दोपहर 2 बजे सुनवाई जारी रहेगी. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मैतेई समुदाय के लिए पेश एक वकील को इस बात पर भी आश्वस्त किया कि यह सुनवाई निष्पक्ष है. चीफ जस्टिस ने कहा, “हिंसा किसी भी समुदाय के प्रति हिंसा हुई हो, हम उसे गंभीरता से लेंगे. यह सही है कि ज़्यादातर याचिकाकर्ता कुकी समुदाय की तरफ से है. उनके वकील अपनी बात रख रहे हैं. लेकिन हम पूरी तस्वीर देख रहे हैं.”

कोर्ट ने राज्य सरकार से यह सवाल पूछे हैं :-
– जो 6000 FIR दर्ज हुई हैं, उनका वर्गीकरण क्या है?
– कितने FIR महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े हैं?
– कितने ज़ीरो FIR हैं?
– हर मामले में क्या कार्रवाई हुई है?
– कितनी गिरफ्तारी हुई है?

सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान जिन बातों पर चर्चा हुई, उसके हिसाब से इन पहलुओं पर आदेश आ सकता है :-

* पीड़िताओं के बयान दर्ज करने के लिए पूर्व महिला जजों की एक कमिटी बनाई जा सकती है.
* पीड़ित महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक उच्चस्तरीय कमिटी बनाई जा सकती है.
* सीबीआई जांच की निगरानी सीधे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किए जाने पर विचार होगा.
* डीजीपी स्तर के पूर्व अधिकारियों की SIT भी बनाई है सकती है.

‘सभी बेटियों की रक्षा कीजिए’
सुनवाई के दौरान वकील बांसुरी स्वराज ने प.बंगाल, छत्तीसगढ़, केरल और राजस्थान का भी मामला रखा. उन्होंने कहा कि सिर्फ मणिपुर की ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट को भारत की सभी बेटियों की रक्षा करनी चाहिए. बंगाल में पंचायत चुनाव प्रत्याशी को निर्वस्त्र किया गया. राजस्थान में अनुसूचित जाति महिलाओं का उत्पीड़न हुआ. इन पर भी मणिपुर जैसा आदेश हो. हालांकि, चीफ जस्टिस ने साफ किया कि यह सुनवाई मणिपुर को लेकर शुरू की गई है. इसमें उसी पर विचार होगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *