चंबल का राजघाट… वहां चल रही मोटरबोट !
चंबल में जहां होता था किडनैप, वहां चल रही मोटरबोट !
राजघाट पर दिन-रात होता था अवैध खनन, पुलिस भी आने में डरती थी; अब बना पिकनिक स्पॉट ..
चंबल का राजघाट… एक जैसी जगह जहां पर इंसान के साथ-साथ पुलिस को भी जाने में डर लगता था। रात-दिन चंबल में अवैध रेत का खनन और ट्रैक्टर-ट्रालियों की लाइनें ही इसकी पहचान बन गया था। यहां पर खौफ इतना कि धोखे से कोई पहुंच जाए तो उसे तुरंत बंधक बना लिया जाता था। 6 माह पहले तक यह नजारा था मुरैना के धौलपुर रोड स्थित चंबल नदी के राजघाट का, जहां जाने के लिए पुलिस प्रशासन भी हिम्मत नहीं जुटा पाता था। आज वह जगह पिकनिक स्पॉट बन गई है। साथ ही एसएएफ की दो कंपनियां तैनात हैं।
सैलानी आते हैं और मोटरवोट का लुत्फ उठाते हैं। मुरैना का यह बदलता स्वरूप, अब मुरैना की उस पहचान को बदल रहा है, जो कभी चंबल के बीहड़ों में छिपे डाकुओं के कारण वीभत्स हो चुका था। 15 जून को चंबल बीहड़ में सफारी को बंद किया गया है, जिसे अब नवंबर माह में फिर से सैलानियों के लिए शुरू किया जाएगा।
………….. राजघाट की तरफ बढ़ी जो बिरयर चौराहे से धौलपुर हाईवे पर था। रास्ते में कई नए होटल थे, जो मुरैना की बदलती तस्वीर को बयां कर रहे थे। रोड के बाईं तरफ प्रसिद्ध घिरौना मंदिर है, जो हनुमानजी का सबसे विशाल व प्रसिद्ध मंदिर है। जैसे-जैसे राजघाट की तरफ बढ़ते गए, हाइवे के दोनों तरफ बड़े-बड़े स्टोरेज व न्यू कॉलोनियां मिलती गईं जिनमें प्लाट काटे जा रहे थे। यह तस्वीर बता रही थी कि मुरैना शहर अब फैल रहा है। लोग शहर के वजाय अब खुली हवा में सांस लेने के लिए हाईवे के किनारे बसी कॉलोनियों में रहना चाह रहे हैं। यह तस्वीर देवरी गांव तक मिली।
तमाम आकर्षण समेटे देवरी घड़ियाल केन्द्र
मुरैना का देवरी घड़ियाल पालन केन्द्र न केवल मुरैना बल्कि पूरे चंबल संभाग का एकमात्र ऐसा केन्द्र है जिसमें घड़ियालों की हेचिंग की जाती है। उन्हें पाला जाता है। उसके बाद उन्हें वयस्क होने पर चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है। इस केन्द्र को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं। देवरी घड़ियाल केन्द्र में 6 माह से लेकर तीन साल तक की उम्र के घड़ियाल देखने को मिलते हैं। इसके अलावा यहां विश्व प्रसिद्ध बाटागुर कछुआ जिसे लाल तिलक धारी कछुआ भी कहते हैं, देखने को मिलता है। इस कछुए की खासियत यह है कि यह बहुत शुभ माना जाता है। यह केवल चंबल नदी या फिर गंगा नदी में ही मिलता है। घड़ियाल केन्द्र का वातावरण बहुत शांत तथा यहां की हरियाली देखते ही बनती है। चारों तरफ हरे-भरे पेड़ व नाव तथा करीने से बनाई गई बैठक व्यवस्था, इस केन्द्र को एक पर्यटन स्थल के रुप में पहचान दिलाए हुए है।
राजघाट का बदल चुका स्वरुप
भास्कर की टीम जैसे ही राजघाट पुल की तरफ बढ़ी तो बाईं तरफ पुल के नीचे घाट पर जाने का रास्ता था। वहां एसएएफ की कंपनी तंबू लगाए स्थाई रूप से मौजूद थी। उस छोटे से रास्ते से जब आगे बढ़े तो एक छोटा पुल मिला, जिसे अब पुराने पुल के नाम से जाना जाता है। पहले इसी पुल से आवागमन होता था। इस पुल की शुरुआत में पुल के दोनों तरफ दो छोटे मंदिर बने थे। मंदिर के बगल से गाड़ी उतारी जो सीधे नीचे उतरते हुए चंबल के किनारे पहुंच गई।
वोटिंग क्लब ने बढ़ाई रौनक
जिस चंबल नदी के राजघाट पर आम आदमी आने से डरता था वहां वोटिंग क्लब बना हुआ है। तीन-चार वोट वहां रखी हुई हैं। जैसे ही पहुंचे कुछ महिलाएं व बच्चे वोटिंग करके आ रहे थे। उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि विश्वास नहीं होता कि यह वही जगह है, जहां कुछ महीने पहले आने की सोच भी नहीं सकते थे। उन्होंने बताया कि चंबल में वोटिंग करके ऐसा लगता है कि जैसे किसी दूसरी जगह आ गए हों। महिलाओं ने बताया कि वह लोकल मुरैना की ही रहने वाली हैं। अब उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि मुरैना में एक ऐसी जगह हो गई जहां परिवार के साथ आकर घूमा जा सकता है। मुरैना में नया पकनिक स्पॉट बन गया है।
सुबह-शाम बीच से जैसा देता आनंद
चंबल राजघाट का बदला स्वरुप अब, इतना आकर्षक हो गया है कि यहां सुबह-शाम बहुत अच्छा लगता है। सैलानी यहां सुबह-शाम अधिक संख्या में आने लगे हैं। यहां लोग परिवार के साथ आते हैं तथा साथ में ही खाना लाते हैं तथा चंबल नदी के किनारे बैठकर खाते हैं। अभी गर्मियों में सैलानियों की संख्या बहुत कम है लेकिन सर्दियों के सीजन में यहां सैलानियों की संख्या बहुत बढ़ जाएगी।
वोटिंग ने बढ़ाई रौनक
चंबल नदी में वोटिंग ने नदी की रौनक बढ़ा दी है। वोटिंग की वजह से लोगों का आना शुरू हो गया। सैलानी वोट में बैठकर चंबल का नजारा देखना चाहते हैं। धीरे-धीरे सैलानियों की संख्या बढ़ रही है। आने वाले समय में सैलानियों की संख्या में जैसे-जैसे इजाफा होगा, वोटों की संख्या भी बढ़ जाएगी।
पुलिस की सुरक्षा में सैलानी
सबसे खास बात यह है कि यहां पर पुलिस की 24 घंटे सुरक्षा है जिससे सैलानियों को किसी बात का खतरा नहीं है। वे बेफ्रिक होकर यहां अपने परिवार के साथ घूम सकते हैं तथा चंबल नदी का नजारा देख सकते हैं। यहां दिन के साथ-साथ देर शाम तक भी रूका जा सकता है। पुलिस प्रशासन द्वारा यहां स्थाई चौकी बनाई गई है। वहीं दो कंपनियां भी हर समय तैनात रहती हैं।
ग्वालियर से मात्र 40 किलोमीटर दूर मुरैना
ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर, आगरा-धौलपुर हाईवे पर बसा मुरैना शहर के नाम पर ज्यादा बड़ा नहीं है। बैरियर चौराहे से लेकर रेलवे स्टेशन तक मुख्य बाजार फैला है जिसकी दूरी मात्र दो से ढाई किलोमीटर है। इस बाजार को एकमात्र रोड जोड़ती है जिसका नाम एमएस रोड है।
मुरैना की पहचान बनी न्यू कलेक्ट्रेट
ग्वालियर की तरफ से मुरैना में घुसते ही न्यू कलेक्ट्रेट मिलती है िजसने मुरैना की पहचान को बदला है। यह नई इमारत है जिसमें जिले के लगभग सभी विभागों के कार्यालय मौजूद हैं।