उम्मीदवार जल्दी घोषित करने की सार्थक पहल !

विधानसभा चुनाव से करीब सौ दिन पहले ही मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 60 प्रत्याशियों की घोषणा कर भारतीय जनता पार्टी ने नई पहल की है। भाजपा का यह कदम चौंकाने वाला तो है, लेकिन कई मायनों में इसे मतदाताओं की दृष्टि से बेहतर कदम माना जा सकता है। एकाध अपवादों को छोड़ भी दिया जाए तो सभी प्रमुख दल आम तौर पर चुनाव कार्यक्रम जारी होने के काफी बाद और कभी-कभी तो नामांकन दाखिल करने की आखिरी तिथि के ऐन पहले उम्मीदवार तय करते आए हैं। कोई एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि कमोबेश सभी दलों में उम्मीदवारों की सूचियां जारी होते वक्त यही देखने में आता है।

हम दुनिया में लोकतंत्र के अगुआ माने जाते हैं। इसके बावजूद चुनावी राजनीति में जिस तरह से कई विसंगतियां पनपनती जा रहीं है, उन्हें शुभ संकेत कतई नहीं कहा जा सकता। यह बात सही है कि राजनीतिक दलों के सामने बड़ी चुनौती दलीय अनुशासन बनाए रखने की है। हर चुनाव में उम्मीदवारी के वक्त एक अनार सौ बीमार वाली हालत होती हैै। टिकट नहीं मिलने पर दावेदारों का गुस्सा भी बगावत के रूप में सामने आने के किस्से आम रहते हैं। इन तमाम खतरों को देखते हुए भी भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर साहसिक कदम उठाया है। यहां सवाल इस बात का नहीं कि इस घोषणा से भाजपा को फायदा होगा या नुकसान। अहम सवाल यह है कि साल के 365 दिन कार्यकर्ताओं के बीच काम करने वाले दल पहले से उम्मीदवारों का चयन क्यों नहीं कर पाते? तीन माह पहले ही उम्मीदवार तय होने से उन्हें अब मतदाताओं के पास जाने का ज्यादा वक्त मिल पाएगा। मतदाता भी अपने उम्मीदवार को ठीक से समझ पाएंगे। देश के लोकतंत्र के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर ही है। चुनाव जीतने के बाद मतदाताओं से दूरी बना लेने की आम समस्या है। चुनावी लोकतंत्र का अर्थ सिर्फ हार-जीत ही नहीं होना चाहिए। मतदाताओं के सुख-दुख में भागीदारी निभाना अधिक महत्त्वपूर्ण है। भाजपा ने दो राज्यों में 60 प्रत्याशी चुनाव कार्यक्रम तय होने से पहले ही घोषित कर दिए, इसकी प्रतिक्रिया तो अभी सामने आना बाकी है।

प्रत्याशी जल्दी घोषित करने के जहां फायदे हैं, तो नुकसान भी कम नहीं। प्रत्याशियों के चुनाव खर्च का मीटर उनकी उम्मीदवारी तय होने के साथ ही शुरू हो जाएगा। दूसरे दावेदारों को भी अपनी रणनीति को धार देने का मौका मिल जाएगा। फिर भी दूसरे दलों को भी इस दिशा में पहल करनी ही चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *