इंदौर : नंबर-वन बनने की कहानी !

इंदौर में CNG से दौड़ाईं बसें,लकड़ी-कोयले की भटि्टयां बंद कराईं ….. 500 कुएं-बावड़ी जिंदा कीं; स्मार्ट सिटी CEO से जानिए नंबर-वन बनने की कहानी

1. पानी कैटेगरी में पहली रेंक…कुओंबावड़ियों और झीलों को ऐसे संवारा

– 455 कुएं, 25 बावड़ियां और 29 झीलें को संभाला और संवारा गया। जलनिकाय कायाकल्प प्रोजेक्ट ली गई।

– सबसे पहले होलकर छतरी, बावड़ी की सफाई कराई, फिर उसमें खूबसूरती लाए।

– बावड़ियाें में सालों से जमी गाद निकाली और आसपास के कब्जे हटाए गए।

– जलस्रोतों के पास एक लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए।

– कुओं और बावड़ियों को पूरी तरह जाली से ढंका गया ताकि कचरा ना फेंका जा सके।

– खान और सरस्वती नदी के पास अवैध निर्माण पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया।

– 1 लाख से अधिक प्रतिष्ठानों में रैन वाटर हॉर्वेस्टिंग (RWH) सिस्टम लगाए गए।

2. अर्बन इनवायरनमेंट में देश में नंबर वन : इलेक्ट्रिक, CNG, LPG पर रहा जोर

– सबसे पहले स्वच्छ ईधन के रूप में बिजली और LPG का प्रचार और उपयोग पर जोर दिया गया।

– होटलों और खुले स्थानों में कोयले से चलने वाले चूल्हे या जलाऊ लकड़ी के बजाय एलपीजी, सीएनजी और इलेक्ट्रिक का उपयोग किया जाने लगा।

– इसी तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट को भी डीजल के बजाय सीएनजी व इलेक्ट्रिक पर डायवर्ट किया गया।

– प्रमुख AQI हॉटस्पॉट के साथ 50 AQI सेंसर स्थापित किए गए।

– पांच सालों में शहर में 10 लाख पौधे लगाए गए जिससे आबोहवा बेहतर हुई।

– शहर में 448 रेस्टारेंट, बेकरियों और होटलों का संचालन अब इलेक्ट्रिक या सीएनजी से हो रहा है।

– इसके अलावा 80 से ज्यादा बसों को भी अलग से सीएनजी या इलेक्ट्रिक से करने का काम पाइप लाइन में है।

– वर्टिकल गार्डन बनाकर ग्रीन बफर जोन में क्षेत्र बदल दिया गया।

– इसके लिए 400 ऐसे स्थानों को आइडेंटिफाई किया गया जहां अतिक्रमण थे जिसे हरे क्षेत्र में विकसित किया जा सकता था। ‘अहिल्या वन’ नाम दिया गया।

– पहले चरण में चिन्हित 104 स्थलों पर 1 लाख से अधिक पौधे लगाए गए।

– करीब 1.5 लाख वर्गफीट को ग्रीन बफर जोन में बदल दिया गया।

– हर जोन में औसतन 5 अहिल्या वन बनाए गए। इसमें 15 एनजीओ ने 40 अहिल्या वन की जिम्मेदारी ली है।

– यहां से 5 हजार बैग्स की खाद उपयोग में लाई जाती है।

3. सेनिटेशन में नंबर 1 : कचरे से कंचन, कूडे से 9 करोड़ रु. की कमाई

– कचरे को अलग-अलग करने के लिए देवगुराड़िया में 150 करोड़ का गोवर्धन बायो सीएनजी प्लांट लगाया गया है। यहां 35 टन प्रति दिन क्षमता के 2 बाॅयो मिथेनेशन प्लांट हैं।

– इस सीएनजी के जरिए शहर में करीब 430 बसें रोजाना 77 हजार किलोमीटर का सफर तय करती हैं।

– कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग के पहले दो सालों में नगर निगम की कुल कमाई 9 करोड़ रु. की रही।

– इसी प्लांट के जरिए बन रही 100 टन खाद किसानों और उर्वरक कंपनियों को बेची जाती है।

4. वेल्यु कैप्चरिंग फाइनेंसिंग (VCF) में देश में दूसरे नंबर पर : अब राज्य और केंद्र के भरोसे कम

VCF एक इनोवेटिव फाइनेंशियल मॉडल है। इससे पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने में काफी मदद मिली है। खास बात यह इस मॉडल से राज्य व केंद्र से मदद की कम ही जरूरत पड़ी। इसके साथ ही डेवलपमेंट होने के साथ रेवन्यू भी बढ़ने लगा। लोगों की भी इसमें सहभागिता रही।

5. रिवर फ्रंट डेवलपमेंट में देश में दूसरे नंबर पर : 1 हजार से ज्यादा झुग्गियां हटाकर कर दिया हराभरा

– सरस्वती नदी के किनारे 4 किमी के हिस्से में 400 से ज्यादा अतिक्रमण और 1 से ज्यादा झुग्गियां थी।

– इन्हें PMAY, RAY, BSUP योजनाओं के तहत आवास उपलब्ध कराए गए। फिर यहां 4.50 लाख वर्गफीट को हरे-भरे स्थानों के रूप में विकसित किया गया।

6. कोविड-19 इनोवेशन में देश में नंबर 2 : ऐसा किया चुनौतीभरा काम

कोरोना काल के दौरान मरीज को ट्रेस करने व नियंत्रण के लिए ‘कोविद -19 एप’ और ‘इंदौर 311’ एप का खासा उपयोग किया गया। इसके साथ ही 24 घंटे कॉल सेंटर स्थापित किए। लोगों की मदद और परामर्श के लिए इन सेंटरों पर 200 से ज्यादा ट्रेण्ड ऑपरेटर और 100 डॉक्टरों को लगाया।

– 7 लाख से ज्यादा लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की गई और 1.25 पॉजिटिव केसों को चिन्हित किया गया।

– 550 कंटेनमेंट जोन बनाए गए। 400 से ज्यादा कोरोना प्रभावित क्षेत्रों की कड़ी तोड़कर नियंत्रण किया गया।

– 85 हजार मरीजों को होम आइसोलेट कर इलाज किया।

– 40 लाख जनसंख्या वाले इस शहर में कोरोना संदिग्ध मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग की गई।

– 12 दिनों में सीरो सर्वे किए गए।

– एप से 1183 पॉजिटिव केस चिन्हित किए।

– नगर निगम के इंदौर-311 के माध्यम से प्लान तैयार कर 15 लाख अनाज के पैकेट वितरित किए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *