शिक्षा के मंदिरों में हवस के पुजारी ?

9वीं की छात्रा से टीचर ने किया रेप …..
  कोई हिंदू-मुसलमान की बातें कर बच्चों में फैला रही नफरत, कहीं शिक्षा के मंदिरों में हवस के पुजारी

ऋषि शुक्राचार्य राक्षसों के गुरु थे। एक बार की बात है, देवासुर संग्राम छिड़ा हुआ था। उस दौरान शुक्राचार्य की वजह से असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। युद्ध में जब भी कोई राक्षस मारा जाता तो शुक्राचार्य उसे अपनी मृतसंजीवनी विद्या से जीवित कर देते, जो फिर युद्ध में उत्पात मचाते। शुक्राचार्य ने गुरु होते हुए भी धर्म और न्याय के बजाय अधर्म और अन्याय का साथ दिया।

इसी तरह महाभारत काल में एक और गुरु हुए द्रोणाचार्य। जो पांडवों को शस्त्र विद्या सिखाते थे। एक आदिवासी वीर बालक एकलव्य ने जंगल में इन्हीं द्रोणाचार्य की मूर्ति स्थापित कर उसके सामने धनुर्विद्या सीखी और पांडव पुत्र अर्जुन से भी बड़े धनुर्धारी बन गए। लेकिन द्रोणाचार्य ने एकलव्य से दक्षिणा में दाएं हाथ का अंगूठा ले लिया, ताकि वह अर्जुन से बड़ा धनुर्धारी न बन जाए। ये दो उदाहरण ऐसे गुरुओं के रहे हैं, जिन्हें माना जाता है कि आदर्श गुरु की परंपरा नहीं निभाई।

दरअसल, इन उदाहरणों को देने का मकसद गुरु की गलत प्रवृत्ति उजागर करना है जो आज के समय में गुरु के किरदार को गलत शक्ल दे चुकी है।

चलिए पहले ऐसी कुछ और घटनाओं के बारे में जानते हैं-

केस-1

हाल ही में एक महिला टीचर के गलत कारनामे से जुड़ा वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। यूपी के मुजफ्फरनगर में प्राइवेट स्कूल की टीचर क्लास में एक बच्चे को बाकी बच्चों से पिटवा रही हैं। दावा किया जा रहा है कि जिस बच्चे को बाकी छात्र थप्पड़ मार रहे हैं, वो मुस्लिम है। पुलिस जांच में सामने आया कि महिला अपने घर पर ही स्कूल संचालित कर रही थी। यह मुद्दा राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का विषय बन गया है।

केस-2

झारखंड के चतरा जिले में एक टीचर ने अपने ही स्कूल में पढ़ने वाली 9वीं कक्षा की स्टूडेंट से रेप किया। आरोपी टीचर ने नाबालिग स्टूडेंट की अश्लील तस्वीरें खींची और वीडियो बना लिए। अश्लील तस्वीरें और वीडियो के नाम पर टीचर लगातार नाबालिग का यौन शोषण करता रहा। नाबालिग ने जब विरोध किया तो उसने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए। अब आरोपी टीचर जेल में है।

केस-3

दो महीने पहले राजस्थान के बीकानेर से 17 साल की नाबालिग छात्रा अचानक गायब हो जाती है। पुलिस जांच में पता चला कि स्कूल की महिला टीचर भी गायब है।

कुछ दिन बाद दोनों का वीडियो सामने आया। वीडियो में दोनों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वे एक दूसरे से प्यार करती हैं। बाद में पुलिस ने दोनों को चेन्नई से गिरफ्तार किया।

केस-4

बीते महीने यूपी के गौतमबुद्ध नगर में शांति इंटरनेशनल स्कूल में टीचर ने सजा देने के नाम पर 12 बच्चों के बाल काट दिए। घटना के अगले दिन नाराज पेरेंट्स विरोध करने स्कूल पहुंच गए। पुलिस ने किसी तरह पेरेंट्स को शांत कराया। वहीं इस मामले में स्कूल मैनेजमेंट ने टीचर को बर्खास्त कर पेरेंट्स से खेद जताया।

टीचर के साथ-साथ सिलेक्टर्स पर हो कड़ी कार्रवाई

बाल यौन उत्पीड़न पर लंबे समय से जागरूकता अभियान चला रहीं अर्चना अग्निहोत्री बताती हैं कि जब से इंटरनेट नेे पैर पसारने शुरू किए तब से चाइल्ड सेक्सुअल हैरसमेंट सोसाइटी के हर क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है। एजुकेशन सेक्टर इससे अछूता नहीं है।

स्कूलों में कई टीचर बच्चों के साथ मारपीट, बैड टच, सेक्सुअल हैरसमेंट और रेप जैसी घिनौनी करतूत कर रहे हैं। इन पर कानूनी कार्रवाई के लिए वैसे तो पॉक्सो एक्ट है लेकिन यह तो घटना के बाद कार्रवाई तक सीमित है जबकि इसकी जड़ तो सिलेक्शन प्रोसेस और सिलेक्टर्स तक जाती है।

ऐसे में जो टीचर स्कूलों में हैवानियत की सारी हदें पार कर देते हैं उन पर तो कार्रवाई होनी ही चाहिए। साथ में टीचर की चयन प्रक्रिया को सख्ती से मॉनिटर करने की जरूरत है। जहां टीचर की टीचिंग क्वालिफिकेशन के साथ उसका बैकग्राउंड, साइकोलॉजिकल सिचुएशन और मेंटल हेल्थ का चेकअप होना भी जरूरी है।

टीचर से पिटाई, छेड़छाड़ से बच्चों की बिगड़ती मेंटल हेल्थ, हार्ट अटैक का भी खतरा

साइकोलॉजिस्ट डॉ. सारिका कुमार बताती हैं कि अगर बच्चों को अपने आसपास की चीजें, माहौल और लोग अनुशासन में नहीं दिखें तो वे कभी भी अनुशासन की अहमियत नहीं समझते। इस वजह से उन्हें कई बार बड़ों से डांट या मार पड़ती है।

टीचर से मिली कॉरपोरल पनिशमेंट, छेड़छाड़ और रेप का स्टूडेंट्स पर बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से उन्हें शारीरिक और मानसिक चोट तो पहुंचती ही है, स्टूडेंट्स के मन पर इसका बुरा असर पड़ता है। बच्चे पढ़ाई में पिछड़ते और दब्बू बन जाते हैं।

बच्चे की ऐसी मनोस्थिति को बयां करने वाली एक घटना बीते 24 अगस्त को यूपी के मुरादाबाद में घटी। यहां टीचर ने 7वीं क्लास के बच्चे को सीने में मुक्का मारते हुए इतना डराया कि बच्चे को हार्ट अटैक आ गया। इसके बाद से बच्चा आईसीयू में है। क्या ऐसा व्यक्ति टीचर कहलाने लायक है?

टीचर्स के दुर्व्यवहार पर हाईकोर्ट जता चुका है नाराजगी

इसी साल मई में बॉम्बे हाई कोर्ट ने टीचर के हिंसक व्यवहार पर गहरी नाराजगी जताई। दरअसल, एक प्ले स्कूल की टीचर भक्ति शाह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट का कहना था कि बच्चों के साथ होने वाला क्रूर व्यवहार उनकी मानसिक व शारीरिक सेहत पर बुरा असर डालता है। अफसोस इस बात है कि बिगड़ता मानसिक स्वास्थ्य नजर नहीं आता। इसलिए छोटे बच्चों के सिर पर किताब से मारना, चिकोटी काटने को सामान्य व्यवहार नहीं कहा जाएगा।

कोर्ट ने कहा, ‘सीसीटीवी फुटेज से पता चल रहा है कि टीचर बच्चों के साथ बुरा और क्रूर बर्ताव कर रही है जिससे क्राइम की गंभीरता को समझा जा सकता है। इसलिए टीचर को गिरफ्तारी से राहत नहीं दी गई।’

दरअसल, मुंबई में कांदिवली पुलिस ने टीचर भक्ति शाह के खिलाफ किशोर न्याय कानून अधिनियम 2015 व 2020 की धारा 23 एवं 75 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए शाह ने अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने कहा कि केस से जुड़े सीसीटीवी फुटेज मौजूदा मामले में आरोपी टीचर के दोषी होने का खुलासा करते हैं।

जानिए चार तरह की नेगेटिव टीचर-स्टूडेंट रिलेशनशिप

एडुफ्लो (eduflow) के मुताबिक, टीचर और स्टूडेंट्स के बीच नेगेटिव रिलेशनशिप चार तरह की देखने को मिलती है।

  • पहली नेगेटिव रिलेशनशिप ऐसे टीचर्स द्वारा बनाई जाती है जो कि प्रोफेशन में नए होते हैं। उनमें एक्सपीरियंस और मैच्योरिटी की कमी रहती है। वे स्टूडेंट्स के बीच अपनी स्वीकार्यता को बढ़ाने के लिए नॉलेज के बजाय मेल-जोल का रास्ता चुनते हैं। ऐसे में वे स्टूडेंट्स के साथ इतने ज्यादा घुल मिल जाते हैं कि प्रोफेशनल सीमाएं टूट जाती हैं।
  • दूसरी रिलेशनशिप में टीचर चाहे वे प्रोफेशन में नए हों या फिर अनुभवी अपने प्रोफेशनलिज्म को दरकिनार कर स्टूडेंट्स के बेहद नजदीक आने की कोशिश करते हैं। ऐसे में टीचर और स्टूडेंट के बीच का फासला इतना कम हो जाता है कि वह रिश्ते को एक गलत मोड़ दे देता है।
  • तीसरी रिलेशनशिप में टीचर अपने स्टूडेंट्स का विश्वास खो बैठते हैं। टीचर अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए बैड टच और छेड़खानी तक पर उतर आते हैं। ऐसी स्थिति में टीचर की पढ़ाई हुई चीजों को स्टूडेंट्स सिरे से नकार देते हैं। टीचर और स्टूडेंंट्स के बीच मार-पिटाई तक की स्थिति पैदा हो जाती है।
  • चौथी रिलेशनशिप में टीचर और स्टूडेंट्स के बीच एथिक्स और मिसकंडक्ट की सभी हदें लांघ दी जाती हैं। ऐसे में टीचर या फिर स्टूडेंट्स क्राइम तक कर बैठते हैं। स्टूडेंट-टीचर रिलेशनशिप में रेप, हत्या जैसे क्राइम को इसी निगेटिव रिलेशनशिप में शामिल किया जाता है।

मेंटल डिस्ऑर्डर और क्रूर सोच रखने वाले टीचर करते हैं बच्चों से दुर्व्यवहार

इंस्टीट्यूफ ऑफ ह्यूमन बीहैवियर एंड अलाइड साइंसेस (IHBAS) दिल्ली में साइकेट्रिस्ट डॉ. प्रवीन त्रिपाठी के मुताबिक, टीचर का स्कूल में बच्चों पर हिंसक हो जाना कई स्थितियों का परिणाम हो सकता है। इसमें स्कूल का रिजल्ट बेहतर करने और बच्चों को अनुशासित बनाने का दबाव भी शामिल रहता है।

ऐसे टीचर की पर्सनल दिक्कतें भी हो सकती हैं। परिवार की समस्याएं, सैलरी कम होना या फिर खुद की परफॉर्मेंस को लेकर चिंता भी टीचर के द्वारा बच्चों को पीटने की वजह बन जाती है। जहां तक बच्चियों के साथ टीचर के दुर्व्यवहार और गलत संबंध बनाने की बात है तो इस तरह के काम टीचर के मेंटल डिस्ऑर्डर और क्रूर सोच का परिणाम होते हैं।

बच्चों को गंभीर रूप से पीटना अपराध, शिक्षा विभाग नौकरी से करता बर्खास्त

दिल्ली में एडवोकेट दिलीप कुमार कहते हैं कि बच्चों की गंभीर पिटाई, उनके हाथ-पैर तोड़ देना, सिर फोड़ देना, उनके साथ गंदी हरकते करना ये सभी अपराध की श्रेणी में आते हैं। तब यह मायने नहीं रह जाता है कि यह अपराध स्कूल में हुआ या स्कूल के बाहर हुआ। अगर बच्चे का अंग भंग हुआ तो ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग अक्सर टीचर को सस्पेंड कर देता है। लेकिन अगर बच्चे की मौत हो गई या सेक्सुअल असॉल्ट हुआ तो उस टीचर को बर्खास्त भी किया जा सकता है।

कल हम टीचर्स डे मनाएंगे ताकि बेहतरीन काम कर रहे गुरुओं को सम्मान मिल सके। लेकिन अगर आज के गुरु कहीं क्लास रूम में नफरतों का पाठ पढाएंगें और कहीं छात्राओं का यौन शोषण करेंगे तो स्टूडेंट को मानसिक और शारीरिक पीड़ा पहुंचनी तय है।

ऐसे में सवाल उठता है कि स्टूडेंट के भविष्य को अंधकार में ढकेल रहे टीचर्स का कहीं कोई पुख्ता इलाज या सजा है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *