भाजपा में 70 पार उम्र वाले 14 दावेदार !
भाजपा में 70 पार उम्र वाले 14 दावेदार:विधायकों ने कहा-हमारी दसों इंद्रियां काम कर रहीं; नरेंद्र मोदी खुद 73 के, वे ही हमारी प्रेरणा
चुनाव में उम्रदराज नेताओं को टिकट नहीं देने की अघोषित गाइड लाइन को लेकर एक बार फिर चर्चा हो रही है। भाजपा के 70 साल से ज्यादा उम्र के विधायक और नेता ताल ठोंककर दावेदारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब हम अपने क्षेत्र में पूरी तरह सक्रिय हैं तो टिकट के लिए क्यों दावेदारी नहीं करें।
भाजपा में 16 ऐसे विधायक हैं, जिनकी उम्र 70 साल का आंकड़ा पार कर गई है। 16 में से 14 कैंडिडेट खुलकर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। 4 विधायक तो ऐसे हैं, जिन्हें पूरा भरोसा है कि पार्टी उन्हें ही मौका देगी। उम्र ज्यादा होने की बात पर विधायकों ने कहा- पॉलिटिक्स में उम्र मायने नहीं रखती, फिट होना जरूरी है।
…..ने ऐसे नेताओं से बात की तो इनका कहना था कि हम फिजिकली फिट हैं। हमारी दसों इंद्रियां काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 73 साल के हो गए हैं, वे ही हमारी प्रेरणा हैं।
आइए जानते हैं कि चुनाव लड़ने की बात पर क्या कहते हैं 70 प्लस के विधायक…
अजय विश्नोई, पाटन, उम्र 71 साल
पार्टी मुझे ही टिकट देगी, मुझे दावेदारी की जरूरत नहीं
अजय विश्नोई 4 बार के विधायक हैं। 1998 और 2003 में मझौली से चुनाव जीते हैं। 2008 और 2018 में जबलपुर जिले की पाटन विधानसभा से चुनाव जीते हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। ज्यादातर समय अलग-अलग मुद्दों पर अपनी ही सरकार को घेरते नजर आते हैं।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर कहा…मुझे दावेदारी की जरूरत नहीं है। पार्टी मुझे टिकट देगी। पार्टी जिताऊ उम्मीदवार को टिकट देती है। रही 70 साल के ऊपर की उम्र वाली बात तो यही कहूंगा जो चुनाव जीत सकता है, काम कर सकता है, उसको टिकट देना चाहिए, जो फिजिकली अनफिट है भले ही 50 साल का हो टिकट नहीं देना चाहिए। उसे घर बैठा देना चाहिए।
सीतासरण शर्मा, नर्मदापुरम, उम्र 73 साल
उम्र कोई क्राइटेरिया नहीं, पूरी उम्मीद कि पार्टी टिकट देगी
सीतासरण 1990 में पहली बार विधायक बने थे। अब तक 5 बार विधायक बन चुके हैं। 1990 के बाद 1993, 1998, 2013 में विधायक बने। 2018 में नर्मदापुरम सीट से फिर विधायक चुने गए। साल 2014 से 2018 तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर कहा…पार्टी टिकट देगी तो चुनाव लड़ेंगे। पूरी उम्मीद है कि पार्टी टिकट देगी। किसी और का नाम आगे नहीं बढ़ाऊंगा। पार्टी मुझे टिकट देगी तो मैं ही चुनाव लड़ूंगा। उम्र की बात रही तो बता दूं कि प्रदेश अध्यक्ष जी ने रीवा की एक सभा में कहा था कि उम्र कोई क्राइटेरिया नहीं है। जीत ही क्राइटेरिया है। ये क्राइटेरिया था ही नहीं। मैं दिन के 12 घंटे जनता से संपर्क में रहता हूं। पूरी तैयारी है। जब तक मन बुद्धि और शरीर काम कर रहा है, तब तक दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
रामलल्लू वैश्य, सिंगरौली, 73 साल
भाजपा में उम्र का कोई चक्कर नहीं, हमारी ही दावेदारी
2008 से सिंगरौली विधानसभा सीट के लगातार 3 बार के विधायक हैं। जब से सीधी से अलग होकर सिंगरौली अलग जिला बना तब से इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है। जीत की सबसे बड़ी वजह राम लल्लू वैश्य की जमीनी सक्रियता भी है।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा… विधायक हैं तो दावेदारी तो है ही। टिकट देने का पार्टी जाने हम क्या बताएं। उम्मीद तो है ही कि टिकट मिलेगा। पार्टी हमको टिकट नहीं देगी और पूछेगी तो नाम आगे बढ़ाएंगे। अभी ऐसा कोई नाम नहीं है। हमारी ही दावेदारी है। भाजपा में उम्र का कोई चक्कर नहीं है, जो सर्वे में आगे रहेगा उसी को टिकट मिलेगा।
नागेंद्र सिंह, गुढ़, उम्र 81 साल
उम्र का कोई क्राइटेरिया है, तो स्वागत है
नागेंद्र सिंह विंध्य क्षेत्र के बड़े नेता माने जाते हैं। साल 1985 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर रीवा की गुढ़ विधानसभा से विधायक बने थे। इसके बाद 2008 में भाजपा की टिकट पर दूसरी बार विधायक बने। 2013 में 1300 वोटों से हार गए। 2018 में तीसरी बार विधायक बने।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर बोले…पार्टी जो आदेश देगी उसका पालन करूंगा। पार्टी आदेश देगी तो चुनाव लड़ने की इच्छा खुद ही हो जाएगी। चुनाव जरूर लड़ूंगा। पार्टी चर्चा करेगी तो मंथन कर नाम बढ़ाएंगे। अगर 70 साल से ऊपर टिकट का कोई क्राइटेरिया है, तो स्वागत है। पार्टी टिकट ना दे। राजनीति में फिजिकल एक्टिविटी की जरूरत पड़ती है। किसी भी उम्र का व्यक्ति फिट है, तो क्या बुराई है। कई लोग तो 50-55 की उम्र में चल फिर नहीं पाते। हर व्यक्ति के हिसाब से अलग-अलग मापदंड होने चाहिए। मैं तो अभी भी क्षेत्र में ही हूं। लोगों के बीच रहता हूं।
यसिंह मरावी, जयसिंह नगर, उम्र 71 साल
पार्टी किसी और को टिकट देगी तो उसे जितवाएंगे
जयसिंह वर्तमान में शहडोल की जयसिंह नगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। साल 1998 में पहली बार अनूपपुर जिले की कोतमा सीट से चुनाव जीते थे। दूसरी बार 2003 में भी इसी सीट से जीते। साल 2008 और 2013 में जैतपुर से विधायक बने। कुल 5 बार के विधायक हैं। भाजपा ने इन्हें जिस भी सीट से टिकट दिया चुनाव जीते। भाजपा के भरोसेमंद चेहरे हैं।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर कहा…. संगठन तय करेगा तो चुनाव लड़ूंगा। टिकट मिलने की उम्मीद है। किसी और का नाम आगे नहीं बढ़ाऊंगा, खुद ही चुनाव लड़ूंगा। सब कुछ संगठन पर निर्भर करता है। पार्टी किसी और को टिकट देगी तो उसे जितवाएंगे।
प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा, सिवनी-मालवा, 73 साल
पार्टी का मन मालूम है, टिकट मिलने की पूरी उम्मीद
प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा सिवनी-मालवा से विधायक हैं। इससे पहले 1990 से 1993 तक विधायक रहे। इस सीट पर वर्मा वोटर की बाहुल्यता है। प्रेमशंकर की वर्मा समाज में गहरी पैठ है। भाजपा के वरिष्ट नेताओं में से एक हैं।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर बोले…टिकट की दावेदारी कर रहा हूं। पूरी उम्मीद है कि पार्टी टिकट देगी। किसी का नाम आगे नहीं बढ़ाऊंगा, खुद चुनाव लड़ूंगा। पार्टी का मन मुझे मालूम है। भाजपा उसी उम्मीदवार को टिकट देगी जो स्वस्थ्य और जिताऊ है। हम प्रधानमंत्री से प्रेरणा ले रहे हैं। वो 73 साल के होने के बाद भी देश-विदेश का दौरा कर रहे हैं। देश को संभाल रहे हैं, इतना काम कर रहे हैं। हमको तो बस हमारा क्षेत्र ही देखना है। जिसकी दसों इंद्रियां काम कर रही हैं उसे तो काम करना ही चाहिए, हमारी कर रही हैं। अगर 40-50 साल का व्यक्ति भी अस्वस्थ्य है तो उसे जरूर हटना चाहिए।
महेंद्र सिंह हार्डिया, इंदौर-5, 72 साल
जो पार्टी का निर्णय होगा वो करूंगा
महेंद्र 2003 से लगातार 4 बार के विधायक हैं। वर्तमान में इंदौर-5 विधानसभा सीट से विधायक हैं। साल 2008 से 2013 तक कैबिनेट मंत्री रहे। राजनीतिक करियर की शुरुआत 1983 से हुई थी पहली बार पार्षद बने थे। साल 1994 से 2004 तक इंदौर के भाजपा अध्यक्ष भी रहे हैं।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा… ये कोई नेता नहीं कहेगा कि वो क्षेत्र में सक्रिय नहीं है। मैं अभी भी अपने क्षेत्र में हूं। इंदौर नो कार डे मना रहा है, उसी कार्यक्रम का हिस्सा हूं। चुनावी तैयारी पूरी है। बाकी मेरा यह कहना है कि जो पार्टी का निर्णय होगा वो करूंगा। आदमी फिजिकली फिट है तो चुनाव लड़ सकता है।
पारस जैन, उज्जैन उत्तर, 73 साल
गारंटी है कि पार्टी टिकट देगी तो जीतेंगे जरूर
पारस उज्जैन उत्तर से विधायक हैं। पहली बार 1990 में विधायक बने थे। साल 1990 से 1998 तक लगातार 2 बार विधायक रहे। इसके बाद 2003 से अब तक विधायक हैं। पारस 5 बार के विधायक हैं। भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। उज्जैन उत्तर सीट पर घर-घर में संपर्क है।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर कहा…टिकट की पूरी दावेदारी है। टिकट देना पार्टी का काम है, लेकिन इस बात की गारंटी है कि टिकट देगी तो जीतेंगे जरूर। अब तक ऐसा ही करता आया हूं। हर बार बड़े मार्जिन से जीतता हूं। पिछली बार 25 हजार वोटों से जीता था। चुनाव लड़ने का पूरा इरादा है। भाजपा ने शायद अब वो 70 साल वाला फॉर्मूला कैंसल कर दिया है। अभी तो मोदी ही 73 साल के हैं। पार्टी को अनुभव का लाभ लेना चाहिए, जिसके हाथ-पांव अच्छे हैं, जो चल फिर सकता है, सेवा कर सकता है उसके चुनाव लड़ने में क्या बुराई है।
देवीलाल धाकड़ (एडवोकेट), गरोठ, 70 साल
पार्टी जो कहेगी उसका आदेश मानूंगा
2018 में पहली बार विधायक बने। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं। संगठन में बड़े पदों पर भी रहे हैं। पेशे से वकील हैं। प्रेक्टिस भी करते हैं। अप्रैल में इनका हनुमान जन्मोत्सव के दौरान लाठी घुमाते हुए का एक वीडियो भी वायरल हुआ था।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर बोले…मैंने तय किया है कि टिकट मांगूंगा नहीं। पार्टी जो कहेगी उसका आदेश मानूंगा। पार्टी किसी और को टिकट देगी तो उसे जिताने के लिए तन मन धन से काम करूंगा। भाजपा में उम्र का कोई क्राइटेरिया नहीं है। टिकट के लिए व्यक्ति की योग्यता, क्षमता और जीतने की संभावना पर निर्भर करता है।
गोपाल भार्गव, रहली, उम्र- 71 साल
गुरू का आदेश, तीन बार और चुनाव लड़ना है
गोपाल भार्गव 1985 से लगातार 8 बार के विधायक हैं। साल 1980 से 1985 तक गढ़ाकोटा नगरपालिका के अध्यक्ष भी रहे हैं। उमा भारती की सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। वर्तमान में भी पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं। संघ के करीबी हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा की तरफ से एक ब्राम्हण चेहरे के तौर पर स्थापित हैं।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर कहा… गोपाल जुलाई के महीने में अपने एक क्षेत्रीय कार्यक्रम में कह चुके हैं कि उन्हें तीन बार और चुनाव लड़ना है। आगे उन्होंने कहा था कि ऐसा करने के लिए उन्हें गुरू का आदेश मिला है। गुरू का आदेश तो सिर्फ मृत्यु ही टाल सकती है। गोपाल क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हैं। चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी है।
वे नेता जो चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं, लेकिन टिकट मिला तो लड़ेंगे
गौरीशंकर बिसेन, बालाघाट, उम्र- 71 साल
मैंने पार्टी से कहा है कि अब नए लोगों को अवसर दें
बालाघाट से साल 1985 में पहली बार विधायक बने। साल 1993 में फिर विधायक बने। 1998 में सांसद का चुनाव जीते। इसके बाद 2003 से लगातार 4 बार के विधायक हैं। पूरे राजनीतिक करियर में 6 बार विधायक रहे। वर्तमान में केबिनेट मंत्री हैं। भाजपा के दिग्गज नेता हैं।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर बोले…हमारी पार्टी में दावेदारी कुछ नहीं होती। मैंने पार्टी से कहा है कि अब नए लोगों को अवसर दें। मैंने चुनाव लड़ने के लिए जिसका नाम भेजा है वो पार्टी के पास है। पॉलिटिक्स में उम्र का कोई बंधन नहीं है, लेकिन मैंने खुद ऐसा विचार किया है। गौरीशंकर सितंबर महीने में ही इस बात का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि पार्टी चाहे तो उनकी बेटी मौसम के टिकट दे सकती है। बाकी पार्टी जिसे टिकट देगी, जिताने का काम करेंगे।
नागेंद्र सिंह, नागौद, 80 साल
मैं अगला चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, मैं बूढ़ा हो गया हूं
1977 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1980 में दोबारा विधायक बने। 2003 से 2013 तक लगातार 2 बार विधायक रहे। वर्तमान में नागौद से 2018 से विधायक हैं। साल 2014 से 2019 तक सांसद भी रहे। साल 2005 से 2013 तक कैबिनेट मंत्री भी रहे।
इस बार चुनाव लड़ने की बात पर कहा…27 अगस्त 2013 को उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि मैं अगला चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैं बूढ़ा हो गया हूं अब मुझे आराम करने दो। पार्टी अब किसी युवा को टिकट दे तभी भाजपा और मजबूत होगी। हालांकि 24 घंटे के भीतर ही उनके सुर बदल गए थे। अगले दिन एक दूसरी सभा में उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कह रहा कि चुनाव नहीं लड़ूंगा। ये भी नहीं कर रहा हूं कि लड़ूंगा। पार्टी जो कहेगी वो करूंगा। पार्टी किसी और को टिकट देगी तो उसको जितवाऊंगा।
बिसाहूलाल साहू, अनूपपुर, उम्र- 74 साल
कांग्रेसी नेता थे। 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए। अनूपपुर से 2018 में कांग्रेस में रहते हुए चुनाव जीते थे। 2020 के उपचुनाव में भी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। पहली बार 1980 में विधायक बने थे। 1994 से 1998 तक दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। कुल 6 बार के विधायक हैं। वर्तमान में भी कैबिनेट मंत्री हैं। फिर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी है।
चंदेरी से 75 साल के कैंडिडेट को टिकट दे चुकी है भाजपा
75 साल के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को भाजपा ने पहले ही 39 कैंडिडेट्स के साथ चंदेरी से टिकट दे दिया है। जगन्नाथ पेशे से वकील हैं। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं। 2003 से 2008 तक इसी क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं। टिकट मिलने के बाद वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन्होंने टिकट मिलने का श्रेय सिंधिया को दिया था। साथ ही अपने पुराने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड भी दिखाया। क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं।