नोएडा में किरायेनामे पर बड़ा गोरखधंधा ! 100 रुपये के स्टांप पर 500 करोड़ का खेल

नोएडा में किरायेनामे पर बड़ा गोरखधंधा, नियम फेल…100 रुपये के स्टांप पर 500 करोड़ का खेल
जिले में किरायेनामे के नाम पर करोड़ों रुपये के राजस्व की चोरी हो रही है। हजारों कारोबारी सौ-सौ रुपये के स्टांप पेपर पर किरायानामा कराकर दुकानों और फैक्टरियों में कारोबार कर रहे हैं, जबकि पंजीकृत किरायानामा कराना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने से सरकार को हर किरायेनामे पर दो प्रतिशत का राजस्व शुल्क नहीं मिल रहा है। 

प्रशासन का अनुमान है कि इससे 500 करोड़ से अधिक के राजस्व की चोरी हो रही है। वसूली को लेकर अब प्रशासन ने 38 विभागों से किरायेदार कारोबारियों का ब्योरा मांगा है। नोएडा और ग्रेनो में 38 विभागों के करीब दस हजार कारोबारी हैं। इनमें से किराये की दुकानों और फैक्टरियों में काम करने वालों की संख्या अच्छी खासी है। इसके लिए दुकान या फैक्टरी के मालिक से किरायानामा भी किया है, लेकिन पंजीकृत नहीं कराया है। ज्यादातर ने केवल सौ रुपये के स्टांप पेपर पर किरायानामा किया है, जो गैरकानूनी है।

प्रशासनिक अफसरों ने बताया कि पंजीकृत किरायेनामे में 11 माह या उससे अधिक की अवधि के किराये की धनराशि पर दो प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होता है। अगर किरायानामा 30 या उससे अधिक वर्ष का है तो उस पर पांच प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होता है, लेकिन जिले में बड़ी संख्या में कारोबारी व अन्य लोग पंजीकृत किरायानामा नहीं करा रहे हैं, इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है। अब इन कारोबारियों को चिह्नित किया जा रहा है। इसके बाद राजस्व वसूली की कार्रवाई होगी। 

38 विभागों से मांगी गई है जानकारी
प्रशासन 38 विभागों से जुड़े कारोबारियों की जानकारी जुटा रहा है। खाद्य विभाग में 1200 रेस्तरां पंजीकृत हैं। इनमें किराये पर चलने वाले रेस्तरां के किरायेनामे की जांच हो रही है। इसी तरह आबकारी विभाग की 500 से अधिक दुकानों के भी किरायेनामे की जांच की जा रही है। उधर, जीएसटी विभाग से जुड़े व्यापारियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है। 

छह माह में मिले 944 करोड़ रुपये
जिला प्रशासन को किरायेनामे से बड़ी रकम राजस्व के रूप में मिल रही है। चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से सितंबर के बीच 18615 पंजीकृत किरायेनामे किए गए। इनसे प्रशासन को 944 करोड़ का राजस्व मिला है, जबकि मार्च, 2024 तक यह आंकड़ा एक हजार करोड़ से ऊपर जाने की उम्मीद है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में केवल 17509 पंजीकृत किरायेनामे हुए। इनसे 683 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था।

सभी विभाग से कारोबारियों का ब्योरा मांगा है। ब्योरा आने के बाद पंजीकृत किरायानामा नहीं कराने वालों को चिह्नित कर राजस्व वसूली की जाएगी।
– अतुल कुमार, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व)

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सौ रुपये के स्टांप पर किरायानामा बनाकर 500 करोड़ का राजस्व चोरी

प्रशासन ने 38 विभागों से मांगा किराये की दुकानों और फैक्टरियों में काम करने वाले कारोबारियों का ब्योरा
पंजीकृत किरायानामा नहीं होने से राजस्व के नुकसान का होगा आकलन, की जाएगी वसूली

ग्रेटर नोएडा। जिले में किरायेनामे के नाम पर करोड़ों रुपये के राजस्व की चोरी हो रही है। हजारों कारोबारी सौ-सौ रुपये के स्टांप पेपर पर किरायानामा कराकर दुकानों और फैक्टरियों में कारोबार कर रहे हैं, जबकि पंजीकृत किरायानामा कराना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने से सरकार को हर किरायेनामे पर दो प्रतिशत का राजस्व शुल्क नहीं मिल रहा है। प्रशासन का अनुमान है कि इससे 500 करोड़ से अधिक के राजस्व की चोरी हो रही है। वसूली को लेकर अब प्रशासन ने 38 विभागों से किरायेदार कारोबारियों का ब्योरा मांगा है।

नोएडा और ग्रेनो में 38 विभागों के करीब दस हजार कारोबारी हैं। इनमें से किराये की दुकानों और फैक्टरियों में काम करने वालों की संख्या अच्छी खासी है। इसके लिए दुकान या फैक्ट्री के मालिक से किरायानामा भी किया है, लेकिन पंजीकृत नहीं कराया है। ज्यादातर ने केवल सौ रुपये के स्टांप पेपर पर किरायानामा किया है, जो गैरकानूनी है।

प्रशासनिक अफसरों ने बताया कि पंजीकृत किरायानामा में 11 माह या उससे अधिक की अवधि के किराये की धनराशि पर दो प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होता है। अगर किरायानामा 30 या उससे अधिक वर्ष का है तो उस पर पांच प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होता है, लेकिन जिले में बड़ी संख्या में कारोबारी व अन्य लोग पंजीकृत किरायानामा नहीं करा रहे हैं, इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है। अब इन कारोबारियों से चिह्नित किया जा रहा है। इसके बाद राजस्व वसूली की कार्रवाई होगी।

प्रशासन जुटा रहा कारोबारियों की जानकारी
प्रशासन 38 विभागों से जुड़े कारोबारियों की जानकारी जुटा रहा है। खाद्य विभाग में 1200 रेस्तरां पंजीकृत हैं। इनमें किराये पर चलने वाले रेस्त्रां के किरायेनामे की जांच हो रही है। इसी तरह आबकारी विभाग की 500 से अधिक दुकानों के भी किरायेनामे की जांच की जा रही है। उधर, जीएसटी विभाग से जुड़े व्यापारियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है।

छह माह में मिले 944 करोड़ रुपये

जिला प्रशासन को किरायेनामे से बड़ी रकम राजस्व के रूप में मिल रही है। चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से सितंबर के बीच 18615 पंजीकृत किरायेनामे किए गए। इनसे प्रशासन को 944 करोड़ का राजस्व मिला है, जबकि मार्च, 2024 तक यह आंकड़ा एक हजार करोड़ से ऊपर जाने की उम्मीद है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में केवल 17509 पंजीकृत किरायेनामे हुए। इनसे 683 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था।

सभी विभाग से जुड़े कारोबारियों का ब्योरा मांगा है। ब्योरा आने के बाद पंजीकृत किरायानामा नहीं कराने वालों को चिह्नित किया जाएगा। ऐसे कारोबारियों या संस्थाओं से राजस्व वसूली की जाएगी। – अतुल कुमार, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व)

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