गारंटी की राजनीति भी है रणनीति का हिस्सा !

सियासत: गारंटी की राजनीति भी है रणनीति का हिस्सा, कोई नहीं अपवाद
इस आंकड़े के मद्देनजर महिला वोटरों की अहमियत समझ में आती है। पिछले तीस साल में महिलाओं की वोट देने में भागेदारी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 1993 में करीब 60 फीसदी मतदान हुआ था और तब 68 प्रतिशत पुरुषों, जबकि केवल 52 फीसदी महिलाओं ने वोट दिया था।

राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस क्या सोची-समझी रणनीति के तहत प्रियंका गांधी को आगे कर रही है? महिलाओं- बच्चों से जुड़ी घोषणाओं को प्रियंका गांधी के जरिये गारंटी के रूप में सामने लाया जा रहा है, ताकि महिलाओं को पूरी तरह भरोसे में लिया जा सके। राजस्थान में झुंझुनूं की रैली में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रियंका गांधी को गारंटी कार्ड के रूप में सामने रखा। घर की मुखिया महिला को दस हजार रुपये हर साल दिए जाएंगे और एक करोड़ परिवारों को 500 रुपये में गैस सिलेंडर मिलेगा। इससे सरकार पर साढ़े दस हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है और जानकारों के मुताबिक, सत्ता की चाभी महिला व युवा वर्ग के पास है। राज्य में 2.73 करोड़ पुरुष वोटरों के मुकाबले 2.53 करोड़ महिला वोटर हैं, पर वोट डालने में महिलाएं बाजी मार ले जाती हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य में 74.72 फीसदी वोट पड़े थे। उनमें पुरुष वोटों का प्रतिशत 73.49 था, जबकि 74.67 फीसदी महिलाओं ने वोट दिया था। तब कांग्रेस और भाजपा के बीच 0.54 प्रतिशत का ही अंतर था, यानी कांग्रेस को भाजपा से सिर्फ 1.79 लाख वोट ज्यादा मिले थे।

इस आंकड़े के मद्देनजर महिला वोटरों की अहमियत समझ में आती है। पिछले तीस साल में महिलाओं की वोट देने में भागेदारी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 1993 में करीब 60 फीसदी मतदान हुआ था और तब 68 प्रतिशत पुरुषों, जबकि केवल 52 फीसदी महिलाओं ने वोट दिया था। पर अब कहानी बदल गई है। यही वजह है कि दोनों दलों को महिला वोटर याद आ रहे हैं और महिला नेता भी। प्रियंका गांधी ने इससे पहले मध्य प्रदेश में हर महिला को 1,500 रुपये मासिक देने की गारंटी दी थी। आठवीं तक के बच्चों को पांच सौ रुपये, नवीं-दसवीं के बच्चों को एक हजार और ग्यारहवीं-बारहवीं के बच्चों को 1,500 रुपये महीना देने की ‘पढ़ो-पढ़ाओ योजना’ की गारंटी भी उन्होंने दी थी। इससे पहले हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भी प्रियंका गांधी से ही गारंटियां दिलाई गई थीं।

गारंटी देने में भी सियासत हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस की गारंटी को चुनावी जुमला बताते हुए कह रहे हैं कि कांग्रेस सिर्फ चुनाव जीतने के लिए गारंटी दे रही है, चुनाव जीतने पर वह भूल जाएगी। दूसरी तरफ, भाजपा की गारंटी को वह मोदी की गारंटी से जोड़ रहे हैं, और कह रहे हैं कि यह मोदी की गारंटी है, जो पूरी की जाएगी।

यह अपने आप में रोचक राजनीति है। एक कह रहा है, हमारी गारंटी पर यकीन करो, तो दूसरा कह रहा है कि हमारी गारंटी पर यकीन करो, क्योंकि हम गारंटी पूरी कर चुके हैं। उधर गारंटी का खेल शुरू करने वाले केजरीवाल भी आम आदमी पार्टी की गारंटी को केजरीवाल की गारंटी बता रहे हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने गृहलक्ष्मी योजना के तहत 1,500 रुपये महीना देने की गारंटी दी, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना की घोषणा कर पहले महीने 1,000 और दूसरे महीने 1,250 रुपये देना शुरू भी कर दिया। अशोक गहलोत ने बीपीएल परिवारों को 500 रुपये में सिलेंडर देना शुरू किया, तो शिवराज चौहान ने 450 रुपये में सिलेंडर देने की घोषणा कर दी। जबकि तेलंगाना में केसीआर ने 400 रुपये में गैस सिलेंडर देने की गारंटी दी है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश, दोनों जगह कांग्रेस के पास कोई बड़ी महिला नेता नहीं है। पर जब चुनाव ही महिला वोटरों के आसपास लड़ा जा रहा हो, तो जरूरी हो जाता है कि महिला नेता ही बहनों को गारंटी दे। शौचालय, जन-धन खाते, उज्ज्वला योजना आदि के जरिये प्रधानमंत्री मोदी ने महिला वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाई है। मध्य प्रदेश में तो शिवराज सिंह चौहान मामा के रूप में सामने आ गए हैं, लेकिन कांग्रेस का ऐसा कोई जुड़ाव राजस्थान और मध्य प्रदेश में नहीं हो पाया है। इसकी भरपाई भी प्रियंका गांधी के जरिये की जा रही है। एक बात दिलचस्प है। राज्य में विपक्षी पार्टी आगे की गारंटी दे, तो समझ में भी आता है, पर सत्ता में मौजूद पार्टी जीतने पर गारंटी देने की बात कहे, तो समझ जाना चाहिए कि माजरा क्या है।

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