तमाम उपायों के बाद भी नहीं रुक रहे ट्रेन हादसे !
तमाम उपायों के बाद भी नहीं रुक रहे ट्रेन हादसे, वादे-इरादों में क्या है कोई कमी?
भारत में तमाम वादों और उपायों के बाद भी हर साल ट्रेन के दुर्घटना की खबरें आती रहती है. इस रिपोर्ट में पढ़िए कि पिछले 10 सालों में इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए गए हैं.
इन हादसों के पीछे की वजह ह्यूमन एरर बताया जा रहा है. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब देश में ऐसे बड़े ट्रेन हादसे हुए हैं. भारत में रेल हादसों का इतिहास काफी पुराना रहा है. साल 1999 में पश्चिम बंगाल में दो ट्रेनों की टक्कर में 285 लोगों की मौत हुई थी. वहीं साल 2010 में भी इसी राज्य में 145 लोगों की मौत हुई, जब एक पैसेंजर ट्रेन पटरी से उतरकर एक मालगाड़ी से टकरा गई थी.
हमारे देश में यात्रा करने का सबस बड़ा नेटवर्क ट्रेन ही है. हमें कही भी जाना हो तो सबसे पहला ख्याल ट्रेन का ही आता है. ऐसे में हर इस तरह रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की घटनाएं न सिर्फ डरावनी है बल्कि ऐसी घटनाएं प्रशासन की नाकामी को भी दर्शाती है.
ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि लगातार हो रही ट्रेन की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से अब तक क्या-क्या कदम उठाए जा चुके हैं.
पिछले एक दशक में कितने ट्रेन हादसे हो चुके हैं
आंकड़ों की मानें तो साल 2014 से लेकर अब तक यानी साल 2023 तक रेलवे में 10 ट्रेन हादसे हो चुके हैं जिसमें लगभग 600 लोगों की मौत हुई हो तो वहीं 1300 से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं.
इन 10 रेल हादसों में से 3 एक्सिडेंट तो इसी साल हुए हैं. जिसमें से दो पिछले हफ्ते 29 और 31 अक्टूबर को और एक जून महीने में हुआ था. साल 2023 के जून के महीने में ओडिशा के बालासोर में एक भयंकर ट्रेन हादसा हुआ जो पिछले 15 सालों में हुआ सबसे भयंकर ट्रेन एक्सीडेंट था. जिसमें 291 लोगों की जान चली गई थी और 1000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
फिर उससे पहले अगस्त 2017 में उत्तरप्रदेश के मुज्जफरनगर में कलिंग उत्तकल एक्सप्रेस दुर्घटना हुआ जिसमें 23 लोगों की मौत हुई थी.
नवंबर 2016 में कानपूर के पास इंदौर पटना एक्सप्रेस को दुर्घटना का शिकर होना पड़ा था. जिसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
मार्च 2015 में जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी. इस हादसे में 34 लोग मारे गए. साल 2012 को कोई कैसे भूल सकता है बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें इस साल 14 रेल हादसे हुए. जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी.
साल 2010 के जुलाई महीने में पश्चिम बंगाल में उत्तर बांगा एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हुई थी और इसी साल के सितंबर महीने में मध्य प्रदेश में ग्वालियर इंटरसिटी एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ था जिस रेल हादसे ने भी कई लोगों की जान ले ली थी.
लगातार हो रही ट्रेन दुर्घटना के पीछे क्या है कारण
साल 2022 की एनसीआरबी की रिपोर्ट की मानें तो साल 2020 में हुए ट्रेन हादसे की तुलना में 2021 में 38.2 प्रतिशत की बढ़त हुई है. ट्रेन दुर्घटनाओं के पीछे कई बड़ी वजहें हैं जिसमें सबसे बड़ी वजह जो ज्यादातर दुर्घटनाओं के बाद सुनने को मिलती है वह है ह्यूमन एरर. जिसमें गलत सिग्नल, ज्यादा तेज गति से गाड़ी चलाना, गलतफहमी शामिल है.
इन दुर्घटनाओं की दूसरी बड़ी वजह सिग्नल विफलता (Signal Failures). सिग्नल सिस्टम का काम ट्रेन के दिशा और गति को कंट्रोल करता है इसमें तकनीकी गड़बड़ी, बिजली कटौती और ह्यूमन एरर की वजह से दिक्कत आ सकती है.
वहीं तीसरा कारण बुनियादी ढांचे की खराबी है. वैसे तो पिछले कुछ सालों में ट्रेन के इन्फ्रास्ट्रकचर में काफी सुधार देखने को मिला है लेकिन अभी भी इसे और बेहतर बनाने की जरूरत है.
हालांकि कुछ महीनें पहले ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि भारत के ज्यादातर रेलवे ट्रैकों को अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि उन ट्रैकों पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनें दौड़ाई जा सके. यहां तक की भारत की रेलवे लाइनों के एक महत्वपूर्ण हिस्से को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली गाड़ियों के लायक बनाने का काम भी जारी है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साल 2022 के मई महीने में एक बयान में ट्रेनों में सुरक्षा कवच लगाने की घोषणा भी की थी.
क्या कहती है सरकारी रिपोर्ट
एक सरकारी रिपोर्ट की मानें तो साल 2019-20 में जितने भी ट्रेन हादसे हुए हैं उसमें से लगभग 70 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण ट्रेन का पटरी से उतरना रहा है. उससे एक साल पहले यानी 2019-20 में ये आंकड़ा 68 प्रतिशत थे. पटरी से उतरने के अलावा 14 प्रतिशत मामले में ट्रेन में आग लगी थी और 8 फीसदी हादसा टक्कर के कारण हुआ था.
इसके अलावा बीबीसी ने अपने एक रिपोर्ट में 40 रेल दुर्घटनाओं की पड़ताल की थी. इस पड़ताल में 33 पैसेंजर ट्रेनें थीं और 7 मालगाड़ियां. इनमें से 17 ट्रेने ऐसी थी जो ट्रैक की खराबी, पटरी में टूट-फूट या धंस जाने जैसी गड़बड़ियों के कारण पटरी से उतरी थी. जबकि 9 हादसे रेलगाड़ी की इंजन, कोच या वैगन में खराबी के कारण हुए थे.
ट्रेन के पटरी से उतरने की घटनाओं पर CAG ने जताई चिंता
साल 2022 में CAG यानी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया ने भारतीय ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने यह पता लगाने को कहा था कि रेल मंत्रालय द्वारा ट्रेनों के पटरी से उतरने और ट्रेनों के टकराने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई स्पष्ट कदम उठाया है या नहीं.
पांच साल में भारत का रेलवे बजट भी जान लीजिए
- वित्त वर्ष 2019-20 – 68,019 करोड़
- वित्त वर्ष 2020-21 – 72,216 करोड़
- वित्त वर्ष 2021-22 – 110,054 करोड़
- वित्त वर्ष 2022-23 – 140,367 करोड़
- वित्त वर्ष 2023-24 – 241, 268 करोड़
2022 में पटरियों की मरम्मत पर कुल खर्च भी जान लीजिए
साल 2022 में ट्रेनों और पटरियों की मरम्मत पर कुल खर्च 1,30,73,935 रुपये किया गया. इसमें से उत्तर रेलवे के ट्रेनों और पटरियों की मरम्मत पर 1,28,69,372 रुपये खर्च किए गए. वहीं दक्षिण मध्य रेलवे के ट्रेनों और पटरियों की मरम्मत में 2,04, 563 रुपये खर्च किए गए.
पिछले कुछ सालों में इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार के कदम
पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार की तरफ से रेल दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के तकनीकों और अपग्रेडेशन पर काम किया गया है. इस लिस्ट में सबसे पहले आता है प्रौद्योगिकी उन्नयन (Technology Upgradation).सरकार ने ट्रेनों में बीएमबीएस बोगी माउंटेड एयर ब्रेक सिस्टम, कवच, जीपीएस आधारित फॉग पास डिवाइस जैसे कई टेक्नोलॉजी को जोड़ा है. इसके अलावा आधुनिक ट्रैक संरचना ( Modern Track Structure) का निर्माण. इसके अलावा ट्रेनों में अल्ट्रासोनिक दोष का पता लगाने वाले डिवाइस लगाए गए है जिससे ट्रेन में कोई खराबी हो तो उसका पता तुरंत लग जाता है.
क्या सिर्फ नए टेक्नोलॉजी को लाने से ही ट्रेन एक्सीडेंट कम हो जाएंगे?
CAG 2022 की रिपोर्ट जिसका टाइटल डीरेलमेंट ऑफ इंडियन रेलवे था उसमें भी इन सवाल को उठाया गया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रेक मैनेजमेंट सिस्टम में वेब बेस्ड एप्लीकेशन और ट्रैक सिस्टम एक्टिविटीज को ऑनलॉइन मॉनिटर करने में उतना ऑपरेशनल नहीं था. तो सिर्फ नए टेक से नहीं उन तकनीकों की देखरेख करना भी एक अहम पहलू होता है जो कई बार देखने को नहीं मिलता.