इंदौर बावड़ी हादसे पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब… स्लैब धंसने से 36 मौत हुई थीं !

इंदौर बावड़ी हादसे पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब:नगर निगम और मंदिर ट्रस्ट को नोटिस; स्लैब धंसने से 36 मौत हुई थीं
इंदौर में 30 मार्च 2023 को रामनवमी के दिन बावड़ी की स्लैब धंसकने से 36 लोगों की मौत हो गई थी।

इंदौर के स्नेह नगर (पटेल नगर) स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए बावड़ी हादसे को लेकर हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने नगर निगम और मंदिर ट्रस्ट को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। हादसा 30 मार्च 2023 को रामनवमी के दिन हुआ था। हवन-आरती कर रहे लोग बावड़ी की स्लैब धंसकने से 36 लोगों की मौत हो गई थी।

इंदौर हाईकोर्ट ने प्रशासन के वकील से पूछा कि मार्च 2023 की घटना है, इस मामले में अब तक क्या हुआ? गिरफ्तारी, चालान क्या हुआ है? चार्जशीट पर भी सवाल किया कि क्या वो भी फाइल नहीं हुई। क्यों नहीं हुई। मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट में क्या निकला, उसका क्या हुआ। इधर, पीड़ित पक्ष के वकील ने घटनाक्रम में प्रशासन की भूमिका संदिग्ध बताते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

मुआवजा मंदिर ट्रस्ट से वसूला क्या – हाईकोर्ट

बावड़ी हादसे में मृतकों के परिवार और घायलों को अलग-अलग मुआवजा राशि दी गई थी। हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या यह राशि मंदिर ट्रस्ट से वसूली गई है। अगर नहीं तो क्यों नहीं वसूली गई। सरकार यह मुआवजा क्यों दे रही है। एफआईआर, चालान और मजिस्ट्रियल जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश भी हाई कोर्ट ने दिए।

हाईकोर्ट में इस तर्क के बाद जारी हुए नोटिस

पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा- बेलेश्वर मंदिर ट्रस्ट को नोटिस दिया जाना चाहिए। क्योंकि आरोप और एफआईआर ट्रस्ट के ही खिलाफ है। ट्रस्ट ही जिम्मेदार है, लेकिन उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। सीबीआई से जांच कराई जाए, क्योंकि इसमें स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत है। घटना के कुछ समय पहले ही प्रशासन ने ट्रस्ट को नोटिस दिया था और आप उसका जवाब देखेंगे तो वो धमकाने वाला था। ट्रस्ट ने धार्मिक भावना और अशांति का हवाला अपने जवाब में दिया था। जबकि नगर निगम ने यह माना था कि बावड़ी जर्जर है। लोगों ने भी इसकी शिकायत की थी। इसके बावजूद बावड़ी पर निर्माण किया गया। नोटिस देने के तीन महीने बाद ही हादसा हो गया। इसमें राजनीतिक संलिप्तता है। इसी कारण आज तक किसी पर कोई एक्शन नहीं हुआ है और ना ही किसी की गिरफ्तारी हुई है।

वकील ने आगे कहा कि मजिस्ट्रियल जांच में क्या हुआ उसका भी कोई पता नहीं है। हमें जिस बात की आशंका थी प्रशासन वो ही कर रहा है। इसके बाद प्रशासन ने शहर के तमाम कुएं और बावड़ी को बैरिकेडिंग से बंद कर दिया। उन्हें (प्रशासन और ट्रस्ट) नोटिस तक जारी नहीं हुए इसलिए किसी बात से डरते ही नहीं है। फिर से ऐसी घटना ना हो इसके लिए कोई तो एक्शन हो, गाइडलाइन बने। आठ महीने बाद भी मजिस्ट्रियल जांच में क्या हुआ ये भी नहीं बता पा रहे हैं।

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