खनन माफिया का चेलेंज प्रदेशभर  में खुलेआम अबेध तरीके से चल रहा रेत का अवेध उत्खनन 

हम तो रेत लुतेगे रोक सको तो रोक लो  …

खनन माफिया का चेलेंज प्रदेशभर  में खुलेआम अबेध तरीके से चल रहा रेत का अवेध उत्खनन 

भोपाल. रेत उत्खनन की बात हो तो सबसे पहले नर्मदा नदी का नाम आता है। इसके बाद सिंध, तवा सहित सोन, केन, बेतवा आदि नदियां। प्रकृति के इस खुले खजाने की लूट मची हुई है। लूट इस मायने में कि तमाम नियम-कायदों के बावजूद सरकार अवैध उत्खनन रोकने में नाकाम है, जो अफसर-कर्मचारी अवैध कारोबार में आड़े आता है वह माफिया का शिकार बन जाता है। शहडोल जिले में पटवारी की मौत इसी का उदाहरण है। पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि प्रतिबंधित हैवी मशीनों को नदियों में उताकर उत्खनन किया जा रहा है। जहां खदानें स्वीकृत नहीं हैं, वहां भी माफिया चुनौती दे रहा है।

नर्मदापुरम. तवा नदी की खदानों से रेत निकालने का ठेका चालू होने के बाद भी उत्खनन शुरू नहीं हुआ है। अवैध उत्खनन कर रेत निकाली जा रही है। बान्द्रभान और सांगाखेड़ा ब्रिज के नीचे बुधवार दोपहर गड्ढों में उतरकर ट्रैक्टर-ट्रॉली से उत्खनन होता दिखा। रेत कारोबारियों ने बंद खदानों तक जाने के लिए रास्ते बना लिए हैं। ग्रामीणों के अनुसार दिनभर सांगाखेड़ा ब्रिज के नीचे से 50 से 75 ट्रैक्टर-ट्रॉली रेत लेकर शहरों की तरफ जाती हैं। सबसे ज्यादा खनन नर्मदा किनारे रंढ़ाल, बरंडुआ, खर्राघाट, करबला घाट से हो रहा है। खास यह है कि रेत माफिया को रोकने के लिए प्रशासन ने तवा, ब्रिज, घानाबड़ में जो चौकी बनाई, वह भी बंद हैं।

कटनी. बीच नदी में जेसीबी लगाकर पानी से निकाली जा रही रेत की यह तस्वीर बड़वारा तहसील के महानदी स्थित सांधी खदान की है। पत्रिका ने बुधवार को 4.28 बजे यह तस्वीर कैद की है। गुणा और गणेशपुर गांव के बीच मंजूर इस खदान में नियमों को धता बताते हुए रेत निकाली जा रही है। जिलेभर में रेत के अवैध खनन, परिवहन का कारोबार चरम पर है। बड़वारा, बरही व विजयराघवगढ़ क्षेत्र की महानदी, उमड़ार नदी सहित बांधवगढ़ नेशनल पार्क के बफर जोन में खनन माफिया बेखौफ होकर मनमाना खनन कर रहा है। जिले में 49 खदानें स्वीकृत हैं। इनमें से चार ही चालू हो पाई हैं। 45 की सिया से पर्यावरणीय मंजूरी न मिलने के कारण बंद हैं।

पन्ना/अजयगढ़. खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के गृह जिले पन्ना में रेत कारोबारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि केन नदी को छलनी करने में लगे हैं। सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन अजयगढ़ क्षेत्र के चांदीपाटी, भीना, रामनई और खरौनी में होता है। एक सप्ताह में अवैध खनन के कई वीडियो वायरल हुए। फिर भी प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। छतरपुर के नहरा रेत खदान के ठेकेदार ने केन में अवैध पुल बनाकर पन्ना की ओर ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया है। यहां से सैकड़ों डंपर रोज केन में बने अवैध पुल पार कर पन्ना और यूपी जाते हैं। वे चंद मिनटों में ही यूपी की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। चांदीपाटी में भी केन की धार रोककर अवैध पुल बनाया गया।

कार्रवाई की सिर्फ प्लानिंग, अमल नहीं

मुरैना. जिले में चंबल नदी के डेढ़ दर्जन घाटों से खुलेआम अवैध उत्खनन हो रहा है। इस पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन बंद कमरे में योजना तो बना रहा है, पर जमीन पर कार्रवाई को अंजाम नहीं दे पा रहा। नतीजा, नदियों का सीना छलनी हो रहा है। चंबल नदी के बरवासिन, कुल्हाड़ा, रिठौरा खुर्द, टिघरी, गड़ौरा, कैंथरी, सबलगढ़ में बरौठा, भर्रा, छिनबरा, चिन्नौंनी, चिंदोखर, जौरा क्षेत्र में गुढ़ाचंबल, नंदपुरा, देवगढ़, अंबाह में उसैदघाट, ऐसाह, बाबू सिंह की घेर, बीलपुर, कुथियाना, भगेश्वरी, साहस पुरा, मलबसई की गढ़ी में अवैध उत्खनन हो रहा है। चिन्नौंनी थाना क्षेत्र के होराबरा चंबल नदी घाट पर राजस्थान की सीमा से वोट से रेत लाई जा रही है। इधर ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर परिवहन किया जा रहा है।

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