सार्वजनिक जगहों पर असुरक्षित महसूस करती हैं 90 फीसदी महिलाएं
90 फीसदी महिलाएं सार्वजनिक स्थलों पर खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करतीं। यह हाल भोपाल, ग्वालियर और जोधपुर जैसे बड़े शहरों का है। सामाजिक उद्यम ‘सेफ्टीपिन’, सरकारी संगठन ‘कोरिया इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी’ और एनजीओ ‘एशिया फाउंडेशन’ के शोधकर्ताओं ने 219 सर्वेक्षणों के विस्तृत विश्लेषण के बाद यह खुलासा किया है।
डर की वजहें
-89% महिलाओं को अंधेरे, सुनसान इलाकों में जाने में डर लगता है
-63% सार्वजनिक परिवहन के वहानों में कम भीड़ देख सहम जाती हैं
-86% आसपास शराब/नशीले पदार्थ की बिक्री से असुरक्षित महसूस करती हैं
-68% ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने से भय लगने की बात स्वीकार की है
भीड़ में मनचले ज्यादा सक्रिय
-50% महिलाएं सार्वजनिक परिवहन में छेड़खानी का शिकार हुईं
-39% ने भीड़भाड़ वाले इलाकों और बाजारों में इसका सामना किया
-26% को सड़क पर चलते समय मनचलों की बदतमीजी झेलनी पड़ी
-16% बस और ऑटो का इंतजार करते समय यौन दुर्व्यवहार से गुजरीं
छात्राएं ज्यादा संवेदनशील
-57.1% अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं छात्राओं के साथ छेड़खानी, यौन उत्पीड़न के
-50.1% ज्यादा संवेदनशील पाई गईं अविवाहित महिलाएं इस तरह के अपराधों के प्रति
छेड़खानी बढ़ी पर रोकने के उपाय नहीं
-अध्ययन से साफ हुआ है कि सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं को घूरने, पीछा करने, फब्तियां कसने और आपत्तिजनक तरीके से छूने के मामले बढ़े हैं। बावजूद इसके इन्हें यौन उत्पीड़न जितना गंभीर मानकर रोकथाम के कड़े उपाय नहीं किए जाते।
ये उपाय करना जरूरी
-पुरुषों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना विकसित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं
-सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा उपकरण लगाए जाएं, संवेदनशील इलाकों में पुलिस की गश्ती बढ़ाई जाए
-छेड़खानी की शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, महिला सुरक्षा से जुड़े अभियानों की पहुंच बढ़ाई जाए
स्रोत : एजेंसियां